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देर रात इसलिए मना है सेक्स…

सेक्सimages के बारे में हम जो सोचते हैं, यह इससे कहीं ज्यादा है। यह सिर्फ आपको खुशी ही नहीं देता बल्कि नरिश भी करता है। सेक्स शरीर में वात को बढ़ाता है इसलिए इसे करने से पहले मौसम, समय और खान-पान जैसी चीजों का ध्यान रखना चाहिए। ज्यादातर लोग रात में सेक्स करना पसंद करते हैं लेकिन आयुर्वेद में देर रात सेक्स को सही नहीं माना जाता है। यहां जानें सेक्स से जुड़े बेहद महत्वपूर्ण तथ्य…

आयुर्वेद के मुताबिक देर रात को सेक्स करना सही नहीं है। आयुर्वेद में सेक्स करने का सही समय सुबह सूर्योदय के बाद लेकिन सुबह 10 बजे से पहले माना गया है । वहीं शाम के वक्त की बात करें तो रात में 10 से 11 के बीच सेक्स का अच्छा समय माना जाता है क्योंकि इस वक्त शरीर में सबसे ज्यादा ऊर्जा होती है। साथ ही आयुर्वेद में खाने के दो घंटे बाद सेक्स की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद में माना जाता है कि हमारा शरीर 7 मौलिक धातुओं से मिलकर बना है। इनमें से रस धातु रक्त का सफेद भाग होता है और शुक्र धातु सेक्शुअल तरल पदार्थ है। सेक्शुअल तरल बनाने में शरीर को काफी ऊर्जा की जरूरत होती है। शुक्र धातु रस का संशोधित रूप है। रस के और ज्यादा गाढ़े रूप से ओजस बनता है। ओजस नए जीवन का आधार है और नई रचना करने में सक्षम है।

अगर मौसम की बात की जाए तो सर्दी और वसंत की शुरुआत सेक्स के लिए सही मौसम हैं। कुछ फिजिकल कंडिशंस को छोड़कर वसंत और ठंड के मौसम में वीक में 3 से 5 बार सेक्स करना चाहिए। ऐसा न करने से उनके शरीर में बनने वाले ओजस की बर्बादी होती है। वहीं गर्मी और बरसात में ऊर्जा की कमी होती है लिहाजा इस दौरान हफ्ते में 1 या 2 बार सेक्स किया जा सकता है।

 

भूखे पेट भी सेक्स नहीं करना चाहिए। जब आप भूखे होते हैं तो वात और पित्त वैसे ही बढ़ा होता है। सेक्स से वात बढ़ता है। इसलिए भूखे पेट सेक्स करने से सिरदर्द, उल्टी और गैस्ट्रिक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सेक्स से पहले ऐसा खानपान चुनें जो रस और शुक्र धातु को पोषित करे। घी, चावल, नारियल जूस और बादाम ऐसे ही फूड्स में आते हैं।

हो सके तो सेक्स के बाद नहाएं और आरामदायक कपड़े पहनें। खुली हवा में जाएं। वहीं चीनी से बना शर्बत, सूप, मीट का शोरबा या ठंडा पानी पीकर सोने से शरीर जल्दी अपनी पुरानी स्थिति में वापस आ जाता है।

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