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प्रमोशन फाइल बनी फुटबाल

  • एक अधिकारी की आपत्ति पर फंसा 61 अधिकारियों का प्रमोशन
  • पहली जुलाई को सात साल की सेवाएं पूरी होने के बाद भी प्रमोशन मिलने के कोई आसार नहीं 
  • अधिकारियों में आक्रोश, न्याय की मांग को लेकर कोर्ट में जाएंगे अधिकारी

लखनऊ। प्रदेश सरकार के वाणिज्य कर विभाग में एक जुलाई 2019 को 61 असिस्टेन्ट कमिश्नर विभाग में अपनी सात साल की सेवाएं पूरी करके डिप्टी कमिश्नर बनने के सभी मानकों को पूरा कर लेंगे। विभाग में इसके सापेक्ष अभी तक कुल 58 डिप्टी कमिश्नरों के पद खाली भी है, लेकिन इन अधिकारियों की प्रमोशन फाइल शासन में फुटबाल बन गयी है।

शीर्ष पदो पर बैठे अधिकारी पिछले करीब छह माह से इस मुद्दे पर फैसला लेने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। जिससे अधिकारियों का मनोबल लगातार टूट रहा और इनके साथ उन अधिकारियों का भी मनोबल टूट रहा है, जिनकी बारी इन अधिकारियों के ठीक बाद असिस्टेन्ट कमिश्नर बनाने की है।

ये मामला विभाग में उन असिस्टेन्ट कमिश्नरों का है, जिन्हे प्रमोशन मिलने के बाद डिप्टी कमिश्नर बनना है। वैसे तो विभागीय भाषा में ये मामला बेहत तकनीकी है, लेकिन अगर सरल शब्दों में इसकी व्याख्या की जाए तो विभाग में दिसम्बर माह में खाली डिप्टी कमिश्नरों के 27 पदो के सापेक्ष लगभग 42 अधिकारियों की डीपीसी हुई। मालूम हो कि डीपीसी कुल खाली पदों से अधिक की होती है, जिसका कारण ये होता है कि अगर बीच में किसी अधिकारी का प्रमोशन प्रशासनिक आधार पर रोका जाए तो प्रतीक्षा सूची में शामिल उसके बाद के अधिकारी का नाम शामिल किया जा सके।

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इस डीपीसी की सूची जारी होती, इससे पहले क्रम संख्या 10 पर जो अधिकारी महोदय थे, चूंकि उनकी कुल सेवा साढ़े चार साल की पूरी नहीं हो रही थी इसलिए उनको सरकार ने शिथिलिता प्रदान नहीं की, इसलिए उनके प्रमोशन का लिफाफा नहीं खुला। लिहाजा अधिकारी ने यह आपत्ति लगा दी कि सूची में शामिल क्रम संख्या में जिन अधिकारियों का प्रमोशन होने जा रहा है, वे उनसे कनिष्ठ है, इसलिए सरकार ने क्रम संख्या 2284 से लेकर 2337 तक के अधिकारियों का प्रमोशन रोक दिया।

गौर करने वाली बात ये है कि जिस अधिकारी की आपत्ति पर उसके बाद के अधिकारियों का प्रमोशन रोका गया है, उनकी संख्या 61 हो गयी है और इन सभी अधिकारियों की 1 जुलाई 2019 को सात साल की सेवाएं पूरी भी हो जाएंगी और अब इन अधिकारियों को सरकार की शिथिलता की कोई जरूरत नही है, इसके बाद भी इनका प्रमोशन केवल एक अधिकारी की आपत्ति पर रूका है, जिस पर फैसला नहीं लिया जा पा रहा है। सवाल ये खड़ा होता है कि उस एक अधिकारी का कार्यकाल पूरा क्यों नहीं हो रहा जबकि उनके बाद के अधिकारियों का सात साल पूरा होने जा रहा है।

इसका जवाब ये बताया जा रहा है कि प्रशासनिक आधार पर उनकी सेवाओं को रोका गया था, जिसके कारण कार्यकाल न पूरा हो पाने के कारण शिथिलता ही प्रदान नही की जा सकी तो सामान्य कार्यकाल पूरा हो पाना दूर की बात है, जो अधिकारी इससे प्रभावित है, उनका यह कहना है कि अगर उस अधिकारी का प्रमोशन प्रशासनिक आधार पर रूक है तो उनके लिफाफे को निर्णय आने तक बंद रखकर बाद के उन दूसरे अधिकारियों के प्रमोशन पर फैसला आना चाहिए, जिनका सामान्य कार्यकाल पूरा हो चुका है, क्योंकि ये उनके नैसगिंक न्याय से जुड़ा मुद्दा है। माना जा रहा है अगर प्रभावित अधिकारियों के मामले में शासन में फुटबाल की तरह खेली जा रही उनकी फाइल पर निर्णय नहीं आया तो अधिकारी कोर्ट में जाएंगे।

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