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सूबे के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में दवा आपूर्ति ठप

  • केजीएमयू-एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में नहीं हो रही आपूर्ति
  • जीएसटी के बाद टैक्स स्लैब को लेकर बिगड़े हालात

lohiyaबिजनेस लिंक ब्यूरो

लखनऊ। सूबे के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों एसजीपीजीआई, लोहिया आयुॢवज्ञान संस्थान ओर केजीएमयू में जीएसटी लागू होने के बाद दवाओं की आपूर्ति ठप हो गई है। जीएसटी में नये टैक्स स्लैब होने से खरीद प्रक्रिया उलझ गई है। ऐसे में दवा संस्थानों और कंपनियों के बीच नये रेट कांट्रेक्ट को लेकर असमंजस बना हुआ है। इसके चलते संस्थानों में दवा आपूर्ति 20 दिनों से ठप है। दरअसल, इन संस्थानों में सीधे फार्मा कंपनियों से दवायें खरीदी जाती हैं। इसके लिए संस्थान और कंपनियों के बीच दवा व सॢजकल सामान का रेट कांट्रेक्ट होता है। पहले दवाओं पर पांच फीसद टैक्स लगता था। मगर, एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद दवा व सॢजकल सामान पर टैक्स की दरें अलग-अलग निर्धारित कर दी गईं हैं।

जीएसटी के टैक्स स्लैब में दवा व सॢजकल उपकरणों पर पांच से लेकर 18 फीसद तक टैक्स लगाया गया है। वहीं मेडिकल फूड सप्लीमेंट 28 फीसद टैक्स के दायरे में आ गये हैं। ऐसे में कंपनियां अभी आपूॢत होने वाली दवा व सॢजकल उपकरणों में टैक्स का आकलन कर रही हैं कि किस दवा व सॢजकल उपकरण पर क्या टैक्स होगा। वहीं इसके बाद संस्थानों के साथ रेट कांट्रेक्ट लिस्ट में परिवर्तन किया जायेगा। इसके चलते सूबे के इन प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में दवा आपूर्ति ठप है।

गहरा सकता है संकट
लोहिया संस्थान में मेडिसिन आपूर्ति में 70 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। वहीं सॢजकल सामान पीजीआई की आरसी पर खरीदा जाता है। इसके अलावा पीजीआई में 100 के करीब मेडिसिन व 60 के करीब सॢजकल उपकरण आपूर्ति करने के लिए कंपनियां सूचीबद्ध हैं। जबकि केजीएमयू ने लगभग 50 कंपनियों के साथ दवा आपूर्ति का करार कर रखा है। इन सभी कंपनियों से 20 दिन से दवा आपूर्ति नहीं हो रही है। वहीं संस्थानों द्वारा कई बार रिमांडर भेजा जा चुका है। कुछ दिन और ऐसा ही रहा तो कैंसर, यूरो, गैस्ट्रो, हार्ट और किडनी की बीमारियों के अलावा एनेस्थीसिया की कई दवाओं का संकट सूबे के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में गहरा जायेगा।

दवा खरीद को बनेगा कॉरपोरेशन
सरकारी अस्पतालों में दवाओं व उपकरणों की खरीद के तौर- तरीकों में प्रदेश सरकार बड़ा बदलाव लाने जा रही है। दवा खरीद में पारदर्शिता लाने और यह काम विशेषज्ञों से कराने के लिए एक कारपोरेशन बनाने की तैयारी है। नई व्यवस्था लागू करने से पहले मंगलवार को इसका प्रस्तुतिकरण स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और वरिष्ठ अधिकारियों के सामने किया गया। अधिकारियों ने अगली कैबिनेट बैठक से इस योजना को मंजूर कराने की तैयारी की है।

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रेजेंटेशन के बाद दवा खरीद की नई प्रणाली के जरिये घोटालों से निजात मिलने की उम्मीद जताई। मंत्री ने बताया कि अस्पतालों में दवाओं व उपकरणों की खरीद के लिए बनने वाला कारपोरेशन स्वास्थ्य विभाग से जुड़े निर्माण कार्यो की भी जिम्मेदारी उठाएगाए जबकि इसकी निगरानी सरकार करेगी।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एनआरएचएम के तहत हुई गड़बडय़िों और घोटालों से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है। एनआरएचएम के तहत दवाओं व उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर घोटाले सामने आए थे। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रस्तुतिकरण के दौरान कुछ तकनीकी बिंदुओं पर संशोधन करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।

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