शैलेन्द्र यादव
- मुख्य सचिव के तमाम आदेशों के बावजूद कारागार विभाग के बंदी रक्षक संवर्ग को पदोन्नति का इंतजार
- मुख्य सचिव के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले इस आदेश के अनुपालन में जारी हो चुके हैं कई अनुस्मारक
- आयोग ने लगभग दो माह पूर्व भेजी पदोन्नति की सूची, कारागार मुख्यालय दबा कर बैठा
- बंदी रक्षक संवर्ग से होनी है डिप्टी जेलर के पद पर पदोन्नति
लखनऊ। राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता वाले प्रकरण पर मुख्य सचिव अनुस्मारक पर अनुस्मारक जारी कर रहे हैं। बावजूद इसके विभागीय आलम्बरदार हैं कि उनकी कुंभकर्णी नींद टूट नहीं रही है। राज्य सरकार विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों को पदोन्नति देकर रिक्त पदों पर अधिक से अधिक रोजगार सृजन करना चाहती है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये सूबे के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने सर्वाेच्च प्राथमिकता वाले इस प्रकरण पर तीन अगस्त 2017 को राज्य के समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को राज्य सरकार के अधीनस्थ सभी विभागों में पदोन्नति के माध्यम से भर्ती के लिये रिक्त पदों को शीघ्रतापूर्वक भरने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये।
मुख्य सचिव के इस पत्र में लिखा है, वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में पदोन्नति के माध्यम से भरी जाने वाली समस्त रिक्तियों का आगणन करने की कार्यवाही एक माह में पूरी की जाय। जब मुख्य सचिव द्वारा निर्धारित समय सीमा एक माह में इस आदेश पर अपेक्षित कार्यवाही नहीं हुई, तो आठ सितम्बर 2017 को मुख्य सचिव ने सर्वोच्च प्राथमिकता वाले दूसरे अनुस्मारक में इस कार्य की समय सीमा बढ़ाकर 15 सितम्बर 2017 करते हुये लिखा, पूर्व में दिये गये निर्देश पर वांछित कार्यवाही सभी विभागों द्वारा अभी तक की गयी प्रतीत नहीं होती है। इस बार समस्त रिक्तियों का आगणन कर पदोन्नति की कार्यवाही 15 सितम्बर तक पूरी करने के निर्देश दिये।
इस समय सीमा में भी जब सरकार की शीर्ष प्राथमिकता वाले इस प्रकरण पर जिम्मेदारों की उपेक्षा बरकरार रही तो मुख्य सचिव ने 26 सितम्बर 2017 को एक और सर्वोच्च प्राथमिकता वाला तीसरा अनुस्मारक जारी कर समस्त रिक्तियों का आगणन, पदोन्नति की कार्यवाही पूर्ण कराने और इससे संबंधित सम्पूर्ण सूचना कार्मिक विभाग को 15 अक्टूबर 2017 तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिये।
सूत्रों की मानें तो अभी तक कई ऐसे विभाग हैं जहां मुख्य सचिव के इस तीसरे अनुस्मारक पर भी कार्यवाही होना मुश्किल है। तीसरी बार बढ़ाई गई समय सीमा में भी सभी विभाग कार्मिक विभाग को सूचना उपलब्ध कराने में सफल होंगे इसकी उम्मीद कम है। मुख्य सचिव ने चयन वर्ष 2017-18 के लिये आगणित रिक्तियों के सापेक्ष पदोन्नति हेतु संस्तुत किये गये कार्मिकों का संक्षिप्त विवरण काॢमक विभाग को भेजने के स्पष्ट निर्देश दिये हैं। इस विवरण में वर्ष2017-18 हेतु रिक्तियों की संख्या, पदोन्नति के लिये संस्तुत कार्मिकों की संख्या और पदोन्नति प्रदान किये जा चुके कार्मिकों की संख्या सभी विभागों से तलब की गई है।
राज्य सरकार के इस सर्वोच्च प्राथमिकता वाले प्रकरण पर कई विभागीय प्रबंध तंत्रों की सुस्ती बरकरार है। कारागार विभाग के सूत्रों की मानें तो विभाग में डिप्टी जेलर के 60 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और 40 फीसदी बंदी रक्षक संवर्ग की पदोन्नति से भरे जाने की व्यवस्था है। लगभग दो माह पूर्व अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग, इलाहाबाद ने डिप्टी जेलर के पद पर पदोन्नति के लिये पात्र कार्मिकों की सूची कारागार मुख्यालय को भेजी थी। तब से यह सूची शासन और मुख्यालय के बीच घूम रही है।
आयोग ने जब यह सूची मुख्यालय भेजी उस समय तक बंदी रक्षक संवर्ग से भरे जाने वाले डिप्टी जेलर के 160 पद रिक्त थे। जबकि पात्र कर्मचारी महज 120 थे। इस लिहाज से सभी पात्र काॢमकों को पदोन्नति मिलनी चाहिये थी, लेकिन बीते दिनों जिम्मेदारों ने महज 90 बंदी रक्षक संवर्ग के कार्मिकों को पदोन्नति देकर इतिश्री कर ली। विभाग में बंदी रक्षक संवर्ग के अभी लगभग 70 डिप्टी जेलर के पद रिक्त हैं। इसके सापेक्ष पात्र कार्मिक कम हैं। बावजूद इसके सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल रोजगार सृजन वाया पदोन्नति अभी तक नहीं हुई है।
सूत्रों की मानें तो विभागीय सुस्ती का आलम यह है कि बंदी रक्षक संवर्ग के कई ऐसे पात्र कार्मिक हैं जो लगभग डेढ़ दशक से डिप्टी जेलर बनने का इंतजार कर रहे हैं। बीते दिनों विभाग ने एक ऐसा कारनामा किया, जिसकी टीस जनपद मुजफ्फरनगर कारागार में तैनात बंदी रक्षक संवर्ग के एक कर्मचारी को मरते दम तक रहेगी। विभाग ने इस कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के महज चार दिन पहले पदोन्नति दी। इस कर्मचारी का नाम आयोग द्वारा भेजी गई उस सूची में शामिल था, जो शासन और मुख्यालय की परिक्रमा लगा रही है।