वाहनों के प्रदूषण की जांच का ब्यौरा होगा ऑनलाइन
सूबे में महज 777 पीयूसी सेंटर, लखनऊ में 112 तो महराजगंज में एक भी नहीं है केंद्र
आरटीओ, एआरटीओ कार्यालय आने वाले सभी वाहनों के प्रदूषण की जांच का है नियम
वाहन के प्रदूषण की जांच में खानापूर्ति के चलते बढ़ रहा वायु प्रदूषण
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। अब गाडिय़ों के प्रदूषण की जांच कैमरे की निगरानी में होगी। ऐसे में गाडिय़ों से निकलने वाला जहरीला धुआं पर्यावरण को प्रदूषित नहीं कर सकेगा। परिवहन विभाग ने गाडिय़ों से निकलने वाले जहरीले धुएं से बढ़ रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह विशेष तैयारी की है। जिसके तहत हर एक गाड़ी का पॉल्यूशन अंडर सर्टिफिकेट (पीयूसी) ऑनलाइन होगा। यही नहीं गाडिय़ों में प्रदूषण की जांच भी तीसरी आंख की निगरानी में होगी। जांच करने वालों को हर गाड़ी का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन देना होगा। वहीं वाहन मालिक को भी नेट से निकलने वाला प्रिंट जारी करना होगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में राजधानी के साथ ही कई शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि राजधानी में कई बार प्रदूषण का स्तर सबसे ऊपर पहुंच गया। ऐसे में केंद्रीय परिहवन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने परिवहन विभाग को पत्र लिख कर प्रदेश में गाडिय़ों से निकलने वाले विषैले धुएं पर रोक लगाने के निर्देश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि बढ़ते प्रदूषण पर रोकथाम के लिए प्रभावी कदम न उठाए जाने का ही नतीजा है कि प्रदेश समेत अन्य जनपदों में वायु प्रदूषण के हालात भयावह होते जा रहे हैं। खासकर डीजल से संचालित वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं पर्यावरण को अधिक प्रदूषित कर रहा है। ग्रीन बेल्ट होने के बावजूद राजधानी क्षेत्र में धड़ल्ले से डीजल चालित टेम्पो व टैक्सी का संचालन हो रहा है। जिस पर रोकथाम नहीं लग पा रही है। वहीं प्रदूषण जांच केंद्रों के महज खानापूर्ति जैसे कार्यकलाप प्रदूषण बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं। केंद्र के निर्देश के उठाया जा रहा यह कदम कितना प्रभावी साबित होगा यह देखने वाली बात होगी।
राजधानी में 112 तो महाराजगंज में एक भी नहीं
प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कहीं आधा दर्जन तो कहीं दर्जनों प्रदूषण जांच केंद्र बने हैं। लखनऊ में 112 सेंटर हैं जबकि महाराजगंज ऐसा जनपद है जहां पर एक भी प्रदूषण जांच केंद्र नहीं है। ऐसे में चेकिंग अभियान के दौरान प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का चालान होना नामुमकिन है। परिवहन विभाग ने नए सेंटर खोलने की तैयारी की है, साथ ही दो पहिया और चार पहिया वाहनों के सर्विसिंग सेंटर को भी प्रदूषण जांच केंद्र बनाए जाने की तैयारी है।
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कसेगा शिकंजा
आगामी दिनों में परिवहन विभाग प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर शिकंजा कसेगा। ऐसे वाहनों की जांच के लिए परिवहन विभाग अभियान चलाएगा। चेकिंग अभियान के दौरान जिसके पास पीयूसी नहीं होगा, उससे 1000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। नियम यह है कि आरटीओ कार्यालय और एआरटीओ कार्यालय आने वाले सभी वाहनों का प्रदूषण चेक किया जाए, भले ही वह वहां पर किसी भी अन्य काम से पहुंचा हो। प्रदूषण के लिए जारी किया जाने वाला सर्टिफिकेट न होने पर 1000 रुपए जुर्माना लगाया जाए।
साफ्टवेयर तैयार, परीक्षण बाकी
केंद्र सरकार ने इसके लिए अलग सॉफ्टवेयर तैयार करने के साथ ही प्रदूषण की ऑनलाइन निगरानी की भी व्यवस्था करने को निर्देशित किया है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार साफ्टवेयर लगभग बनकर तैयार है। केवल परीक्षण कराना बाकी रह गया है। अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण जांच केंद्रों को ऑनलाइन किए जाने से जैसे ही प्रदेश में किसी भी जगह गाड़ी के लिए पीयूसी जारी किया जाएगा, उसका पूरा ब्यौरा ऑटोमेटिक ऑनलाइन आ जाएगा। पीयूसी जारी करने की डेट, वैधता, गाड़ी का नंबर और मालिक का नाम, पता सब ऑनलाइन दिखायी पडऩे लगेगा।
ऑनलाइन होगा पूरा ब्यौरा
वाहन में प्रदूषण की जांच भी अब कैमरे की निगरानी में होगी। जांच प्रक्रिया का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन सेव होगा। ऐसे में कोई भी वाहन चालक फर्जी पीयूसी का प्रयोग नहीं कर सकेगा। चेकिंग के दौरान सारा ब्यौरा सामने आ जाएगा। प्रदेश भर में इस समय महज 777 पीयूसी सेंटर्स बने हुए हैं। जबकि राजधानी में ही सभी प्रकार के वाहनों की कुल संख्या मौजूदा समय में 22 लाख से अधिक है। वहीं इन सेंटरों में भी कौन से काम कर रहे हैं और कौन से नहीं, इसकी भी जानकारी परिवहन विभाग के पास नहीं है। सभी सेंटर्स की जानकारी भी ऑनलाइन होगी। यदि किसी सेंटर में किसी तरह की खराबी आती है तो उसे ऑनलाइन डिटेल देनी होगी।
उ उत्तर प्रदेश में पाल्यूशन सेंटर – 777
उ लखनऊ में 112
उ महराजगंज में एक भी नहीं
उ दो पहिया वाहन प्रदूषण जांच शुल्क – 30 रुपए प्रति वाहन
उ चार पहिया और इससे ऊपर – 50 रुपए प्रति वाहन
प्रदूषण की जांच की व्यवस्था ऑनलाइन होने जा रही है। इससे हर वाहन के प्रदूषण के स्तर की जानकारी भी ऑनलाइन हो जाएगी। साथ ही यह भी पता चलता रहेगा कि किस गाड़ी के पास पीयूसी नहीं है। पीयूसी न होने पर जुर्माना वसूल किया जाएगा।
पी. गुरु प्रसाद, परिवहन आयुक्त