कक्षा आठ पास बनवा सकेंगे मोटरबोट चलवाने का लाइसेंस
प्रदेश में जल परिवहन की तैयारियां शुरू कजल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए बनी कमेटी
आरटीओ विभाग के साथ मिल कर काम करेगा जल परिवहन विभाग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में यदि आप जल परिवहन सेवा में शामिल मोटर बोट चलाकर उससे जीविकोपार्जन करना चाहते हैं तो इसके लिए अब आपको लाइसेंस लेना होगा। लंबे अर्से से इस विषय को लेकर मंथन चल रहा था। कक्षा आठ पास व्यक्ति लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके साथ ही उसे स्वीमिंग और लाइफ सेविंग भी आना जरूरी है। राजधानी में जल परिवहन सेवा शुरू करने की तैयारी तेजी से की जा रही है। परिवहन विभाग को जल परिवहन सेवा को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए परिवहन विभाग ने एक महिला एटीसी को इसकी कमान सौंप दी है। वह इंडियन वॉटर वेज के अधिकारियों के साथ मिल कर प्रोजेक्ट तो तैयार कर रही हैं।
तीन मीटर गहरे पानी में हो सकेगा जल परिवहन
विभागीय अधिकारियों के अनुसार जल परिवहन के लिए चलने वाली नावों और मोटरबोट के लिए बहुत अधिक गहरे पानी की जरूरत नहीं है। तीन मीटर गहरे पानी में भी इनका संचालन आसानी से किया जा सकता है। ऐसे में भविष्य में गोमती में भी जल परिवहन के दरवाजे खुल जाएंगे।
तीन सदस्यी टीम गठित
प्रोजेक्ट के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की जा रही है। इस टीम में एडीशनल टीसी रोड सेफ्टी गंगाफल, एडीशनल टीसी अरविंद कुमार पांडेय और प्रोजेक्ट की इंचार्ज एटीसी ममता शर्मा शामिल हैं। यह कमेटी एडीशनल टीसी प्रशासन आशुतोष मोहन अग्निहोत्री के दिशा निर्देशन में जल परिवहन का काम देखेगी। फिलहाल जल परिवहन के लिए जरूरी गाइड लाइन तैयार की जा रही है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो सबसे पहले प्रयागराज में प्रोजेक्ट की शुरुआत होनी है। जल परिवहन विभाग का मुख्यालय फिलहाल परिवहन विभाग का मुख्यालय ही होगा। इसके अलावा जल परिवहन से संबंधी अन्य काम प्रदेश में खुले आरटीओ दफ्तर से ही सम्पन्न कराए जाएंगे।
यह मिलेगा फायदा
जल परिवहन सेवा शुरू होने से सड़क पर वाहनों की भीड़ कम होगी। जाम से राहत मिलेगी। लोगों को भी सफर में आसानी होगी। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वाहनों की संख्या कम होने से पर्यावरण प्रदूषण भी घटेगा। इसके अलावा शहरों का पर्यटन भी बढ़ेगा।
कुंभ में होना है बेहतर प्रयोग
विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रयागराज में होने वाले कुंभ में प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया जाना है। इसके लिए जल परिवहन से जुड़ी नाव और बोट बनाने वाली कंपनियां संपर्क कर रही हैं। उनके मॉडल कुंभ के दौरान प्रदर्शित किए जाएंगे। वहां यह यात्रियों को ढोने का काम करेंगे। अब तक इस योजना से संबंधित कई गाइड लाइन तैयार की गई, लेकिन उस पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है।
यह होगी गाइड लाइन
शहर के किसी भी पार्क और नदी में चलने वाली एक- एक नाव और बोट का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
किस तरह की नाव पर कितने लोग बैठ सकेंगे, इसकी संख्या निर्धारित की जाएगी।
मूर्ति विसर्जन के दौरान भी इसका पालन करना अनिवार्य होगा। इससे मूर्ति विसर्जन के दौरान होने वाले हादसों पर लगाम लगाई जा सकेगी। ओवर लोडिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वाहनों के नंबर की तरह ही उनके नंबर दिए जाएंगे।
इनको चलाने वाले चालकों को भी लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले को आठवीं पास होना चाहिए। साथ ही वह लाइफ सेवर का कोर्स भी किये हों।
जितनी दूर में जल परिवहन सेवा संचालित की जाएगी, उनके बीच में जगह-जगह पर लाइफ सेवर भी तैनात किए जाएंगे।
प्रवर्तन के लिए जल पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों को तैनात किया जाएगा।
सभी जल परिवहन सेवा के लिए निर्धारित दूरी पर एक जल एंबुलेंस तैनात की जाएगी।
जल परिवहन सेवा की शुरुआत अनुबंध के आधार पर होगी। ऐसे में इस फील्ड से जुड़े लोग अपनी बोट और नावों के संचालन के लिए परिवहन विभाग से संपर्क करेंगे। उसके बाद उन्हें संबंधित रूट के परमिट दिए जाएंगे।
अलग-अलग नदियों में चलने वाली बोट और नावों का कलर भी अलग होगा, जिससे जो बोट जहां चल रही है, उनका संचालन वहीं हो। वह कहीं अन्य अतिक्रमण कर संचालित ना की जाए।
जल परिवहन की व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए विभाग के एक अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है। अब वह कमेटी बनाकर इसकी गाइड लाइन तैयार कर रही हैं।
पी. गुरु प्रसाद, परिवहन आयुक्त, परिवहन विभाग