योगगुरु बाबा रामदेव की अगुआई वाली पतंजलि के आयुर्वेद उत्पादों पर GST की ऊंची दर लगाये जाने से गुस्से में है. योगगुरु ने सरकार से पूछा है कि बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार के बिना लोग ‘अच्छे दिन’ को कैसे महसूस कर और जी सकते हैं. कंपनी का कहना है कि आयुर्वेद उत्पाद के जरिये आम लोगों को सस्ती दर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकती हैं.
उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ मैनुफैक्चरर्स ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन्स (एएमएएम) ने भी कहा कि एक तरफ जहां सरकार आक्रमक तरीके से वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा दे रही है. वहीं, GST के तहत अधिक कर से कुदरती दवाएं महंगी होंगी तथा आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जायेंगी.
संगठन ने कहा कि प्रस्तावित 12 फीसदी के बजाय परंपरागत आयुर्वेदिक या जेनेरिक दवाएं शून्य और पेटेंटशुदा उत्पादों के लिये 5 फीसदी होना चाहिए. फिलहाल, आयुर्वेदिक दवाएं और उत्पादों वैट समेत कुल कर प्रभाव 7 फीसदी है, जो औषधि पर निर्भर है. जीएसटी व्यवस्था के तहत इन औषधियों पर 12 फीसदी कर रखा गया है.
पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड तथा पतंजलि योगपीठ के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने ई-मेल के जरिये कहा कि आयुर्वेदिक श्रेणी पर उच्च GST दर से हमें अचंभा हुआ और यह हमारे लिए निराशाजनक तथा दु:खद है. उन्होंने आगे कहा कि आयुर्वेद आम लोगों को सस्ती दर पर इलाज सुविधा उपलब्ध कराता है, यह सदियों से इलाज का परखा का हुआ जरिया है. ऐसे में उच्च कर लगाना उपयुक्त नहीं है.
पंतजलि आयुर्वेद के तिजारावाला ने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य और स्वस्थ्य जीवन आम लोगों का मूल अधिकार है. इसके बिना कोई कैसे अच्छे दिन को महसूस कर सकता है. वहीं, एएमएएम के महासचिव प्रदीप मुलतानी ने इसी प्रकार की राय जाहिर करते हुए कहा कि भारत सरकार आक्रमक तरीके से आयुर्वेदिक उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दे रही है, लेकिन ऊंची कर लगाने के बाद इसका क्या मतलब है और देश में लोग इसका वहन नहीं कर सकते?
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री आयुष को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रहे हैं, ऐसे में उक्त कदम दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे पहले, रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली डाबर इंडिया ने भी नये कर ढांचे को लेकर अप्रसन्नता जतायी है. उसने कहा कि इसका आयुर्वेदिक दवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.