पांच हजार बसों के अनुबंध के लिए आए महज सौ आवेदन
परिवहन निगम ने 15 जून तक बढ़ायी आवेदन की तिथि
लखनऊ। बसों की कमी के चलते प्रदेश भर के गांवों से लखनऊ को जोडऩे की परिवहन निगम की योजना धराशाई होती नजर आ रही है। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे में गांव-गांव से रोडवेज बसों का संचालन हो पाना मुश्किल दिखायी पड़ रहा है। स्वतंत्रदेव सिंह के परिवहन मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद से ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने गांवों, कस्बों को जिला मुख्यालय से जोडऩे के लिए कवायद शुरू कर दी थी। गांव-गांव से रोडवेज बसें चलाने के लिए परिवहन विभाग व रोडवेज के अफसरों ने संयुक्त सर्वे कर रिपोर्ट निगम मुख्यालय को भेजी थी। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के संचालन से जुड़े शीर्ष अधिकारियों ने गांव-गांव से बसें चलाने के लिए कवायद शुरू की, लेकिन इस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा पा रहा है। जिला मुख्यालय से गांव-गांव बसें चलाने के लिए उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम प्रबंधन को बसें नहीं मिल रही हैं। स्थिति यह है कि 30 मई तक प्रदेश भर में पांच हजार बसें अनुबंध करने की तैयारी थी, जिसमें से मात्र सौ बसें अनुबंधित करने के लिए टेंडर फार्म बिके हैं। ऐसे में 100 दिन के अंदर गांव-गांव बस सेवा शुरू करने का लक्ष्य उम्मीद से कोसो दूर नजर आ रहा है। नई बसों को खरीदने के लिए जहां परिवहन निगम के पास धनराशि नहीं है तो वहीं अनुबंधित बसों के लिए निजी आपरेटरों से मांगे गए आवेदन भी नहीं आ रहे हैं। जिसकेचलते परिवहन निगम ने एक बार फिर से अनुबंधित बसों के आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। बताते चलें कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में यह दावा किया था कि सरकार बनने के सौ दिन के अंदर वह प्रदेश भर के गांवों को शहरों और परिवहन निगम मुख्यालय लखनऊ से जोड़ देंगे। इसके लिए आठ हजार अतिरिक्त बसों की आवश्यकता है। परिवहन निगम ने प्रदेश के 40 हजार गांव और रूट का ब्यौरा तो तैयार कर लिया है, लेकिन इन पर संचालन के लिए परिवहन निगम के पास बसें नहीं हैं। बसों के अभाव में परिवहन निगम के अधिकारियों ने अनुबंधित बसों का बेड़ा बढ़ाने की तैयारी कर ली और इसके लिए आवेदन मांगे हैं। लेकिन निजी बस ऑपरेटर गांव-गांव जोडऩे की योजना से दूर भाग रहे हैं। उनका मानना है कि यह योजना मात्र दिखावा है।
निजी आपरेटरों को रास नहीं आ रही योजना
भाजपा के संकल्प पत्र में गांव-गांव से बसों को जोडऩे की महत्वाकांक्षी योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रबंधन ने ऐसी योजना बनायी है, जो बस आपरेटरों को रास नहीं आ रही है, जिससे बसों का अनुबंध नहीं हो रहा है। योजना को अमलीजामा पहनाने में निगम मुख्यालय में अफसरों का एक वर्ग नहीं चाहता है कि रोडवेज के बेड़े में अनुबंधित बसों की संख्या बढ़ें। निजी आपरेटरों का कहना है कि रोडवेज प्रबंधन ने ग्रामीण अनुबंधित बस योजना-2017 ऐसी बनायी है, जो निजी बस आपरेटरों को रास नहीं आ रही है। इस योजना में बसें अनुबंध करने की जो शर्ते हैं उसे देखकर निजी बस अपरेटर दूर भाग रहे हैं। अ श्रेणी के तहत बस 65 फीसद ग्रामीण व 35 फीसद मुख्य मार्ग पर और ब श्रेणी में केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही बसें चलायी जाएंगी।
योजना की होगी समीक्षा
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के. रविंद्र नायक के मुताबिक पहले से ही गांवों में बसें चल रही थी। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए दो महीने में पुरानी रोडवेज बसों से दो हजार अतिरिक्त गांवों से बसों का संचालन शुरू किया गया है। आने वाले कुछ दिनों में सवा दो सौ गांवों से और रोडवेज बसें चलेंगी। रियायती दरों पर अनुबंधित बसों के लिए योजना लायी गयी थी, इसके बाद भी अगर बस आपरेटर नहीं आ रहे हैं तो इसकी समीक्षा की जा रही है।
15 जून तक करें आवेदन
गांव-गांव तक बस चलाने के लिए परिवहन निगम ने अनुबंधित बसों के लिए पहले 25 मई तक आवेदन जमा किए जाने की अंतिम तारीख तय की थी। बसें न आने पर इसकी अंतिम तिथि 30 मई की गयी थी। लेकिन फिर भी आवेदन न आने से परिवहन निगम ने अनुबंधित बसों के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 15 जून कर दी है। बीते करीब तीन सप्ताह से मांगे जा रहे अनुबंध के लिए आवेदन का हाल यह है कि पांच हजार बसों के मुकाबले अब तक सौ लोगों ने ही आवेदन किया है।
लखनऊ रीजन में 20 आवेदन
लखनऊ रीजन में ग्रामीण बस सेवा के लिए 20 आवेदन आए हैं। लखनऊ रीजन के अंतर्गत कुल 22 रूट चिन्हित किए गए हैं। फिलहाल 15 जून तक आवेदन की तिथि बढाए जाने के बाद इसकी संख्या में इजाफा होने की उम्मीद जतायी जा रही है।
-प्रदेश के सभी गांवों से लखनऊ तक बसों का संचालन किया जाना है। इसके लिए बसों का अनुबंध किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगले 10 दिनों में बसों की पर्याप्त व्यवस्था हो जाएगाी।
एचएस गाबा, मुख्य प्रधान प्रबंधक, संचालन परिवहन निगम