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उद्योग नीति में छोटे उद्योगों की उपेक्षा

  • आईआईए की मांग, सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिये बने अलग औद्योगिक नीति
  • एमएसएमई सेक्टर को विशेष प्रोत्साहन दिये बिना सफल नहीं हो सकता मेक इन यूपी अभियान

IIA Logo PNGबिजनेस लिंक ब्यूरो

लखनऊ। इण्डियन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी इण्डस्ट्रीयल इन्वेस्टमेन्ट एवं इम्प्लाइमेन्ट नीति-२०१७ में लघु उद्योगो के उत्थान के लिये पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया है। यह नीति बड़े उद्योगों और बड़े स्तर पर निवेश को आकर्षित करने के लिये बनाई गई है।

आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया सर्व विदित है कि उद्योगो में सबसे अधिक रोजगार एमएसएमई सेक्टर प्रदान करता है, न कि लार्ज स्केल सेक्टर। देश की अर्थव्यवस्था में, औद्योगिक उत्पादन में और निर्यात में भी एमएसएमई सेक्टर की भागीदारी लार्ज स्केल सेक्टर के लगभग बराबर है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये यह आवश्यक है कि एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये भी उतने ही प्रयास किये जाये जितने प्रदेश सरकार ने नई औद्योगिक नीति में लार्ज स्केल सेक्टर के लिये किये हैं। आईआईए अध्यक्ष ने प्रमुख सचिव एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन के साथ हुई एक बैठक में यह तथ्य साझा किये।

सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास के लिये अलग औद्योगिक नीति बनाने के लिये आईआईए ने सरकार से मॉग की है। इस मॉग का एक आधार यह भी है कि भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 52,38,568 एमएसएमई उद्यम हैं जो एक करोड़ 14 लाख व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। यदि एक परिवार में औसतन 5 सदस्य मानकर चले तो उत्तर प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर लगभग 5 करोड़ 70 लाख जनसंख्या का भरण-पोषण कर रहा है जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का एक चौथाई से अधिक है।

आईआईए अध्यक्ष ने बताया यह क्षेत्र प्रदेश की आॢथक प्रगति और विकास के लिये महत्वपूर्ण है। वर्तमान में देश की इकोनॉमी में उत्तर प्रदेश का योगदान 8.4 प्रतिशत है जो कि प्रदेश की कुल जनसंख्या की भागीदारी 16.5 प्रतिशत से आधा है। आईआईए अध्यक्ष ने कहा, नेशनल इकोनॉमी में उत्तर प्रदेश की भागीदारी जनसंख्या के अनुपात के स्तर तक लाये जाने के प्रयास किये जाने चाहिए। प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर की प्रगति की अपार सम्भावनाये हैं जिससे जनसंख्या और नेशनल इकोनॉमी में भागीदारी में अन्तर को कम करने में बहुत सहायता मिल सकती है। प्रदेश में अलग एमएसएमई पॉलिसी बनाये जाने के लिये आईआईए ने विस्तृत अनुसंधान एवं स्टडी कर एक स्वेत पत्र तैयार किया है।

इस स्वेत पत्र को बनाने के लिये आईआईए ने उत्तर प्रदेश सहित देश के 15 राज्यों गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, आन्ध्रप्रदेश मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तराखण्ड, उड़ीसा, केरल, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र राज्यों की औद्योगिक नीतियों का अध्ययन किया है। इनमें से अधिकतर राज्यों में एमएसएमई उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये अनेक उपाये किये गये हैं। उत्तराखण्ड में भी एमएसएमई के लिये अलग एवं प्रभावी नीति का सृजन किया गया है जिससे वहॉ पर इस सेक्टर में अच्छा निवेश हो रहा है और लघु उद्यमी खुश है।

इन राज्यों में विद्यमान एमएसएमई से सम्बन्धित नीतियों को विशेष रूप से देखा गया है जिसके आधार पर अच्छी नीतियों एवं प्रक्रियाओं का विशलेषण कर संस्तुतियॉ स्वेत पत्र में प्रस्तुत की गयी है। इसके अलावा स्वेत पत्र तैयार करने में एमएसएमई उद्यमियों, उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों एवं विशेषज्ञों की राय को भी सम्मिलित किया गया है। 5 जुलाई 2017 को जब आईआईए का प्रतिनिधि मण्डल सूबे के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन उत्तर प्रदेश सरकार से मिला तब इस श्वेत पत्र की प्रतिलिपि अधिकारियों को सौंपी।

इस अवसर पर आईआईए प्रतिनिधियों ने कहा उद्योग बन्धु छोटे उद्यमियों की समस्याओं के समाधान के लिये पूर्व में बहुत ही उपयोग संस्था रही है, परन्तु विगत कई वर्षो से इस महत्वपूर्ण संस्था में लघु उद्यमियों की अपेक्षाओं के अनुसार कार्य नही हो रहा है। इसमें सुधार की सख्त आवश्यकता है।

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