- हाल-ए-केजीएमयू
- सीवीटीएस व रेडियोलॉजी समेत कई विभाग में करोड़ों के उपकरण फांक रहे धूल
- एक ही फर्म से पीजीआई से डेढ़ गुना अधिक कीमत पर खरीद लिए वेंटीलेटर
- कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, रजिस्ट्रार ने मामले की जानकारी होने से किया इंकार
लखनऊ। किंगजार्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय (केजीएमयू)में उपकरणों की खरीद में फिर एक बार घोटाले का मामला सामने आया है। चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर डेढ़ गुना से अधिक कीमत पर ऐसे उपकरणों की भी खरीद कर ली गई, जो सालों बाद भी उपयोग के अभाव में धंूल फांक रहे हैं। जबकि यहां इलाज की आस पहुंचने वाले मरीज दवा, जांच व इलाज के लिए पूरे साल भटकते रहे। बावजूद इसके इसके केजीएमयू प्रशासन ने आवश्यक कदम उठाने के बजाए 96 करोड़ रुपए पीएलए में रखे रहा और कर्मचारियों के वेतन भत्ते के बजट की 60 करोड़ की धनराशि से संस्थान विद्युत बिल, हाउस टैक्स चुका दिया।
केजीएमयू प्रशासन ने वर्ष-2015 के अगस्त माह में गंभीर मरीजों के लिए 15 वेंटीलेटर की खरीद की गई। प्रति नग वेंटीलेटर के लिए केजीएमयू की ओर से 24.42 लाख भुगतान किया गया। संस्थान की ओर से इसके लिए आपूर्तिकर्ता को कुल 3.66 करोड़ का भुगतान किया गया है। जबकि एसजीपीजीआई में इसी आपूर्तिकर्ता द्वारा मार्च 2015 में 18.36 लाख प्रति वेंटीलेटर नग से आपूर्ति की गई। इसका खुलासा कैग की आंतरिक रिपोर्ट में भी हो चुका है।
रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि वर्ष-2014 में सीवीटीएस विभाग में दिल के मरीजों के प्रत्यारोपण के लिए लेफ्ïट वेंट्री क्यूलर एसीर डिवाइज एलवीएडी मशीन को 93.80 लाख रूपए खर्च दिए। जो बीते दो उपयोग के अभाव में धूल फांक रही है। जबकि नियमानुसार मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम-2014 के तहत संस्थान को पहले फेफड़े व हृदय के प्रत्यारोण की अनुमति लेना आवश्यक था। लेकिन संस्थान प्रशासन ने नियमों को ताक पर रखकर कमीशनखोरी के लिए मशीन को खरीद लिया। इसी तरह नेफ्रोलॉजी में डायलिसिस यूनिट से संबंधित उपकरण, रेडियो अंकोलॉजी में लीनियर एक्सीलेटर, कोबाल्ट टेलीथेरेपी तथा ब्रेकीथेरेपी, माइक्रोबायोलॉजी में बीएसएल-3 आदि करोड़ों रूपए के दर्जनों ऐसे उपकरण हैं जो खरीदारी के सालों बाद भी विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में धूल फांक रहे हैं।
उपकरणों की खरीद फरोख्त मेें धांधली के संबंध में कैग की रिपोर्ट की जानकारी मिली है। लेकिन मेरा उपकरणों की खरीदारी से कोई वास्ता ही नहीं रहा।
उमेश मिश्रा, रजिस्ट्रार, केजीएमयू
उपकरणों की खरीद का ब्योरा तलब
पिछले पांच साल में सरकारी अस्पतालों के लिए की गई चिकित्सीय उपकरणों व वस्तुओं की खरीदारी व इसके लिए जारी किए गए बजट का ब्योरा तलब किया है। कोर्ट ने इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों व विभिन्न अस्पतालों के सीएमओ और सीएमएस को अलग-अलग शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने इनरव्हील क्लब डॉटर ऑफ दुर्गा नाम के संगठन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में विभिन्न जनपदों के सरकारी अस्पतालों के लिए की गई सामानों की खरीदारी में घोटाले का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच व कैग से ऑडिट करवाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि विभिन्न जनपदों के सरकारी अस्पतालों के अपग्रेडेशन के लिए खरीदे गए सामानों में भारी घोटाला हुआ है। सामान बाजार दर से 600 से 800 प्रतिशत ज्यादा महंगे खरीदे गए हैं। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुएए प्रमुख सचिव व महानिदेशक इत्यादि उच्च अधिकारियों को अलग-अलग हलफनामा दाखिल कर उपकरणों के खरीद के संबंध में जारी बजट का ब्योरा देने और उपकरणों की कीमत बताने को कहा है। इसके साथ खरीदी गई वस्तुओं व उनके कीमतों की जानकारी व उनके वर्तमान वॢकंग स्टेटस की भी जानकारी देने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।