नियामक आयोग के आदेशों को लागू नहीं कर रहा पावर कॉरपोरेशन
सुविधाओं का लाभ न मिलने से परेशान हैं उपभोक्ता
पंकज पांडेय
लखनऊ। उपभोक्ताओं को सहूलियत देने में पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन फिसड्डी साबित हो रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बिजली के दाम बढ़ाने में जरा सी भी देरी न करने वाले पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन को उपभोक्ताओं को सुविधाएं मुहैया कराने की फिक्र नहीं है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के स्पष्ट आदेशों के बावजूद प्रबंधन उन्हें लागू करने में हीला-हवाली कर रहा है। कॉरपोरेशन की इस कार्यशैली से आयोग नाराज भी हुआ। कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा सालाना बिजली के दाम बढ़ाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव को मंजूरी के साथ ही आयोग उपभोक्ताओं को तमाम सहूलियतें देने के भी आदेश देता रहा है लेकिन, महीनों बाद भी पावर कॉरपोरेशन ज्यादातर आदेशों को अमली जामा पहनाने से बचता ही रहा। आयोग की हरी झंडी पर प्रबंधन ने रेग्यूलेटरी सरचार्ज के साथ ही वर्ष 2015-16 में औसतन 7.37 फीसदी और पिछले वित्तीय वर्ष में औसतन 3.18 फीसदी बिजली की दर तो बढ़ाकर लागू कर दी लेकिन उसने आधा दर्जन से अधिक उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सुविधाओं से संबंधित आयोग के आदेश को लागू नहीं किया। इस पर नियामक आयोग के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा ने नाराजगी जताते हुए ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई करने की बात कही थी। वहीं आयोग ने प्रीपेड मीटरिंग के मामले में बीते दो मई को पावर कॉरपोरेशन के साथ ही सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबंध निदेशकों, मीटर और साफ्टवेयर संबंधी कंपनी के प्रतिनिधियों को तलब भी किया था। लेकिन उसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका।
फाइल तक सीमित रह गये आदेश
नियामक आयोग ने प्रीपेड मीटर को ऑनलाइन रिचार्ज करने की सुविधा मुहैया कराने के लिए कॉरपोरेशन को पिछले वर्ष ही आदेश दिया था लेकिन, अब तक यह सुविधा उपभोक्ताओं को नहीं मिल सकी है। जबकि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा देने और फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ट्रस्ट बिलिंग व ऑनलाइन कनेक्शन देने तक की बात कह रहे हैं।
1.25 फीसदी की नहीं मिल रही छूट
नियामक आयोग ने प्रीपेड मीटर वाले विद्युत उपभोक्ताओं को तय बिजली दरों में 1.25 फीसदी की छूट देने का आदेश दिया है लेकिन, यह लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। प्रीपेड मीटर योजना को बड़े ही जोरशोर से कॉरपोरेशन ने शुरु किया था। लेकिन योजना अधिकारियों की लापरवाही भेंट शुरुआत में ही चढ़ गयी। चिन्हित किये गये रीचार्ज प्वाइंट आज तक खोले नहीं जा सके।
ऑनलाइन बिल जमा करने पर छूट
नियामक आयोग ने ऑनलाइन बिलिंग भुगतान को बढ़ावा देने के लिए यह आदेश दिया था। ताकि रोजाना सर्वर डाउन रहने से उपभोक्ताओं को बिलिंग काउंटरों पर खड़े होकर परेशानी न झेलनी पड़ी। आयोग ने ऑनलाइन भुगतान पर किसी तरह का ट्रांजेक्शन चार्ज न लगाने का आदेश दिया था। आयोग ने कहा था कि चार हजार रुपये तक के बिल का डेबिट-क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर लगने वाले चार्ज को खुद कॉरपोरेशन उठाए लेकिन, इस दिशा में भी अब तक कुछ नहीं किया जा सका है।
एडवांस बिल देने पर ब्याज
नियामक आयोग ने बिजली बिल के एडवांस पेमेंट (अग्रिम भुगतान) के अलावा बिल के संशोधन, समायोजन व निर्धारण पर ज्यादा जमा धनराशि पर भी उपभोक्तओं को ब्याज देने का आदेश दिया था। लेकिन उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिल रहा है। आयोग ने रिजर्व बैंक की दर पर ब्याज उसी तरह से उपभोक्ताओं को देने के लिए कह रखा है जैसे सिक्योरिटी डिपॉजिट पर मिलता है।
सोलर पावर प्लांट लगाने पर छूट
आयोग ने वाणिज्यिक उपभोक्ताओं द्वारा कुल विद्युत भार के बराबर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने पर उन्हें मासिक न्यूनतम प्रभार देने से छूट का आदेश दिया था। लेकिन छूट देने की व्यवस्था कॉरपोरेशन ने लागू नहीं की है। सोलर प्लांट होने पर नेट मीटरिंग की ऑनलाइन बिलिंग की सुविधा भी अभी नहीं है।
सोलर वाटर हीटर होने पर छूट
सोलर वाटर हीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को आयोग ने 100 रुपये प्रतिमाह की छूट बिल में देने का आदेश दिया लेकिन यह काम भी शुरू नहीं हो सका।
जिनके लिए योजना उनको नहीं मिला लाभ
नियामक आयोग ने प्रीपेड मीटर की योजना झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले और पटरी दुकानदारों के लिए शुरु की थी। लेकिन योजना शुरु होने से अब तक इसका लाभ न तो झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को मिल सका और न ही पटरी दुकानदारों को। 2015 में शुरु हुई यह योजना वर्तमान समय में दम तोड़ती नजर आ रही है। कई तकनीकी खामियों के साथ शुरु हुई प्रीपेड मीटर योजना की खामियां आज तक दूर नहीं की जा सकीं। जिन कुछ उपभोक्ताओं ने प्रीपेड मीटर लगवाए भी तो उन्हें रीचार्ज के लिए आज भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।