शैलेन्द्र यादव
- फण्ड की कमी बनी यूपी स्वान के इंजीनियरों की बेरोजगारी का सबब
- जन कल्याणकारी योजनाओं के ऑनलाइन संचालन की थी जिम्मेदारी
- बदली व्यवस्था ने एक अक्टूबर से 647 इंजीनियर का छीना रोजगार
- वर्ष 2005 से यूपी स्वान परियोजना परिसंचालन में तैनात थे 947 इंजीनियर
- देश के सबसे बड़े गवर्नमेंट इंटरनेट नेटवर्क की मॉनिटङ्क्षरग में लगे इंजीनियर हटाये गये
लखनऊ। देश में एक ओर चर्चा तेज है कि हम ऐतिहासिक विश्वव्यापी कामयाबी के शिखर पर अविलम्ब पहुंचने वाले हैं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जनहित में निरंतर कठोर निर्णय भी ले रहे हैं। बावजूद इसके तकनीकि से गति बढ़ाकर प्रगति को अविलम्ब आत्मसात करने के इस दौर में वर्षों से तैनात 647 इंजीनियरों को प्रकाश पर्व के उपहार में बेरोजगारी मिली है। यह चिंतनीय है। वर्ष 2005 में प्रारम्भ हुई उत्तर प्रदेश स्टेट वाइट एरिया नेटवर्क, यूपी स्वान परियोजना में सितम्बर 2017 तक लगभग 971 इंजीनियर अपनी सेवायें दे रहे थे। बीते 12 वर्षों से तैनात इन इंजीनियर्स की शैक्षिक योग्यता बीटेक, एमसीए, एमएससी आईटी-सीएस है। बावजूद इसके आज यह बेरोजगार हैं।
जानकारों की मानें तो 21 सितम्बर 2017 को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में स्वान परियोजना के परिचालन के लिये महज 6 माह का फण्ड स्वीकृत हुआ। एनआईसी ने इस फण्ड से परियोजना संचालन में असमर्थता जताई। एनआईसी ने एक वर्ष या उससे अधिक समय की फंडिंग पर परियोजना परिचालन की बात कही। अन्यथा की स्थिति में एसआईसी ने यूपी डेस्को, यूपीएलसी, सीईजी के द्वारा परियोजना परिचालन करवाने की सलाह भी दी। सूत्रों की मानें तो 24 सितंबर 2017 को राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी ने यूपी के सभी जिला सूचना विज्ञान अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व मेल के द्वारा निर्देशित किया कि बजट के अभाव के कारण 30 सितंबर के बाद यूपी स्वान परियोजना में तैनात इंजीनियर हटा दिये जायेंगे। इस पर अनु सचिव हरीराम के पत्र ने मुहर लगा दी।
28 सितंबर को जारी इस पत्र के मुताबिक, एक अक्टूबर 2017 से स्वान परियोजना में राज्य मुख्यालय, 70 जनपद मुख्यालयों और 240 तहसील मुख्यालयों पर जनशक्ति की तैनाती होगी। अब जिला व तहसील स्तर पर एक-एक इंजीनियर तैनात करने की व्यवस्था की गई है। इस नई व्यवस्था के तहत अब ब्लाक पर किसी की तैनाती नहीं होगी। जबकि पूर्व की व्यवस्था में जिला मुख्यालय पर दो, तहसील और ब्लाक मुख्यालय पर एक-एक इंजीनियर तैनात थे। यूपी स्वान में कुल 971 इंजीनियर कार्यरत थे जिनमें से 647 इंजिनीयर्स को हटा दिया गया है।
यूपी स्वान परियोजना के तहत सूबे की राजधानी लखनऊ से राज्य के सभी जिला मुख्यालयों, जिला मुख्यालयों के विभागों, सभी तहसीलों व ब्लॉक स्तर तक इंटरनेट की सुविधा 24×7 दी जाती है। साथ ही यही इंजीनियर समय-समय पर ब्लॉक कर्मचारियों को इंटरनेट से संबंधित शासन द्वारा चलाये जाने वाले ऑनलाइन कार्यक्रमों, योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग देते थे। बावजूद इसके देश के सबसे बड़े सरकारी इंटरनेट नेटवर्क परियोजना में कार्यरत 647 इंजीनियर बेरोजगारी में दिवाली मनाने को विवश हैं। जानकारों की मानें तो सरकार के पास परियोजना के लिए फण्ड नहीं है, इसलिए इन इंजीनियर्स की नौकरी वापस ले ली गई है। यह दिवाली 647 परिवारों के लिये बुरी खबर लाई है। अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 5000 लोगों की रोजी-रोटी पर संकट है।
गौरतलब है कि इनमें से कई इंजीनियर्स इस परियोजना में लगभग 12 वर्षों से तैनात हैं। इनमें से 15 प्रतिशत ऐसे हैं जिनकी उम्र 45 वर्ष है। लगभग 50 प्रतिशत के करीब बेरोजगारों की आयु 35 से 40 वर्ष है। शेष की आयु 30 वर्ष से अधिक है। निकाले गये इंजीनियरों की संख्या का बहुमत ऐसी आयु वर्ग का है जिनके समक्ष अपने कैरियर का ट्रैक यहां पहुंच कर बदलना अत्यधिक कठिन है। बेरोजगार हुये इंजीनियरों का तर्क है कि शिक्षामित्र अयोग्य होने के बावजूद परीक्षा देने का मौका पा गये। सरकार ने परीक्षा में पास न होने पर भी 10,000 रुपये का मानदेय निश्चित कर दिया। जबकि यूपी स्वान परियोजना से निकाले गये इंजीनियर अपनी मेहनत से टेक्निकल डिग्री हासिल करके चयनित हुये थे।
इनका कहना है भाजपा ने डिजिटल इंडिया विजन को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था, ऐसे में हमें आशा थी कि भाजपा के शासन में हमें कुछ नया करने का अवसर मिलेगा। ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि जो काम है वह भी छीन लिया जायेगा। यह कड़वा सच है कि आजाद भारत में हुये अब तक के सभी चुनावों में बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा बनता रहा है। अधिक से अधिक रोजगार सृजन का वादा और दावा भी खूब हुआ है। पर, चुनावी बेला बीतने के बाद इन्हीं दलों की सरकार के सिर से रोजगार का बुखार पलक झपकते गायब हो गया और बेरोजगारी दिन पर दिन सुरसा सा मुंह फैलाती रही। उम्मीद है सरकार इन बेरोजगार इंजीनियर्स की रोजी-रोटी के लिये ठोस निर्णय लेकर इन्हें दिवाली का असल उपहार देगी।
सेंसेक्स की तरह बढ़ा-घटा वेतन
पीडि़त बेरोजगारों की मानें तो परियोजना में तैनात इंजीनियर्स सैलरी इंक्रीमेंट मई 2017 को हुई। इसके तहत 17,700 रुपये से बढक़र 22,000 रुपयेप्रतिमाह वेतन कागजों पर तो हो गया, लेकिन बढ़ी हुई राशि इन्हें नहीं मिली। इतना ही नहीं 17,700 रुपये में भी 1,218 रुपये ईएसआई, पीएफ व मेडीक्लेम का काटने के बाद इन्हें 16,482 रुपये वेतन मिलना चाहिये था, पर किसी माह इन्हें 15,326 रुपये दिये गये। तो किसी माह राउण्ड फिगर के फेर में महज 15,000 रुपये और फिर 13,811 रूपये वेतन ही मिला। ऐसा क्यों हुआ इसकी जानकारी इन्हें भी नहीं दी गई।
यहां भी उपयोगी है यूपी स्वान
जानकारों की मानें तो तहसील व ब्लॉक स्तर पर निरंतर इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने एवं नेटवर्क में रुकावट आने पर उसे सही करना इनकी जिम्मेदारी है। इसके अलावा हमारे कार्य न होते हुए भी तहसील व ब्लॉक स्तर पर शासन के ऑनलाइन कार्य निरंतर यहीं इंजीनियर करते रहे हैं। जैसे, आईजीआरएस, एसएसडीजी, जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र, प्रधानमंत्री आवास योजना, विवाह अनुदान, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन के ऑनलाइन कार्य में इनकी प्रमुख भूमिका है।
यूपी स्वान की खासियत
उत्तर प्रदेश स्टेट वाइट एरिया नेटवर्क परियोजना से सभी ऑनलाइन सरकारी कार्य किये जाते हैं। जैसे, ई-गवर्नेंस की सभी सेवायें, सरकारी डेटा अपलोड करना, सभी सरकारी सूचनाएं अपलोड करना, चुनाव में प्रत्याशियों का डेटा अपलोड करना, वेब कास्टिंग, राउंड वाइज रिजल्ट अपलोड करना, परिणाम अपलोड करना एवं कैंडीडेट्स द्वारा किये गये खर्च, प्राप्त वोट का विवरण अपलोड करना इत्यादि।