सभी घरों तक 24 घंटे किफायती दर पर बिजली की उपलब्धता के लिए इंजीनियरों की मांग
76 प्रतिशत ग्रामीण व 19 प्रतिशत शहरी क्षेत्र के घरों में नहीं है कनेक्शन
लखनऊ। बिजली इंजीनियरों ने प्रदेश में बीते दो दशक में निजी घरानों पर अति निर्भरता की ऊर्जा नीति में बदलाव की मांग की है। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद इंजीनियरों ने केंद्र सरकार की नीति के अनुसार प्रदेश के सभी घरों तक बिजली पहुंचाने के निर्णय को साकार करने का संकल्प दोहराया है। इंजीनियरों ने मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी को इस लक्ष्य को हासिल करने के प्रति आश्वस्त करते हुए दो दशक से चली आ रही निजी घरानों पर अति निर्भरता की ऊर्जा नीति में बदलाव को समय की आवश्यकता बताया।
आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के अध्यक्ष जीके मिश्रा व महासचिव राजीव सिंह के बयान के मुताबिक केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 2.54 करोड़ घरों में से मात्र 60 लाख 54 हजार घरों में बिजली कनेक्शन है। वहीं शहरी इलाकों के 75 लाख घरों में से 61 लाख घरों में बिजली कनेक्शन है। इस प्रकार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 76 प्रतिशत घर और शहरी क्षेत्र के लगभग 19 प्रतिशत घर आज भी बिजली से वंचित हैं।
इस प्रकार प्रदेश के लगभग 02 करोड़ घरों तक आज भी बिजली नहीं पहुंची है। आने वाले दो सालों में इन घरों तक बिजली पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इंजीनियरों का कहना है कि निजी घरानों पर अति निर्भरता के चलते पावर कॉरपोरेशन 60 हजार करोड़ रूपये के घाटे व कर्ज में डूब गया है। इसलिए ऊर्जा नीति में बुनियादी बदलाव समय की सबसे बड़ी जरूरत है। निजी घरानों से काफी महंगी बिजली खरीद के करारों के चलते प्रदेश के सरकारी बिजली घरों को बंद किया जा रहा है, जिससे घाटा और बढ़ रहा है।
सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों को बंद करने से जहां एक ओर उत्पादन लागत बढ़ रही है तो वहीं उनका नियमित संचालन न होने से उत्पादन इकाईयों के समय से पहले खराब हो जाने का खतरा भी है। इसलिए घाटे से उबारने के लिए बिजली खरीद करारों की तत्काल पुनर्समीक्षा की जानी चाहिए।
घाटे का बड़ा कारण बिजली चोरी
इंजीनियरों के मुताबिक घाटे का बड़ा कारण बड़े पैमाने पर राजनीतिक संरक्षण में हो रही बिजली चोरी है। बिना दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति के बिजली चोरी पर लगाम लगाना सम्भव नहीं है। गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश आदि प्रदेशों में 15 प्रतिशत से कम लाइन हानियां हैं तो उत्तर प्रदेश में भी इसे प्राप्त करना कोई कठिन कार्य नहीं है। नियमित प्रकृति के कार्य ठेकेदारों से कराये जाने से भी बिजली व्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए बिजली की पारेषण व वितरण प्रणाली को 19000 मेगावाट विद्युत आपूर्ति के लिए तकनीकी तौर पर सुदृढ़ बनाने के साथ अन्य जरुरी संसाधन विकसित करने की आवश्यकता है।
24 घंटे बिजली के लिए कार्य योजना बनाने में जुटे अफसर
सूबे में नई सरकार के गठन के बाद 24 घंटे बिजली देने के लिए पावर कॉरपोरेशन के अफसर कार्य योजना बनाने में जुट गये हैं। यूपी पावर कारपोरेशन में प्रमुख सचिव ऊर्जा व कॉरपोरेशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने प्रदेश में 2022 तक हर घर को 24 घंटे बिजली देने के लिए कार्य योजना बनाने में जुट गये हैं। सभी निदेशकों से भाजपा सरकार की मंशा के मुताबिक अफसरों से कार्ययोजना मांगी गयी है। कॉरपोरेशन सूत्रों के मुताबिक 2022 तक सभी को 24 घंटे बिजली देने के लिए कबरी 23 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत होगी। हर वर्ष बिजली की मांग में औसतन एक हजार मेगावाट की मांग बढ़ जाती है। वर्तमान में सभी को बिजली देने के लिए जहां 16-17 हजार मेगावाट की जरूरत होगी, वहीं पांच वर्ष बाद इसमें पांच हजार मेगावाट की और ज्यादा खपत बढ़ जाएगी।