- शहर के तमाम पॉश इलाकों में बंद पड़े हैं शौचालय
- बिना रेट लिस्ट के चल रहे हैं सैकड़ों शौचालय
- मूंह मांगा दाम लोगों से वसूल रहे शौचालय कर्मी
- कमीशनखोरी की भेंट चढ़े शौचालय
- रेट लिस्ट की आड़ में हो रही जमकर वसूली
धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। आम लोगों की सुविधा के लिए पीपीपी मॉडल पर बने शौचालय सेवा नहीं कमाई का जरिया बन गये हैं। शौचालयों में ताला लगा रहता है अथवा उसका उपयोग कर्मचारी बतौर अपने घर के तौर पर कर रहे हैं। ताजूब तो तब और भी ज्यादा होता है जब इसके प्रयोग के लिए आम लोगों से १०- १५ रुपये तक शौचालय कर्मी वसूलते है। ऐसे में वहां पहुंचने वाले लोगों को परेशान होना लाजिमी है। नगर निगम ने आम लोगों की सहूलियत के लिए पीपीपी मॉडल पर शौचालय बनाए थे। लेकिन खूद मेयर के सख्त रहने के बाद भी शौचालय कर्मी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे है। नगर निगम ने शौचालय बनाने के लिए जमीन दी थी। नगर निगम ने शौचालय के संचालन व रख-रखाव के लिए विज्ञापन लगाने की अनुमति भी दी थी, लेकिन इनको रेट लिस्ट न लगाने की अनुमति किसी ने नहीं दी है। इसके बाद भी शहर के अधिकांश शौचालय में रेट लिस्ट नहीं लगाई गयी है और वहां रहने वाले कर्मचारी जमकर वसूली कर रहे है। जहां लोग कम पहुंचते है, वाले ताले जड़े हुए है या फिर अंदर की सफाई हफ्तों बाद करवायी जाती है। शौचालय का निर्माण करने वाली निजी एजेंसी ने विज्ञापन लगाकर कमाई तो शुरू कर दिया पर शौचालय के संचालन में मनमानी करने की अनुमति किसने दी इसका किसी को नहीं पता?
एक ओर शहर की सरकार करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाकर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शहर को खुले में शौच मुक्त करने के उद्देश्य से ओडीएफ घोषित करने का दावा कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर शहर के शुलभ शौचालय आम लोगों से मनमानी वसूली के कार्य में लगे हुए है। शहर के पॉश इलाकों और बाजारू इलाकों में सीमित शौचालय है, जहां जाना आदमी की मजबूरी है, उसका सीधा फायदा शौचालय में बैठे कर्मचारी उठा रहे है। कई शौचालय में लिस्ट न होने से कर्मचारी मनमानी वसूली कर रहे है। यही नहीं पुरुषों को ट्वायलेट इस्तेमाल के लिए बाहर ही मुफ्त व्यवस्था है, लेकिन महिलाओं को प्रयोग के लिए १० रुपये तक खर्च करने पड़ रहे है। आपको बता दे कि अशोक मार्ग पर नरही, जीपीओ चौराहा, केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर और अमीनाबाद में झंडे वाला पार्क के पास शौचालय में साफ- सफाई का अभाव है, ऊपर से मनमानी वसूली लोगों के मुसीबत बनी हुई है। यही नहीं गोमतीनगर के कई पॉश इलाकों में अक्सर शौचालयों पर ताला जड़ा रहता है। जब इस प्रकरण की जानकारी के लिए लखनऊ की महापौर को पता चला तो मेयर सख्त हो गयी और उन्होंने सखत कार्रवाही करने की बाते की। मेयर के अनुसार नगर निगम क्षेत्र में १० हजार से ज्यादा शौचालय बनाये गये है, जिनमें शुलभ भी शामिल है जिनकी संख्या करीब ५० है। जो शौचालय बंद है, उनमें से कई नगर निगम में शामिल नहीं थे, जब तक उनका रिनोवेशन नहीं किया जाता तब तक उनको खोलने से कोई फायदा नही था। इसलिए हो सकता है कुछ शौचालय बनने के लिए बंद करवाएं हो शुलभ वालों ने। स्मार्ट टॉयलेट में जनता को कई तरह की सुविधाएं देने के लिए शहर के तमाम स्पॉट पर शौचालय निर्माण करवाया गया है। लेकिन ये टॉयलेट पुरूषों के लिए नि:शुल्क रहते है और लेडीज के लिए अलग- अलग रेट वसूल किये जाते है।
फाइल फैक्ट
250 टोटल पब्लिक टॉयलेट्स
5 रुपये फिक्स रेट
५0 फीसदी में रेट लिस्ट नहीं
जिन शौचालयों में रेट लिस्ट नहीं लगी है, वहां तुरंत जांच करवायी जाएगी। यदि किसी भी शौचालय में 5 रुपये से अधिक मांग होती है तो वो गलत है। महिलाओं से यदि अधिक पैसे लिये जा रहे है, तो मैं आज ही सारी जगहों पर पता करवाकर लगवाती हूं। जिन जगहों पर ताला पड़े होने की बात है, उनकी जांच करवाकर उन पर सख्त कार्रवाई होगी।
संयुक्ता भाटिया, मेयर