गोमती सफाई पर अब तक खर्च हो चुका है 900 करोड़ का बजट
सीवरेज व नाले के गंदे पानी की सफाई के लिए बनाये गये एसटीपी भी क्षमता के मुताबिक नहीं कर रहे काम
करोड़ों खर्च कर नदी सफाई की महज बन सकी रुपरेखा, उद्देश्य मुकम्मल होना बाकी कमुख्यमंत्री ने छह महीने में गोमती के
पानी को आचमन लायक बनाने का किया था दावा
लखनऊ। नदियों की दुर्दशा सुधारने के प्रति कृतसंकल्प भाजपा सरकार फिलहाल नदी सफाई के मामले में घडिय़ाली आंसू बहा रही है। बात चाहे केंद्र की मोदी सरकार की गंगा सफाई को लेकर हो या प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार की गोमती सफाई की, दोनों ही नदियों की सफाई महज कथनी तक सीमित है। करनी-कथनी से कोसों दूर दिखायी पड़ रही है। गोमती नदी में प्रदूषण रोकने के लिए टुकड़ों में खर्च किये गये करोड़ों के बजट ने नदी सफाई की रुपरेखा तो बनायी लेकिन न तो गोमती प्रदूषित होने से बच पायी और न ही साफ हो पायी। ऐसे में नदियों की सफाई को लेकर दशकों से किये जा रहे उपाय महज कोरी कल्पना साबित हुए हैं। गोमती को प्रदूषण मुक्त बनाने के उपायों की हकीकत यह है कि अभी भी 320 लाख लीटर सीवर और नाले का गंदा पानी सीधे गोमती में गिर रहा है। जल निगम के आंकड़ों के मुताबिक शहर में रोजाना करीब 720 लाख लीटर (एमएलडी) सीवर व गंदा पानी निकल रहा है। जिसमें से केवल 401 एमएलडी ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में साफ हो पा रहा है। एसटीपी में साफ हो रहे सीवेज व गंदे पानी का यह सरकारी आंकड़ा भी हकीकत में सही नहीं है। शहर में नाले के गंदे पानी को साफ करने के लिए जिन एसटीपी का निर्माण कराया गया है वे मौजूदा समय तक पूरी क्षमता से कार्य कर ही नहीं सके हैं। ऐसे में नालों का कितना गंदा पानी एसटीपी से साफ होकर गोमती में जा रहा है। यह संबंधित विभाग ही जाने। योगी सरकार ने तो सत्ता संभालते ही गोमती का उद्धार करने की घोषणा कर दी थी। गोमती नदी के किनारे अखिलेश सरकार में बनाये गये गोमती रिवर फ्रंट के भ्रष्टïाचार पर लाल-पीले होते हुए मुख्यमंत्री ने बीते वर्ष 27 मार्च को गोमती के पानी की बदबू महसूस कर घोषणा की थी कि वे छह महीने में गोमती के पानी को आचमन करने लायक बना देंगे। लेकिन करीब डेढ़ साल बीतने के बाद भी गोमती की दुर्दशा में रत्ती भर की कमी आई हो। गोमती सफाई को लेकर अब तक खर्च हुये 900 करोड़ से अधिक के बजट की हकीकत सारी कहानी बयां कर रही है।
तीन फेज में इतना बजट खर्च
गोमती को प्रदूषण मुक्त बनाने में अब तक तीन फेज में करीब 900 करोड़ से अधिक का बजट खर्च किया जा चुका है। फस्र्ट फेज में 45.54 करोड़ का बजट, सेकेंड फेज में 414.78 करोड़ और 2013 में 456 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया जा चुका है। बावजूद इसके गोमती में नालों का गिरना बदश्तूर जारी है। अब फिर गोमती सफाई को लेकर गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई की ओर से करीब 4500 करोड़ का बजट केंद्र सरकार को भेजा गया है।
चार में केवल दो एसटीपी चालू
भरवारा एसटीपी और दौलतगंज एसटीपी को मिलाकर शहर में चार एसटीपी बने, लेकिन इनमें से गऊघाट और ग्वारी के पास बने एसटीपी अलग-अलग कारणों से नहीं चल सके। अब कानपुर रोड पर बिजनौर के पास 80 एमएलडी क्षमता वाला नया एसटीपी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें एलडीए कॉलोनी, आशियाना, पीजीआई, आलमबाग, तेलीबाग और ट्रांसपोर्ट नगर समेत जोन आठ और जोन पांच के ज्यादातर इलाकों के नालों का पानी और सीवर ट्रीट कर सई नदी में मिलाने की योजना है। गोमती सफाई के लिए बनाया गया दौलतगंज एसटीपी भी मानकों के मुताबिक काम नहीं कर पा रहा। सरकटा, पाटानाला, गऊघाट और नगरिया नाले के जरिए यहां क्षमता से ज्यादा पानी ट्रीटमेंट के लिए भेजा जा रहा है। वहीं एशिया का सबसे बड़ा एसटीपी माना जाने वाला 345 एमएलडी क्षमता वाला भरवारा ट्रीटमेंट प्लांट भी अब तक अपनी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर पाया है।
गोमती नदी में गिरने वाले ये हैं प्रमुख नाले
सिस गोमती- गऊघाट, नगरिया, सरकटा, पाटा, वजीरगंज, घसियारी मंडी, एनईआर अपस्ट्रीम, एनईआर डाउन स्ट्रीम, चाइना बाजार, लाप्लास, जापलिंग रोड, जीएच कैनाल, जियामऊ, लामार्ट,
ट्रांस गोमती- महेशगंज, रुपपुर खदरा, मोहन मिकिंस, डालीगंज नं. 1, डालीगंज नं. 2, आर्ट्स कॉलेज, हनुमान सेतू, टीजीपीएस, केदरानाथ
राजधानी लखनऊ की लाइफ लाइन मानी जाने वाली आदि गंगा गोमती में दावा तो सीधे 7 नाले गिरने का किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में गोमती में 33 नालों का गंदा पानी गिर रहा है। जिन नालों के गंदे पानी से गोमती दूषित हो रही है उनमें सिस गोमती के 14 और ट्रांसगोमती के 12 नाले शामिल हैं। दरअसल तमाम दावों केबावजूद रोजाना करीब 319 लाख लीटर सीवर और नाले का गंदा पानी सीधे गोमती में गिर रहा है। जल निगम के आंकड़ों के अनुसार रोजाना शहर में 720 (720 लाख लीटर) सीवर और गंदा पानी निकल रहा है, जिसमें से केवल 401 एमएलडी (401 लाख लीटर) ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ हो पा रहा है।
एक नजर
गोमती एक्शन फेज में खर्च हो चुका है 900 करोड़ का बजट
केंद्र को नये सिरे से भेजा गया करीब 4500 करोड़ का बजट
33 नालों से मैली हो रही गोमती
शहर के विकास के साथ बढ़े सात नाले सीधे गोमती में रहे गिर
345 एमएलडी क्षमता वाला एसटीपी है भरवारा
80 एमएलडी क्षमता का है दौलतगंज प्लांट
बिजनौर में 80 एमएलडी क्षमता का एसटीपी है प्रस्तावित
अब तक खर्च हुआ इतना बजट
फेज बजट (करोड़ में)
फस्र्ट 45.54
सेकेंड 414.78
थर्ड 456.00
नालों के पानी की सफाई के लिए बनाये गये ट्रीटमेंट प्लांट की मशीनों की उम्र लगभग पूरी हो चुकी है। गोमती सफाई को लेकर नये सिरे बजट के प्रस्ताव का डीपीआर केंद्र को भेजा गया है। 4500 करोड़ के बजट में मशीनों के मेंटीनेंस और बिजली के खर्च को भी शामिल किया गया है। ताकि भविष्य में बिजली व मशीनों के मेंटीनेंस में बजट का रोड़ा आड़े न आये।
एसके गुप्ता, महाप्रबंधक गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा की सहायक नदियों की सफाई को लेकर योजना बनायी गयी है। योजना के पहले, दूसरे व तीसरे चरण में गोमती में प्रदूषण रोकने के लिए एसटीपी के निर्माण समेत अन्य उपाय किये गये हैं। एसटीपी की मशीनों की उम्र लगभग 15 साल मानी जाती है। नये सिरे से केंद्र सरकार को गोमती सफाई का जो बजट भेजा गया है उसमें मशीनों के मेटीनेंस समेत बिजली के खर्च को भी शामिल किया गया है।
डा. अजेय रस्तोगी, चीफ इंजीनियर गंगा