निर्माण हुआ नहीं, रकम हो गई जारी
अधूरे निर्माण कार्य पूरा कराने में आई तेजी
उद्योग मंत्री की सख्ती के बाद अब तक लगभग 40 करोड़ की अनियमितता आई सामने
यूपीएसआईडीसी की बहुप्रतीक्षित परियोजना ट्रान्स गंगा सिटी में खूब हुई बंदरबांट
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। जनपद उन्नाव के औद्योगिक क्षेत्र ट्रान्स गंगा सिटी में चहेती कंपनी को करोड़ों का भुगतान रेवड़ी की तरह बांट दिया गया। यह आॢथक मेहरबानी मानकों को दरकिनार कर लुटाई गई। लगभग 20 करोड़ रुपये का मनमाना भुगतान अकेले ट्रान्स गंगा सिटी के विभिन्न निर्माण कार्यों में हुआ। पर, निर्माण कार्य अधूरे हैं।
इतना ही नहीं मुख्य अभियंता ने जिन भुगतान पत्रों के आधार पर यह राशि चहेती कंपनी को जारी की, उस पर अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और अवर अभियंता के हस्ताक्षर मौजूद नहीं हैं। कुछ ऐसा ही खेल लखनऊ के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र, गाजियाबाद के ट्रोनिका सिटी व इलाहाबाद की सरस्वती हाइटेक में भी हुआ है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो जनपद उन्नाव स्थित ट्रान्स गंगा औद्योगिक सिटी के सेक्टर-5, 6, 7 और 14-ए में सड़क, नाली, पुलिया, साइकिल लेन और अन्य निर्माण कार्य कराये जाने थे, लेकिन श्री बालाजी बिल्डर्स कंपनी ने अधिकतर कार्य शुरू ही नहीं कराये। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम में प्रचलित व्यवस्था के मुताबिक बिल पर अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और अवर अभियंता की स्वीकृति आवश्यक है। पर, गौतमबुद्ध नगर की इस कंपनी को मुख्य अभियंता ने अपने स्तर से बीस करोड़ रुपये के भुगतान कर दिये। बीते दिनों प्रबंध निदेशक ने एक शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुये इस अनियमितता की जांच के आदेश देकर सख्ती की है।
एमडी की सख्ती के बाद अधूरे निर्माण कार्यों को पूरा कराने में तेजी तो आई। लेकिन, इस भ्रष्टïाचार के सूत्रधारों की सेहत पर कोई खाश पर फर्क नहीं पड़ा। सूत्रों की मानें तो बीते दिनों जब यह मामला उद्योग मंत्री सतीश महाना के संज्ञान में आया। उद्योग मंत्री की सख्ती के बाद जब फाइलें खंगाली गई तो कई गड़बडिय़ां सामने आई। कई वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आये। भ्रष्टïाचार के इस खेल के सूत्रधार मुख्य अभियंता अरुण मिश्र समेत कई अफसरों पर कार्रवाई की तैयारी है।
यूपीएसआईडीसी के जिन मुख्य अभियंता ने लगभग 20 करोड़ रुपये के यह भुगतान सिर्फ अपने हस्ताक्षर से कर दिये, उन पर पूर्व में भी कई गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। बावजूद इसके वह अपनी ऊंची राजनीतिक पहुंच के बूते हर बार बच निकलने में कामयाब रहे हैं। बदली राजनैतिक परिस्थितियों में इस बार भी यह बच निकलने में कामयाब होंगे या फिर भ्रष्टाचार की कमर तोडऩे के लिये प्रतिबद्ध योगी सरकार में इनकी दाल नहीं गलेगी, यह समय बतायेगा।
करोड़ों खर्च, कैंप कार्यालय फिर भी अधूरा
यूपीएसआइडीसी के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में 25 सौ वर्गमीटर में कैंप कार्यालय का निर्माण किया जाना था। पर, 18 हजार वर्गमीटर में एक्जीविशन एवं अफिस भवन बनाने का डीपीआर तैयार कर मेसर्स अहलूवालिया कांसट्रक्शन कंपनी को ठेका दे दिया गया। यह कार्य लगभग 95 करोड़ रुपये का था, लेकिन ठेका सौ करोड़ रुपये से अधिक का दे दिया। ठेकेदार को करीब 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया। बावजूद इसके यह निर्माण अधर में लटका है।
ट्रान्स गंगा हाईटेक सिटी
सेन्ट्रल ग्रीन क्षेत्र एवं सौर ऊर्जा से लैस इस औद्योगिक क्षेत्र में ऑटो मार्ट, ऑटो एक्सपो की सुविधा प्रस्तावित है। साथ ही मॉल, प्रदर्शनी केन्द्र, व्यावसायिक एवं रिटेल शॉप का निर्माण होना हैं। औद्योगिक और आवासीय भूखण्ड वाले इस क्षेत्र में चौबीस घण्टे विद्युत एवं पानी की आपूॢत की व्यवस्था प्रस्तावित है।