- पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, राज्यपाल अच्छे व्यक्ति हैं पर, उनमें कभी-कभी आरएसएस की आत्मा आ जाती है
लखनऊ। बंगले विवाद पर आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि बंगले के कुछ फोटोग्राफ्स को दिखा कर मुझे बदनाम करने की साजिश की जा रही है। यह विवाद जानबूझ कर बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगते हुए कहा कि सरकार एक टोटी के लिए मुझे बदनाम कर रही है। अगर सरकार को लगता है कि मैं टोटिंया लेकर गया हूं तो सरकार टोंटियों की गिनती बताए, मैं टोंटियां वापस करने को तैयार हूं। अखिलेश यादव ने कहा कि बंगले का वूडेन फ्लोङ्क्षरग के साथ कई चीजें पहले की ही तरह हैं। सिर्फ बंगले के एक हिस्से की तस्वीरें दिखाकर ये बताने की कोशिश की जा रही है कि इस हालत में बंगला खाली किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरा बंगला राजनीतिक दुर्भावना के तहत खाली कराया गया है। बीजेपी पर आरोप लगते हुए कहा कि उपचुनावों में मिली हार से बीजेपी बौखला गई है। ये लोग जलन में अंधे हो गए हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि लोग प्यार में अंधे होते हैं पर जलन और नफरत में अंधे होते हुए मैंने देखा है। सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेरे बंगले से जाने के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी अभिषेक वहां गये थे। उस बंगले में आईएएस अधिकारी मृत्युंजय नारायण गए थे। उन्होंने कहा कि सरकारी आवास में सारा सामान मेरा था और मैं सिर्फ वही ले गया हूं। दूसरों के पैसों से मैं अपनी इच्छाएं पूरी नहीं करता। पूरे सरकारी आवास मेें पेड़-पौधे मैंने खुद अपने पैसों से लगाए थे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले लोग पागल साबित हो रहे है। बंगले में स्विमिंग पूल की मौजूदगी पर अखिलेश ने कहा कि आवास में कोई पूल था ही नहीं। सरकार मुझे बदनाम करने की साजिश के तहत यह झूठ फैला रही है कि मैंने बंगले को खाली करने से नाराज होकर बंगले में तोडफ़ोड़ की है। उन्होंने सरकार को चैलेंज करते हुए कहा कि जितने पेड़-पौधे मैंने वहां लगाए थे, सरकार उनके नाम तक नहीं गिना पाएगी। राज्यपाल राम नाईक पर बोलते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि गवर्नर अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन वो संविधान के तहत काम नहीं कर रहे हैं। उनके अन्दर कभी-कभी आरएसएस की आत्मा आ जाती है।
बंगले में तोडफ़ोड़ पर राज्यपाल ने सीएम को लिखा था पत्र
यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा खाली किये गये विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास में की गई तोडफ़ोड़ को गंभीर मामला बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले में कार्रवाई की मांग की थी। बताया जाता है कि राज्यपाल ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए खुद ही मामले का संज्ञान लिया और राज्य संपत्ति विभाग के अफसरों को बुलाकर जानकारी भी ली थी। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में लिखा है कि पूर्व मुख्यमंत्री को आवंटित आवास खाली किये जाने से पूर्व उसमें की गई तोडफ़ोड़ तथा उसे क्षतिग्रस्त किये जाने का मामला मीडिया तथा जनमानस में चर्चा का विषय है। यह एक नितान्त अनुचित व गम्भीर मामला है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित किये गये शासकीय आवास राज्य सम्पत्ति के कोटे में आते हैं, जिनका निर्माण व रख-रखाव सामान्य नागरिकों द्वारा दिये जाने वाले विभिन्न प्रकार के करों से होता है। ऐसे में उसे क्षति पहुंचाये जाने के विरूद्ध सरकार विधि अनुसार समुचित कार्यवाही करे।
सपा सुप्रीमों के आचरण से उनकी कलई खुल गई है। अब खिसियाहट में अखिलेश खंभा नोचते हुए कभी सफाई दे रहे हैं, तो कभी अफसरों और पत्रकारों को धमका रहे हैं। पर, अफसरों को धमकाने से सच नहीं छिपेगा। अखिलेश को राजनीतिक शुचिता का उदाहरण पेश करके जनता से क्षमा मांगनी चाहिये। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने सरकारी बंगले खाली किये। लेकिन, कोठी में तोडफ़ोड़ के चलते सिर्फ अखिलेश यादव ही चर्चा में हैं।
डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपाजब चोर की दाढ़ी में तिनका होता है, तो वह बौखलाया रहता है। आखिरकार दीवार के पीछे क्या था, वो जरूर बताये। आखिरकार क्या छुपाया गया था जिसे निकालना जरूरी था? जो शिक्षा उन्हें मिली है, उस हिसाब से उनकी सभ्य भाषा होनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने ऐसा बर्ताव नहीं किया। हम अखिलेश के बयान की भत्र्सना करते हैं और खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की संज्ञा देते हैं।
सिद्धार्थनाथ सिंह, मंत्री, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य