- महाराष्ट के सफल प्रयोग से बदल सकती है उत्तर प्रदेश के किसानों की तकदीर : यूपीडीएफ
- कृषि आधारित विकास योजना, प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की एक सोच
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अत्यधिक घनी आबादी, प्रति किसान निरंतर कम हो रहा खेतों का क्षेत्रफल। दैवीय आपदाओं का कहर। इन विपरीत परिस्थितियों में किसानों की आय दोगुनी करने की चुनौती को हल करने और खेत-खलिहान में रोजगार बढ़ाने के लिए ऐसी पद्धति अपनाने की जरूरत है, जिसमें कम क्षेत्रफल में अधिकतम उत्पादन हो। निकटतम बाजार, शहर, महानगर से विदेशी बाजारों तक उत्पाद सीमित समय में पहुंच सके। एक ऐसा ही प्रस्ताव देश के विभिन्न राज्यों और अन्य देशों में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मूलनिवासियों के फोरम उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम, यूपीडीएफ ने राज्य सरकार को भेजा है।
यूपीडीएफ का मानना है कि किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के सहयोग से राज्य सरकार पूरा कर सकती है। केन्द्र ने इस योजना का दायरा 19 राज्यों के 482 जिलों से बढ़ाकर अब 29 राज्यों के 638 जिलों तक कर दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के कुछ जिलों को चयनित कर जिला मुख्यालयों से ४० से ५० किमी तक प्रत्येक सुबह एक वातानुकूलित वैन का संचालन कर किसानों से सीधे सब्जियां व फल खरीदे जाये। यह वैन रास्ते में पडऩे वाले सभी कस्बों-बाजारों में 10 से 15 मिनट रुके। उस बाजार से दोनों ओर 4-6 किलोमीटर दूरी के किसान अपने उत्पाद लेकर वैन तक आयें। कम्प्यूटरीकृत तराजू पर किसानों की सब्जियां व फल तौलकर लिये जाये।
किसान को इस की पर्ची दी जाय और शाम तक उत्पाद की कीमत किसान के खाते में पहुंच जाय। वैन की मंजिल मंडी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा स्थान या कोई और जगह हो सकती है। जहां सभी रास्तों से आनेवाली वैन पहुंचें। एकत्र हुई हरी सब्जियों व फलों को तीन श्रेणियों में अलग किया जाय। प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि तुरंत प्रयोग वाली सब्जियां उस शहर के होटल कारोबारी लेकर जाय। ग्रेड-बी की सब्जियां शहर में सरकार की स्थापित चार या पांच मुहल्ला स्तर की सब्जी मंडियों में भेजी जाय, जहां से शहर के लोग सब्जियां खरीद सके। ग्रेड-ए की सब्जियां और फल वातानुकूलित वैन द्वारा 150 किलोमीटर दूर स्थित बड़े शहरों के बाजारों में भेजी जाय। इसके अलावा ग्रेड-बी व ग्रेड-सी की सब्जियों एवं फलों को निकटतम फूड पार्क में प्रोसेस करके विभिन्न उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं।
उत्पादन बढऩे की स्थिति में ग्रेड-ए की सब्जियों और फलों को कार्गो विमान द्वारा दुबई-शारजहां से लेकर रूस-ईरान-यूरोप तक भेजा जा सकता है। देर से खराब होनेवाली सब्जियों-फलों को रूस-ईरान-यूरोप के बाजारों में भेजने के लिए मुंदड़ा-चाबहार जलमार्ग का इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि गुजरात का मूंदड़ा बंदरगाह उत्तर प्रदेश का निकटतम बंदरगाह है। मूंदड़ा से चाबहार पहुंचने में किसी मालवाहक पोत को अधिकतम 48 घंटे ही लगेंगे।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में कास्तकारों के पास खेतों का क्षेत्रफल अधिक नहीं है। इस क्षेत्र में कॉन्ट्रैक्ट फाॢमंग से किसानों की आय बढ़ाने की योजना सफल नहीं हो सकती। किसानों को अपनी रसोई सुरक्षित रखने और परिवार का पेट भरने को पर्याप्त गेहूं-चावल भी चाहिये, साथ ही अन्य जरूरतों के लिए पर्याप्त नकदी भी। यह नकदी वह अपने सीमित खेत से सब्जियां उगाकर ही पा सकते हैं। इसलिए सरकार को किसानों के द्वारा उगाई जानेवाली सब्जियों और फलों की पैदावार बढ़ाने एवं उनकी सीधी खरीद के लिये बाजार उपलब्ध कराने की जरूरत है।
ओमप्रकाश तिवारी, अध्यक्ष, यूपीडीएफ
पूर्वी यूपी का एक्सपोर्ट गेट-वे अयोध्या
फैजाबाद स्थित हवाई पट्टी को कार्गों टॢमनल के रूप में विकसित कराने के लिये सांसद लल्लू सिंह लगातार प्रयासरत हैं। सांसद का कहना है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश एक लैंड लॉक क्षेत्र है। इस लॉक को तोडऩे के लिए अयोध्या को पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक्सपोर्ट गेटवे बनाने से किसानों की स्थिति सुधरनी तय है। यहां से कम से कम 38 जिलों से कृषि एवं अन्य उत्पादों को रेलवे पोर्ट, पूर्व की भांति सरयू नदी के जरिए जल परिवहन एवं कार्गो एअरपोर्ट से विश्व बाजार तक पहुंचाया जा सकता है। इससे किसानों को बड़ा बाजार मिलेगा। इस गेटवे को पूर्वी कोलकाता एवं पश्चिमी मूंदड़ा समुद्री तटों को जोड़ा जा सकता है। साथ ही हवाई मार्ग से खाड़ी देशों, यूरोप, रूस एवं अन्य देशों तक पहुंचा जा सकता है। इस क्षेत्र में उत्पन्न बहुत से कृषि उत्पाद हवाई मार्ग से ही विदेशी बाजारों में पहुंचते हैं। लेकिन कोई विशिष्ट कार्गो टॢमनल उपलब्ध न होने के कारण इसके लिए दिल्ली-मुंबई का रुख करना पड़ता है।
स्थानीय स्तर पर ऐसे टॢमनल की उपलब्धता से कृषि निर्यात कई गुना बढ़ेगा। इससे ट्रांसपोर्ट, पैकेजिंग, वेयर हाउसिंग, एग्रो पार्क, कृषि यंत्र और हस्तकला उत्पाद आदि सहायक उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश को समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी। यूपीडीएफ के प्रकाश चन्द्र टेक चन्दानी ने कहा वर्ष २०१४ में सांसद ने लल्लू सिंह ने प्रधानमंत्री, नागरिक विमानन मंत्री एवं केन्द्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर इस मांग को आगे बढ़ाया। लगभग ढाई माह के अंदर ही नागरिक विमानन मंत्रालय के सचिव वी. सोमसुंदरम् ने सांसद को सूचित किया कि सरकार फैजाबाद हवाई पट्टी को कार्गो विमानतल के रूप में विकसित करने की योजना पर विचार कर रही है। लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यह हवाई पट्टी पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग केन्द्र में स्थित है।
यहां से बड़े पैमाने पर हरी सब्जियों एवं ताजे फलों का निर्यात मध्य-पूर्व एवं यूरोपीय देशों को किया जा सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों के हित में इस हवाई पट्टी की उपयोगिता को देखते हुये 19 जुलाई 2014 को उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम ने मुंबई में एक संगोष्ठी का आयोजन कर पहली बार अयोध्या-फैजाबाद स्थित हवाई पट्टी को कार्गो एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने की मांग उठाई। जानकारों की मानें तो इस हवाई पट्टी का उपयोग हरी सब्जियों के निर्यात के लिए किया द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था।
हरी सब्जियों व फलों के संग्रह की व्यवस्था डेरी पैटर्न पर की जा सकती है। विपणन की व्यवस्था सरकार खुद कर सकती है। इससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य और बाजार मिलना शुरू होगा। किसानों की बेरोजगारी घटेगी। शहरों की ओर पलायन रुकेगा। किसानों की आय में वृद्धि होगी और किसान समृद्ध होगा।
शैलेन्द्र श्रीवास्तव, संस्थापक सदस्य, यूपीडीएफ
महाराष्ट में सफल रहा प्रयोग
किसानों की आय दो गुनी करने वाला यह प्रयोग महाराष्टï्र में सफल हुआ है। केन्द्रीय एजेन्सी नीति आयोग की रपट के मुताबिक, जून २०१६ में विधान भवन कार पाॢकंग से शुरू हुये किसान बाजारों में प्रति सप्ताह लगभग पांच करोड़ रुपये की सब्जियां व फल सीधे ग्राहकों को बेंच रहे हैं। वर्तमान में मुम्बई, थाणे, पुणे, नासिक और नवी मुम्बई में ९४ किसान बाजारों में प्रति सप्ताह ८०० से १००० टन सब्जियों व फलों की खपत हो रही है। महाराष्टï्र सरकार ने एपीएमसी एक्ट में संशोधन कर किसानों को अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेंचने की सुविधा उपलब्ध कराई है।
यूपीडीएफ-संक्षिप्त परिचय
उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम यूपीडीएफ देश के विभिन्न राज्यों और अन्य देशों में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मूलनिवासियों का एक समूह है, जो अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में स्थापित हैं। अपने गृहराज्य खासतौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश के उपलब्ध संसाधनों एवं उसकी उच्चतम संभावनाओं को देखते हुए यह योजना यूपीडीएफ ने मन्त्री समूह के समक्ष भेजी है। जिससे महाराष्टï्र में किसानों की तकदीर बदलने वाली यह योजना उत्तर प्रदेश के किसानों खाशकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों की बदहाली दूर करने में उपयोगी भूमिका निभा सकती है।
इस योजना के तहत किसानों से ली जाने वाली सब्जियां व फल सरकार को 12 घंटे के अंदर ही बेच देनी है, इसलिए इस व्यवस्था में सरकारी निवेश अत्यधिक कम होगा। गेहूं, धान, दलहन खरीदने में सरकार जितना खर्च करती है उससे कम निवेश में एक जिले के लिए चार या पांच वातानुकूलित वैन खरीदी जा सकती हैं। मंडी परिषद के वर्तमान स्थायी या अस्थायी कर्मचारियों से इस योजना की शुरुआत की जा सकती है। पायलट प्रोजेक्ट के दौरान कमियों को सुधारकर यह योजना और बेहतर और फलदायी बनाई जा सकती है।
पंकज जायसवाल, महासचिव, यूपीडीएफ