लखनऊ। राज्य सरकार ने सूबे के औद्योगिक विकास को नई गति देने के लिये राजधानी में यूपी इन्वेस्टर्स समिट-2018 का आयोजन किया। इस आयोजन में 4.70 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त होने का दावा किया गया। पर, यह बात अलग है कि यूपी इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतर पाये हैं। कारण, सूबे में अधिक से अधिक निवेश लाने के लिये प्रयासरत राज्य सरकार के मंशूबों पर विभागीय अधिकारियों की आंकड़ेबाजी भारी पड़ सकती है। समिट में निवेश के जो प्रस्ताव प्राप्त हुये, उनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनका प्रस्ताव तत्कालीन सपा सरकार के कार्यकाल में मिला। तो कई ऐसे भी हैं जिनका हश्र महज निवेश का आंकड़ा बढ़ाने तक सिमट सकता है। इन समझौता ज्ञापनों का सरकार ने सत्यापन कराने का निर्णय लिया है। इसमें यह परखा गया कि निवेशकों ने एमओयू के माध्यम से निवेश का जो दम भरा है, उसे जमीन पर उतारने का उनमें वाकई दमखम है या नहीं। इतना ही नहीं बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल एवं मध्यांचल में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन की योजना है।
खूबसूरती देखने जुटते थे लखनवाइट्स, कर दिया बदसूरत
अखिलेश सरकार के समय गोमती रिवरफ्रंट का काम बेहद तेजी से शुरू हुआ। शुरुआत में इसकी लागत 656 करोड़ रुपये आंकी गई लेकिन, लागत बढ़ते- बढ़ते 1513 करोड़ रुपये जा पहुंची। इस प्रोजेक्ट के तहत चौक स्थित पक्का पुल से पिपराघाट तक नदी के दोनों ओर डायाफ्रॉम वॉल और गोमती बैराज से लामार्ट तक दो किलोमीटर रिवरफ्रंट बनाया गया। रिवरफ्रंट में पेड़, पौधे, खूबसूरत लॉन, परमानेंट व मौसमी फूलों की क्यारियां, साइकिल ट्रैक, वॉकिंग प्लाजा और रंगीन लाइट वाले फव्वारे लगाए गए। अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दौरान रिवरफ्रंट की खूबसूरती देखते ही बनती थी। हर रोज शाम को रिवरफं्रट की खूबसूरती का दीदार करने के लिये हजारों लखनवाइट्स जुटते। पब्लिक के रिस्पॉन्स को देखते हुए 45 करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से फव्वारा मंगाया गया, जिसके चलने पर लेजर लाइट के जरिए लखनऊ के मॉन्यूमेंट्स की तस्वीर बनती। इसके अलावा लोगों को गोमती नदी में सैर कराने के लिये वॉटर बस भी मंगाई गई। लेकिन सब बेकार पड़ हुआ है। ये उन्हीं लोगों के द्वारा बेकार किया गया जो स्मार्ट सिटी संजोने की बात कर रहे है।
बदहाल ट्रैफिक से बढ़ा प्रदूषण
सीडीआरआई के पूर्व वैज्ञानिक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की माने तो पिछले कुछ सालों में ट्रैफिक की समस्या लगातार बढ़ी है। अनियंत्रित ढंग से वाहनों की संख्या बढ़ी है और ट्रैफिक रेंग रहा है। इस दौरान अधिक डीजल पेट्रोल की खपत होती है जिससे निकलने वाले धुएं के कण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ा रहे हैं। 2016-17 के आंकड़ों के अनुसार शहर में पेट्रोल की खपत 1,93,345 किलोलीटर, डीजल की खपत 2,30,626 किलोलीटर और सीएनजी की खपत 3,21,34,736 किलो रही। जो वर्तमान में बहुत अधिक पहुंच गई है। बढ़ते वाहनों से राजधानी की सडक़ों पर प्रेशर दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, जिससे प्रदूषण के साथ- साथ लोगों में जाम की समस्या भी गंभीर हो चली है।
मैच को तरस रहा स्टेडियम
ग्रीन पार्क कानपुर के बाद अब लखनऊ में एक और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम अंतराष्टï्रीय मैच की मेजबानी के लिए तैयार है। गोमतीनगर में इकाना स्टेडियम बनकर तैयार हो चुका है। स्टेडियम का निरीक्षण आईसीसी के प्रतिनिधि ने कर लिया है। बता दें कि लगभग 30 एकड़ में बना 50 हजार दर्शक क्षमता वाला यह स्टेडियम लगभग तैयार हो गया है। बता दें कि पूर्व सरकार ने इस स्टेडियम को पिछले साल ही तैयार करवा लिया था, लेकिन इस स्टेडियम में तब से किसी भी मैच होने की संभावना न के बराबर है। सरकार की रूचि न होने की वजह से 2018 में आईपीएल के मैचों में से एक मैच यहां हो सकता था, लेकिन सरकार ने कोई रूचि नहीं दिखाई। फिलहाल इस स्टेडियम में दिलीप ट्राफी के मैच के अलावा कई अन्य मैच हो चुके हैं। 30 एकड़ में आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस स्टेडियम के निर्माण में करीब 400 करोड़ रूपये की लागत आई है। यह स्टेडियम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर बनाया गया है। यूपीसीए ने पहले ही कहा था कि स्टेडियम पूरी तरह से तैयार है और अब वे यहां जल्द अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच आयोजित होने की उम्मीद कर रहे हैं।