- विक्रय-विलेख में जिनका नाम नहीं, उनको भी बेंच दी बेशकीमती जमीन
- ऋषि वशिष्ठ सहकारी आवास समिति लि. प्रबंधन का कारनामा
- सामाजिक सरोकार मंच ने सडक़ पर संघर्ष की दी चेतावनी
लखनऊ। ऋषि वशिष्ठ सहकारी आवास समिति लि. ने भ्रष्टाचार के सभी प्रतिमानोंं को पीछे छोड़ते हुये नया कीॢतमान स्थापित किया है। पर, उच्च अधिकारियों को जनता एवं सार्वजनिक राजस्व को पहुंचाई गई क्षति की परवाह नहीं है। वर्ष 2016 एवं उसके पूर्व से धांधली के इस सुनियोजित गोरखधंधे के बूते समिति के भ्रष्ट पदाधिकारियों ने जमीन न रहते जमीन की खरीद फरोख्त दिखा, अधिक मूल्य की जमीन को कम रेट पर बेंच डाला। इतना ही नहीं एक जमीन को कई बार बेंच सस्ती जमीन को मंहगें मूल्य पर खरीदी।
यह आरोप लगाते हुये सामाजिक सरोकार संघर्ष मंच के अध्यक्ष डीएस तिवारी ने दावा किया कि समिति प्रबंधन द्वारा ऐसे बहुत से काले कारनामों को अंजाम दिया गया है। तिवारी ने बताया तत्कालीन विधायक शारदा प्रताप शुक्ला एवं केके दीक्षित ने 19 मई 2016 को समिति में की गई घोर अनियमितता एवं घपले से सम्बन्धित शिकायत की थी। शिकायत के मुताबिक, व्यावसायिक भूखण्ड संख्या-12 और 12/1 के विक्रय में भारी हेरा-फेरी करके राजस्व को कई करोड़ का आॢथक नुकसान पहुंचाया गया।
जानकारों की मानें तो भ्रष्टार की इस शिकायत की जांच में यह सामने आ चुका है कि समिति की प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष ताराचंद चौरसिया, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, देवी प्रसाद पाण्डेय, अशोक कुमार शुक्ला, जय शंकर प्रसाद, नीलम देवी और प्रेमवती शुक्ला ने मिलकर ऐसे निर्णय लिए जिन्हें लेने का अधिकार उनको नहीं था। उन लोगों ने इसी बहाने व्यक्तिगत सम्पत्ति बनाने में लगे थे। सामाजिक सरोकार संघर्ष मंच के अध्यक्ष डीएस तिवारी लगातार इस धांधली के खिलाफ संघर्षरत हैं। पर, आवास विकास आयुक्त की मनमानी और घपलेबाजों के संरक्षण के कारण जांच रिपोर्ट में लूट-खसोट को अंजाम देने वाले ताराचंद्र चौरसिया, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, देवी प्रसाद पाण्डेय, अशोक कुमार शुक्ला जय शंकर प्रसाद, नीलम देवी एवं प्रेमवती शुक्ला के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जबकि जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि संबंधित प्रकरण में बड़े स्तर पर हेरा-फेरी हुई है और लिप्त व्यक्तियों की व्यक्तिगत सम्पत्ति से इसकी रिकवरी की जाय। मंच के अध्यक्ष डीएस तिवारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल अपर आयुक्त आवास विकास राजेश कुमार पाण्डेय से मिला और उनसे कार्रवाई की मांग की। जानकारों की मानें तो अपर आयुक्त आवास विकास ंने मांग-पत्र लेने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में प्राप्ति-रसीद न देने की शर्त पर मांग-पत्र लिया। अध्यक्ष डीएस तिवारी ने बताया जिस भूखण्ड की कीमत 26,400 रुपये वर्गफुट थी उसे 1,525 रुपये वर्गफुट की दर से बेंचा गया। सबसे बड़ी चौकाने वाली बात यह है कि जिनके नाम पर उसे बेंचा जाना था उनका विवरण ही विक्रय-विलेख में नहीं था।
सामाजिक सरोकार संघर्ष मंच के प्रवक्ता शमशाद आलम ने कहा, यह मामला इतना गम्भीर है कि इस पर तुरन्त कार्रवाई करके दोषियों से वसूली की जानी चाहिए थी लेकिन आवास विकास आयुक्त की उदसीनता के चलते ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ इस उपेक्षित कार्यप्रणाली से लगता है कि इस प्रकरण में उनकी भी मिलीभगत है। अन्यथा क्या कारण है कि वो आरोपियों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं और रिपोर्ट को दबाये बैठे हैं। महासचिव पंकज कुमार शुक्ला ने कहा, हम इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ चुप बैठने वाले नहीं हैं। आवश्यकता पडऩे पर सडक़ पर संघर्ष किया जायेगा।