- भूमि की उपलब्धता में पूर्वांचल, मध्यांचल व बुन्देलखण्ड में 100 प्रतिशत एवं पश्चिमांचल में 75 प्रतिशत स्टैम्प ड्यूटी में छूट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग विकास एवं सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति क्रियान्वित की गयी है। इस नीति के द्वारा प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग व्यवसाय को आकर्षित करने एवं उसकी क्षमता में सुधार तथा पूंजी निवेश के द्वारा अत्यधिक स्वरोजगार सृजित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। यह कहना है प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल का।
प्रमुख सचिव ने बताया कि इस नीति के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध ग्राम सभा की भूमि को अब पट्टे के माध्यम से ग्रामोद्योगों की स्थापना के लिये आवंटित किया जा सकेगा। औद्योगिक स्थानों में ग्रामोद्योगों की स्थापना के लिये प्लाट के आवंटन में वरीयता प्रदान की गयी है। साथ ही प्रदेश में भूमि की उपलब्धता में स्टैम्प ड्यूटी की छूट पूर्वांचल, मध्यांचल व बुन्देलखण्ड में 100 प्रतिशत एवं पश्चिमांचल में 75 प्रतिशत अनुमन्य की गयी है। खादी एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिये पूर्व में स्थापित प्रयोगशाला गोरखपुर एवं लखनऊ को सुदृढ़ बनाते हुए आधुनिकीकरण कराया जायेगा। इन प्रयोगशालाओं में एक डाटा बैंक स्थापित करने की कार्यवाही की जायेगी जिसमें खाद्य एवं अखाद्य सभी पदार्थों के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानकों का संग्रह किया जायेगा, जिससे ग्रामोद्योगी उत्पादों की गुणवत्ता राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार सुनिश्चित हो सकेगी।
नवनीत सहगल ने बताया कि खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों की गुणवत्ता जांच अल्प शुल्क के आधार पर की जायेगी। एक नयी प्रयोगशाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है, जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उत्पाद जैसे गुड़ खाण्डसारी की गुणवत्ता की जांच कर उनके पैकेजिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। ग्रामोद्योगों के उत्पादन के लिये विद्युत के अतिरिक्त सौर ऊर्जा, जैव ऊर्जा को बढ़ावा दिया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्रों की अवशिष्ट से विद्युत तैयार किये जाने की योजना प्रदेश सरकार के समतुल्य कार्यों से जुड़े विभागों से समन्वय कर सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना की जायेगी। अतिरिक्त वैकल्पिक ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया जायेगा। 100 या उससे अधिक स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने वाली ग्रामोद्योग इकाईयों को प्रोत्साहन के रूप में अतिरिक्त सुविधा प्रदान की जायेगी। ग्रामोद्योग इकाईयों के 5 करोड़ वाॢषक टर्न ओवर तक की इकाईयों को जीएसटी की प्रतिपूॢत की जायेगी।
उद्योग अनुसंधान उत्पादन की गुणवत्ता सुधार एवं विकास के लिए लैब टेस्टिंग, क्वालिटी सॢटफिकेशन लैब, टूल रूम स्थापित करने वाली इकाईयों को दिये गये ऋण पर 5 प्रतिशत की दर से पांच वर्ष के लिये औद्योगिक गुणवत्ता विकास उपादान के रूप में ब्याज की प्रतिपूॢत की जायेगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्थापित नये ग्रामोद्योगी इकाईयों को विद्युत उपकर से 10 वर्ष की अवधि तक छूट प्रदान की जायेगी, जिसकी सीमा प्रति इकाई 01 लाख से अधिक न होगी। कैपटिव पॉवर प्लान्ट द्वारा उत्पादन एवं स्वयं प्रयोग की जानी वाली विद्युत को विद्युत उपकर से 10 वर्ष की अवधि के लिए मुक्त रखा जायेगा। कृषि से सम्बन्धित खाद्य प्रसंस्करण आधारित इकाईयों को कच्चे माल की खरीद पर 10 वर्ष की अवधि के लिए मण्डी शुल्क पर छूट प्रदान की जायेगी। खादी एवं ग्रामोद्योगी इकाईयों की स्थापना में सहजता तथा अनुकुल वातावरण तैयार करने के लिये प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है। वित्तीय स्वीकृतियों के लिए अन्तर्विभागीय कमेटी का गठन किया गया है। एकल खिडक़ी व्यवस्था की गयी है।
ग्रामोद्योगी समस्या के समाधान के लिये ग्रामोद्योग समाधान सेल तथा जनपद स्तर पर हेल्पडेस्क की सुविधा दी जायेगी एवं ई-मार्केटिंग की सुविधा का प्लेटफार्म भी तैयार किया गया है। खादी एवं ग्रामोद्योग संस्थाओं को आयकर अधिनियम के अन्तर्गत लाभ प्रदान करते हुए आयकर से मुक्त किया गया है। कम पूंजी निवेश से अधिक रोजगार सृजन करने वाली इकाईयों को प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया जायेगा।