राजधानी में रोजाना फुंक रहे आधा दर्जन ट्रांसफार्मर
केबिलों सहित अन्य उपकरणों की घटिया क्वालिटी बन रही विद्युत आपूर्ति में बाधक
मेंटीनेंस के नाम पर खर्च किया जा रहा करोड़ों का बजट
वर्कशाप में जंग खा रहे करोड़ों के ट्रांसफार्मर
लखनऊ। राजधानी की बिजली आपूॢत को दुरस्त रखने के लिए प्रदेश के ऊर्जामंत्री व पावर कारपोरेशन के अफसर जहां एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है वहीं लेसा प्रबंधन की लगातार लापरवाही के चलते शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे ट्रांसफार्मरों की ठीक ढंग से देखभाल तक नहीं कर पा रहा है। आलम यह है कि आंधी चलने से जहां पेड़ों की टहनियां गिरने से बिजली की लाइने खंभे क्षतिग्रस्त हो जाते है वहीं बारिश के दौरान भूमिगत केबिलों में पानी भर जाने से धवस्त होना आम बात हो गयी है। जबकि लेसा प्रबंधन इनकी देखभाल के नाम पर प्रति महीने लाखों रुपये लाइनों व ट्रांसफार्मरों के मेटीनेंस के नाम पर खर्च कर देता है। अब सवाल यह उठता है जब लेसा अनुरक्षण के नाम पर बिजली बंद करके उनकी मरम्मत कराता है तो हल्की हवाएं चलने पर आखिर बिजली के तार क्यों टूट जाते है और लाइनों के ऊपर पेड़ों की टहनियां कैसे आ जाती है। इसका जवाब न तो लेसा के किसी अभियंता के पास है और न अधिकारी के पास।
विभागीय जानकारों की माने तो लेसा अनुरक्षण के नाम पर लाखों रुपये खर्च तो कर देता है लेकिन बिजली के तारों व ट्रांसफार्मरों के ऊपर आज भी पेड़ों की झाडियों ने घेर रखा है। राजधानी में गर्मी के आने के पूर्व लेसा ने बृहस्त स्तर पर पडों की छटाई व ट्रांसफार्मरों की मरम्मत के नाम पर बिजली कटौती की लेकिन लाइनों व ट्रांसफार्मरों की हालत आज भी ज्यों कि त्यों बनी हुई है। विभागीय लापरवाही का अंदाजा लेसा के अलीगंज व तालकटोरा स्थित ट्रांसफार्मर वर्कशापों में कूड़े की तरह पड़े करोड़ों की लागत के ट्रांसफार्मरों की दुर्दशा को देखकर लगाया जा सकता है। अलीगंज स्थित ट्रांसफार्मर वर्कशाप में करीब तीन सौ से अधिक ट्रांसफार्मर खुले में पड़े जंग खा रहे है। इसी तरह की हालत तालकटोरा स्थित ट्रांसफार्मर वर्कशाप की भी है। गत वर्ष यहां पर आग लग जाने से विभाग को करोड़ों का नुकशान उठाना पड़ा था। इसके बावजूद विभागीय अफसर कानों में तेल डाले बैठे शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है। वर्तमान समय में राजधानी में पड़ रही भीषण उमस भरी गर्मी के दौरान बिजली की मांग बढऩे के मद्देनजर उप्र विद्युत ट्रांसमिशन कारपोरेशन ने राजधानी के आधा दर्जन पारेषण उपसंस्थानों की क्षमता वृद्धि व लाइनों की क्षमता वृद्धि कर तो दी लेकिन लाइनों के रखरखाव की जिम्मेदारी लेसा प्रबंधन की होती है।
33, 11 व 440 वोल्ट की लाइनो की मरम्मत से लेकर उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी लेसा के ऊपर है। इसके बावजूद राजधानी में हल्की हवाओं के चलने पर लेसा के अभियंता तार टूटने व ट्रांसफार्मरों के क्षतिग्रस्त होने का बहाना बनाकर अपने कर्तव्यों से विरत हो जाते है लेकिन इसका खमियाजा तो राजधानी के करीब 11 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है।
बीते गुरुवार को राजधानी में आई तेज हत्ताओं के चलने से जहां समूची राजधानी की बिजली आपूर्ति इसलिए बंद कर दी गयी कि आंधी के दौरान तार टूटने का भय बना रहता है हालांकि विद्युत अधिनियम में भी यह बात साफ तौर पर लिखी है कि आंधी पानी के दौरान जानमाल के खतरा होने के कारण बिजली आपूर्ति बंद की जा सकती है। इस बाबत मध्यांचल के प्रबंध निदेशक संजय गोयल से जब बात की गयी तो उन्होंने स्वीकार किया कि कम क्षमता की लाइनो की देखभाल की जिम्मेदारी लेसा प्रबंधन की होती है। उन्होंने कहा कि उपकेन्द्रों के फीडर स्तर पर गत दिनों कराये गये अनुरक्षण कार्यों की सूची मांगी गयी है और सूची मिलने के बाद लाइनों में क्या कार्य हुए है उसकी जांच करायी जाएगी। जांच में दोषी पाये जाने पर सम्बधित उपकेन्द्र के अधिशासी अभियंता से लेकर लाइनमैन तक कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षो की अपेक्षा वर्तमान समय में राजधानी की बिजली आपूर्ति में सुधार कराये गये है यहीं कारण है कि शहर के नब्बे फीस व ग्रामीण क्षेत्र के 75 फीसद इलाकों की बिजली आंधी थमने के मात्र दो घंटे के आंतराल में सामान्य करा दी गयी थी।
अब मानसून के सहारे लेसा अफसर
राजधानी में पड़ रही भीषण गर्मी से बेहाल आमजन मानसून के आने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं बिजली विभाग के अधिकारियों व अभियंताओं को भी मानसून के आने का बेसब्री से इंतजार हैं। इनका मानना है कि अब रही मानसून आने के बाद ही बिजली की मांग की समस्या से निजात मिल सकेगी। राजधानी में शहर में सुबह नौ बजे के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। भीषण तपिश व गर्मी के चलते बिजली की खपत बढ़ जाने से लेसा के फीडर व ट्रांसफार्मर भी शोला बन चुके हैं। आलम यह है कि शहर का शायद ही कोई इलाका हो जो बिजली की आवाजाही व वोल्टेज के उतार चढ़ाव की समस्या से ग्रस्त न हो। बिजली विभाग के अफसरों का कहना है कि अब मानसून के आने के बाद ही बिजली की मांग घटेगी और बिजली की समस्या से निजात मिल सकेगी। लेसा के अधिशासी अभियंताओं का कहना है कि यदि मौसम का तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो उपकेन्द्रों के ट्रांसफार्मर व फीडरों को सुचारु रख पाना मुश्किल हो जाएगा। ट्रांसफार्मर हीट हो जाने के बाद कुछ देर के लिए बन्द करना पड़ता है।