- हजारों दुकानदारों ने नहीं कराया दुकानों का नवीनीकरण
- आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 21 जनवरी थी नवीनीकरण की अंतिम तिथि
- आबकारी विभाग ने नये सिरे से शुरू की दुकानों के व्यवस्थापन की तैयारी
लखनऊ। शराब के कारोबार में मुनाफा न होने से करीब 40 फीसद दुकानदारों ने शराब की दुकानों का नवीनीकरण नहीं कराया है। नवीनीकरण न होने वाली दुकानों में सभी प्रकार की मदिरा की दुकानें शामिल हैं। शराब कारोबारियों के इस रवैये से 40 फीसद दुकानें आबकारी विभाग के लिए सिरदर्द साबित हो रही हैं। आबकारी विभाग आगामी वित्तीय वर्ष के लिए नवीनीकरण न होने वाली मदिरा की दुकानों के व्यवस्थापन की तैयारी नये सिरे से शुरू कर दी है।
प्रदेश में शराब की 25,702 दुकानें हैं इनमें 14,467 देशी, 5,770 बीयर, 407 माडल शॉप तथा बाकी अंग्रेजी शराब की दुकानें हैं। इन दुकानों के नवीनीकरण के लिए 21 जनवरी तक अंतिम तिथि निर्धारित की गयी थी। इस तिथि तक तकरीबन 60 फीसद दुकानदारों ने नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। शेष 40 फीसद दुकानदारों ने नवीनीकरण कराने में रुचि नहीं दिखाई।
सर्वाधिक देशी शराब की दुकानों का नवीनीकरण नहीं हो सका है, जिस कारण आगामी वित्तीय वर्ष के लिए इन 40 फीसद दुकानों का व्यवस्थापन कराना आबकारी विभाग के लिए चुनौती बना है। सूत्रों के मुताबिक जिन दुकानों का नवीनीकरण नहीं हो सका है, उनका ई-लाटरी के जरिये इसी महीने आवंटन कराया जाएगा। आबकारी विभाग ने फिलहाल इन दुकानों के आवंटन के लिए मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है। शराब कारोबारियों का कहना है कि पुराने मूल्य पर शराब दुकानें घाटे का सौदा साबित होंगी, क्योंकि चालू वित्तीय वर्ष में उपरोक्त दुकानों के कारोबार से कोई खास मुनाफा नहीं हुआ है। इसके पीछे उनका तर्क है कि शराब दुकानों के खुलने तथा बन्द होने की समय- सीमा में कटौती होना है। उधर आबकारी विभाग के अफसरों का कहना है कि आगामी वित्तीय वर्ष में शराब दुकानों के खुलने का समय बढ़ा दिया गया है। इसके अतिरिक्त आबकारी विभाग अनौपचारिक रूप से दुकानदारों को यह तर्क देकर दुकानें लेने के लिए प्रेरित कर रहा है कि आगामी वित्तीय वर्ष में आम चुनाव होने है, जिसका सीधा असर शराब कारोबार पर पड़ेगा। इसके बाद भी शराब कारोबारी दुकानों को लेने के लिए कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। प्रमुख सचिव आबकारी कल्पना अवस्थी के मुताबिक 2009-10 में आबकारी राजस्व में वृद्धि के मकसद से आबकारी नीति तैयार करने की बात कही गई थी, लेकिन बीते सात वर्षों में औसत वृद्धि 13.97 प्रतिशत रही जबकि सबसे अधिक 25.84 प्रतिशत की वृद्धि 2011-12 में हुई। सबसे कम 3.08 प्रतिशत की वृद्धि 2016-17 में थी। ऐसे में यह अप्रासंगिक हो चुकी थी जिसके कारण नीति का बदला जाना जरूरी था।
ये थी कारोबारियों की मांग
- एक वर्ष में शराब की दुकानों से लाइसेंस फीस निकालना मुश्किल हुआ।
- बिना शर्त बीते वर्ष आवंटित की गई दुकानों का नवीनीकरण करने की थी मांग।
- दुकानों का नवीनीकरण करने से कारोबारी को फायदा होता।
- दुकान दोबारा लॉटरी में आने पर लाइसेंस फीस दोबारा देनी पड़ेगी।
- शराब पर जीएसटी लगे तो यूपी में शराब के तस्करी पर अंकुश लग सकता है।
- लाइसेंस लेने वाले को हैसियत और चरित्र प्रमाण पत्र देना जरूरी होगा।
- केवल अच्छा कारोबार करने वाले व्यवसायियों को एक साल के नवीनीकरण का लाभ मिलना गलत।
नवीनीकरण से अवशेष दुकानों का व्यवस्थापन ई-लाटरी द्वारा कराया जा रहा है। ई-लाटरी में भाग लेने के लिए इच्छुक आवेदक धरोहर धनराशि का ड्राफ्ट स्कैन करके अपलोड कर सकते हैं। इसके अलावा प्रतिभूति राशि अब राष्ट्रीय बचत पत्र के रूप में जमा की जा सकेगी, जिस पर अनुज्ञापी को ब्याज का अर्जन भी होगा। नवीनीकरण कराने के इच्छुक आवेदकों को नया हैसियत प्रमाण-पत्र बनवाने की जरूरत नहीं है। आवेदकों को ेेेशेष लाइसेंस फीस 28 फरवरी तक जमा करनी होगी।
कल्पना अवस्थी, प्रमुख सचिव, आबकारी विभाग
बार-बार लाटरी सिस्टम से सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। पूर्व में लाटरी सिस्टम से आवंटित दुकानों पर तीन से चार माह तक शराब की उठान नहीं हुई। इससे राजस्व का घाटा हुआ। लेकिन कोटा न पूरा कर पाने वाले कारोबारियों के लिए दुकानों की लॉटरी का सिस्टम है, इसलिए कारोबारियों की रूचि कम हो रही है। बियर के उपभोग में 30 प्रतिशत की वृद्धि एवं विदेशी मदिरा के राजस्व में 40 प्रतिशत की वृद्धि करने वाले फुटकर दुकानों का नवीनीकरण किये जाने की सुविधा प्रदान की गई है। जिससे कारोबारियों में काफी रोष है।
कन्हैयालाल मौर्या, महामंत्री, लखनऊ शराब एसोसिएशन