लखनऊ। राजधानी की कोचिंग मालिक फीस शैड्य़ूल क्या रखें, इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है, शायद यही कारण है कि जिसने जो फीस रख दी, सभी छात्रों को वह मान्य होती है। सिकन्दराबाग चौराहे पर स्थित टीम सत्यम में क्लैट की कोचिंग चलती है।
यहां पर क्लैट पॉसिबिल ब्रांड नेम से कोचिंग तो चलती है, लेकिन फीस का हाल मनमाना है। दो महीने के क्रैश कोर्स के जहां 30,000 रु. वसूले जा रहे हैं तो एक वर्ष की कोचिंग जो एक सप्ताह में मात्र दो दिन की पढ़ाई होगी, उसके एक से सवा लाख वसूले जा रहे हैं।
फे्रंचाईजी कोचिंग होने के नाते कई सरकारी विभाग उन्हें छू नहीं पाते, जिसकी वजह से कोचिंग के मनमानेपन पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। ठीक इसी तरह से आकाश कोचिंग के नाम से शाहनजफ रोड और कपूरथला चौराहे पर अवैध बिल्ंिडग में कोचिंग संचालित की जा रही है। इस कोचिंग पर कार्रवाई करने से न केवल विभाग हिचकिचा रहा है तो वहीं अन्य जिम्मेदार विभाग भी चुप्पी साधे हुए हैं।
आकाश कोचिंग ने जो फीस रखी है, उसे देने में अच्छे- अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। बताते हैं कि यहां पर क्रैश कोर्स के ही नब्बे हजार से एक लाख वसूले जा रहे हैं, जबकि एक वर्ष के कोर्स के तीन से चार लाख वसूलना मामूली बात है, लेकिन शाहनजफ रोड की अवैध बिल्ंिडग से यदि अप्रिय घटना हो जाय तो बच्चे बाहर ही नहीं निकल पाएंगे।
मजे की बात ये है कि रीजनल हायर एजूकेशन ऑफीसर राजीव पाण्डेय ने बताया था कि उन्होंने ऐसे कोचिंगों के खिलाफ जांच करने के लिए कमेटी बनायी है, जो अपनी कोचिंगों में छात्र संख्या के हिसाब से सुविधाएं नहीं दे रही हैं। राजीव ने कहा था कि कमेटी बनायी जा चुकी है तथा कोचिंग मालिकों को नोटिस भी भेज दी गयी है और एक जून से अभियान चलाया जाएगा।
लेकिन बीते शनिवार को किसी भी कोचिंग के खिलाफ कोई भी अभियान नहीं चला। अब कागजों पर अभियान चलाकर इतिश्री कर ली गयी हो तो और बात है। इस बावत राजीव से कई बार दूरभाष पर फोन करके पूछने की कोशिश की गयी, लेकिन उन्होंने फोन भी उठाना मुनासिब नहीं समझा।
मजे की बात ये है कि राजधानी में कुकुरमुत्ते की तरह फैले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने का जिम्मा जिन विभागों के पास है, वे अभी भी 15 दिन, बीस दिन, एक हफ्ते का मौका देकर मामले को ठंडा करने में लगे हैं, ऐसे में जब जिम्मेदार ही चुप बैठ जाएंगे तो आखिर इन खरबपति कोचिंग मालिकों के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा ?
कहने के लिए तो रीजनल हायर एजूकेशन ऑफीसर ने कहा था कि वे एक कमेटी बना रहे हैं, जो उन कोचिंगों की जांच करेगा, जिन्होंने उनके विभाग से पंजीकरण कराया है, लेकिन हाल जस का तस है, कागजों पर अभियान चलाए जा रहे हैं और शनिवार- रविवार की छुट्टियां बताकर कार्रवाई से पीछा छुड़ा रहे हैं।
राजधानी की कोचिंगों के हालात जिस तरह से भयावह हैं, उससे अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि यदि कभी राजधानी के इन कोचिंगों में आग लगी तो कितना कुछ नुकसान हो सकता है, लेकिन जिम्मेदार सिर्फ कागजी कार्रवाई करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ले रहे हैं। ऐसे में साफ है कि कोई भी जिम्मेदार कार्रवाई से बच रहा है।