- राजधानी के चार फैमिली बाजार हुए बंद
- बेची जाने वाली सामग्री पर जीएसटी की छूट नहीं मिलने से विभाग को हो रहा था नुकसान
- नौ फैमिली बाजार में से बर्लिंगटन, अलीगंज, राजाजीपुरम, आलमबाग में लगे ताले
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। सूबे के राज्यकर्मियों को सस्ती दरों पर दैनिक व घरेलू उपयोग की वस्तुएं मुहैया कराने के लिए राजधानी में पिछले वर्षो में खोले गये कल्याण निगम के नौ में से चार ‘फैमिली बाजारÓ जीएसटी की छूट नहीं मिलने से बंद हो गये हैं। शहर के प्रमुख स्थलों बर्लिंग्टन, अलीगंज, राजाजीपुरम और आलमबाग में संचालित हो रहे इन फैमिली बाजार में अब ताले लग गये हैं। यहां के कर्मचारियों का दावा है कि जीएसटी की छूट नहीं मिलने से विभाग का लाभांश 25 प्रतिशत के नीचे पहुंच गया है, जिसके चलते इन्हें बंद करना मजबूरी बन गया था।
असल में डेढ़ साल से विभाग की ओर से कर्मचारियों को सस्ते दरों में मुहैया करायी जाने वाली सामग्री पर जीएसटी की छूट की मांग की जा रही थी। राज्य सरकार की ओर से कोई चिंता नहीं लेने के चलते पीपीपी मॉडल पर खुले ये फैमिली बाजार बंदी के कगार पर पहुंच गये। सम्बन्धित अधिकारियों का कहना है कि अब दोबारा जीएसटी छूट मिलने के बाद ही इनको शुरू किया जा सकेगा। हालात ये हो गई कि विभाग से करार खत्म होने के बाद दोबारा किसी फर्म ने अपना कार्यकाल ही नहीं बढ़वाया है।
उधर चतुर्थ श्रेणी राज्य राज्य कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष रामराज के अनुसार दरों में छूट न मिलने के कारण कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है। सामान कई जगह आधा हो गया है साथ ही ब्रांडेड आइटम मिलते ही नहीं। महासंघ के महामंत्री व उप महामंत्री ने भी धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि इनके बाहर लगे बोर्डों पर कर्मचारियों के लिए छूट लिख कर उन्हें गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन कैण्टिनों और फैमली बाजार से ज्यादा छूट तो आम दुकानों पर मिल रही है।
रोजी- रोटी का संकट
कर्मचारी संघ के नेताओं की माने तो जीएसटी से छूट नहीं मिलने पर निगम के 166 डिपो एवं 19 फैमली बाजारों में कार्यरत लगभग 850 कर्मचारियों एवं उनके परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। प्रदेश के 18 लाख राज्य कर्मचारियों को पूर्व में वैट से मिले छूट की तरह जीएसटी से छूट प्रदान की जाए जिससे कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लाभ मिल सके। प्रदेश के राज्य कर्मचारियों को दैनिक उपभोग की वस्तुयें वैट कर रहित उपलब्ध कराने के लिए सन 1965 में कल्याण निगम की स्थापना राज्य सरकार द्वारा की गई थी। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण निगम तब से आज तक लगातार राज्य कर्मचारियों, सेवानिवृत्त, मृतक आश्रित परिवार को दैनिक उपयोग की वस्तुए वैट रहित मूल्य पर उपलब्ध करा रहा था।
पीड़ा नहीं समझ पायी सरकार?
राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए खोली गयीं विभिन्न कैंटीनों में यह सभी 850 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कैंटीनों में सभी राज्य कर्मचारियों के घरेलू इस्तेमाल में आने वाली वस्तुयें सस्ते दामों में मिलती थी। जिसकी कमाई के 2 प्रतिशत पैसों से इन कर्मचारियों की सैलरी निकल जाया करती थी, मगर मोदी सरकार के एक फैसले ने इन सभी 850 कर्मचारियों के परिवारों में भूचाल ला दिया। बता दे कि देश में जब से जीएसटी लागू किया है, तब से कैंटीनों में मिलने वाला सामान बाजार भाव के बराबर पर आ गया है, जिसके कारण राज्य सरकार के विभिन्न कर्मचारियों ने कैंटीनों से सामान खरीदना बंद कर दिया है और वह समय तथा अपनी सुविधा के अनुसार जरूरत का सामान नजदीक की किसी मार्केट से ही लेना पसंद कर रहे हैं। जीएसटी लागू होने के बाद से उत्तर प्रदेश की राज्य कैंटीनों में बिक्री पूरी तरह ठप है। इन कैंटीनों में अरबों रूपये का सामान डंप पड़ा है। राज्य कर्मचारी कल्याण निगम को समझ नहीं आ रहा कि वह इस संकट से किस तरह निपटे। दरअसल जीएसटी लागू होने के बाद कई सामान ऐसे हैं जिन पर टैक्स लगाने के बाद कीमत एमआरपी से अधिक हो रही है। ऐसे में लाभांश घटाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है।