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डग्गामार बसों से रोजाना लग रहा दो करोड़ का चूना

प्रदेश में 4 हजार से अधिक डग्गामार बसें निगम के राजस्व में कर रहीं सेंधमारी

प्रदेश के अलावा दूसरे प्रांतों तक भी फैला डग्गामार बसों का नेटवर्क 

रोडवेज की तर्ज पर डग्गामार बसों में भी मिलती है ऑनलाइन सीट बुकिंग की सुविधा

कम किराये के चलते यात्रियों की पसंद बनी हुई हैं डग्गामार बसें

परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते प्रदेश में फैला डग्गामार बसों का मbus copyकडज़ाल
लखनऊ। प्रदेश की परिवहन व्यवस्था के लिए नासूर बन चुके डग्गामार वाहन उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम को रोजाना दो करोड़ का चूना लगा रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार महकमा डग्गामार बसों पर पुख्ता कार्रवाई की बजाय आंख मूंदे हुए है। जिम्मेदार महकमों की अनदेखी का आलम यह है कि डग्गामार बसें बिहार तक की सवारियां लेकर राजधानी के रास्ते दिल्ली तक जा रही हैं। एक प्रदेश को लांघते हुए डग्गामार वाहन दूसरे प्रांत में कैसे पहुंच जा रहे हैं यह बड़ा सवाल है? 12 हजार बसों के बेड़े वाले परिवहन निगम के राजस्व में रोजाना 2 करोड़ की सेंधमारी के बावजूद कार्रवाई महज अभियान तक सीमित है। डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान की हकीकत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में प्रदेश में चार हजार से अधिक डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है।
डग्गामार बसों का प्रदेश में ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों में नेटवर्क फैला है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में राजधानी में पकड़ी गयी बिहार के मधुबनी जनपद से दिल्ली जा रही डग्गामार बस के रुप में देखा जा सकता है। यह तो महज बानगी भर है, डग्गामार बसों के संचालन की हकीकत तो बिल्कुल जुटा है। लखनऊ से पंजाब, जयपुर से लखनऊ, लखनऊ से दिल्ली, आगरा के अलावा कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर समेत कई अन्य शहरों से बड़ी संख्या में डग्गामार एसी व नान एसी बसों का संचालन किया जा रहा है। डग्गामार बसें यात्रियों को कम किराये के साथ ऑनलाइन बुकिंग की भी सुविधा दे रही है। कम किराये के चलते ही डग्गामार बसें यात्रियों की पहली पसंद बने हुए हैं। ट्रेवल वेबसाइटों रेड बस, मेक माई ट्रिप, यात्रा डाट कॉम, ट्रेवल यारी समेत अन्य साइटों में डग्गामार बसों की ऑनलाइन बुकिंग होती है। इन वेबसाइटों पर परिवहन निगम की बसों की बुकिंग के विकल्प के बावजूद यात्री रोडवेज की बसों को छोड़कर डग्गामार बसों में अपनी सीट बुक कराते हैं। रोडवेज की लखनऊ से दिल्ली की एसी सेवाओं का किराया जहां 1337 रुपये है, वहीं डग्गामार एसी स्लीपर बस का किराया नौ सौ रुपये है। ऐसे में यात्री डग्गामार बसों से ही सफर करना पसंद करते हैं। परिवहन निगम के साल भर पहले के सर्वे में डग्गामार बसों का यह आंकड़ा दर्ज किया गया था। साल भर बाद स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

शहर में डग्गामार बसों के ये हैं हब

शहर में ही कई जगह ऐसी हैं जो डग्गामार वाहनों के हब हैं। पॉलिटेक्निक चौराहा, क्लार्क अवध के पीछे शनि मंदिर, पिकैडली होटल के पीछे, सिटी स्टेशन के पास समेत कई स्थान हैं जहां पर बड़ी संख्या में डग्गामार बसें खड़ी मिल जाएंगी। इसकी जानकारी भी परिवहन विभाग व परिवहन निगम के अधिकारियों को है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई भी आगे नहीं आता।

आगरा एक्सप्रेस-वे के रास्ते हो रही संचालित

प्रदेश की सड़कों पर बेखौफ दौड़ रही डग्गामार बसों पर तभी लगाम लग सकती है जब इनकी लगातार चेकिंग की जाए। खासकर टोल बूथों पर आरटीओ प्रवर्तन दस्तों को मुस्तैदी के साथ जांच करने की आवश्यकता है। दरअसल, बिहार से दिल्ली जाने वाली डग्गामार बसें सबसे अधिक आगरा एक्सप्रेस-वे के रास्ते आवागमन करती हैं। इसी प्रकार बिहार की बसें गोपालगंज, गोरखपुर के रास्ते होकर लखनऊ पहुंचती हैं। वहीं कुछ बसों का संचालन कानपुर होकर दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर किया जाता है। आरटीओ के नेतृत्व में प्रवर्तन दस्तों को नवाबगंज, मोहान रोड व अहमदपुर टोल बूथों पर रोडवेज अधिकारियों के साथ लगकर जांच करायी जानी चाहिए। रोडवेज के एमडी व परिवहन विभाग के परिवहन आयुक्त जब एक ही हैं तो प्रभावी कार्रवाई न होना चिंता की बात है।

डग्गामार बसों पर अंकुश लगाने का अधिकार परिवहन निगम की बजाय परिवहन विभाग के पास है। कभी- कभी परिवहन मंत्री या अन्य उच्च प्रबंधन के आदेश पर संयुक्त रुप से अभियान चलाते हैं। परिवहन विभाग के सहयोग से ही रोडवेज के अफसर आरटीओ प्रवर्तन के साथ मिलकर डग्गामार बसों के खिलाफ अभियान चलाते हैं।

 

एचएस गाबा, मुख्य महाप्रबंधक, संचालन, परिवहन निगम

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