- हाल ही में स्वास्थ्य विभाग और कारागार विभाग के तबादलों में बखूबी देखी जा सकती है कमाऊ कार्यशैली
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का अनोखा कारनामा, जवाबदेही से बचने के लिए अलाप रहे ‘त्रुटिपूर्ण’ का राग
- चार दिनों में निरस्त हुये चार तबादले, आदेश में कारण लिखा गलती से हो गया था तबादला
- आईजी जेल को मिला पांच करोड़ का रिटायरमेंट गिफ्ट!
लखनऊ। प्रशासनिक सुधार के लिये संजीदा योगी सरकार के प्रयासों पर विभागीय आलम्बरदारों की कार्यशैली भारी पड़ रही है। सरकार का दावा है कि सुशासन की स्थापना के लिये कई उपयोगी कदम उठाये गये हैं। इसमें से एक है पारदर्शी तबादला नीति। पर, योगी सरकार की इसी पारदर्शी तबादला नीति की चिकित्सा विभाग और कारागार विभाग में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग में बीते 31 मई को शासन के निर्देश पर चिकित्साधिकारियों के हुये स्थानांतरण को तीन दिन के भीतर ही कई निरस्त कर दिये गए। विभाग चिकित्साधिकारियों के स्थानांतरण निरस्त त्रुटिपूर्ण बता रहा है। चिकित्सकाधिकारियों के स्थानांतरण व इसके निरस्तीकरण की प्रक्रिया को विभागीय जानकारों की मानें तो बड़ी धांधली मान रहे हैं। उनका तर्क है कि अधिकारी धांधली को छिपाने के लिए त्रुटिपूर्ण जैसी शब्द को उछाल कर अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं। विभाग की ओर से मुख्य चिकित्साधिकारी, संयुक्त निदेशक व वरिष्ठ परामर्शदाता समेत कुल 12 चिकित्साधिकारियों के स्थानांतरण का शासनादेश
बीते माह की 31 तारीख की तिथि में जारी हुआ था। आदेश के तहत जारी नामों की सूची में शामिल विभागीय जानकारों की मानें तो डॉ० राकेश कुमार को सीतापुर से लोकबंधु अस्पताल लखनऊ के लिए समायोजित नवीन तैनाती की गई। इसी तरह वाराणसी के के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चिरईगांव में तैनात डॉ. सनील कुमार को नवीन तैनाती के तहत सोनभद्र जिले में संयुक्त निदेशक कार्यालय अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के पद पर तैनादी दी गई। स्थानांतरण सूची के इसी क्रम में यूपीएसएचआई में चिकित्साधिकारी के पद तैनात डॉ. अनिल प्रताप सिंह को कुशीनगर में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद पर नवीन तैनाती दी गई थी।
जुमा-जुमा हफ्ता भी नहीं बीता कि इन तीनों चिकित्साधिकारियों के नवीन स्थानातंरण के निरस्तीकरण का आदेश आ गया है। विभाग की ओर से तीनों चिकित्साधिकारियों का स्थानातरण त्रुटिपूर्ण बताया जा रहा है। अनुसचिव जेएल यादव के नाम से हस्तांतरित जारी शासनादेश में लखनऊ एसएचआई में तैनात डॉ. अनिल प्रताप सिंह, वाराणसी के चिरईगांव पीएचसी में तैनात डॉ. सुनील कुमार और सीतापुर में तैनात वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. राकेश कुमार को अपनी पूर्व तैनाती केन्द्र पर सेवारत रहने का निर्देश दिया गया है। तीनों चिकित्सा अधिकारियों के स्थानांतरण निरस्तीकरण को लेकर स्वास्थ्य में इन दिनों हडक़ंप मचा हुआ है। विभागीय सूत्रों की मानें तो तीनों चिकित्सा अधिकारियों के स्थानातरण निरस्त करने में बड़ी धांधली से इंकार नहीं कर सकते। स्थानातंरण रुकवाने को लेकर खूब पैसा चला है। सूत्रों के अनुसार अधिकारी अपनी जवाबदेही से बचने के लिए अब त्रुटिपूर्ण शब्द का राग अलाप रहे हैं।
कारागार विभाग में भी हुआ खेल
लखनऊ। स्थानंतरण नीति के विपरीत आईजी जेल पीके मिश्रा रिटायरमेंट से पूर्व जाते-जाते 50 प्रतिशत से ज्यादा तबादले कर गए। जेल विभाग के इतिहास में पहली बार इतने बड़े स्तर पर हुए तबादलों से सभी हैरान हैं। विभागीय अधिकारियों ने तत्कालीन आईजी पीके मिश्रा द्वारा जारी की गई तबादला लिस्ट रिस्त कर नए सिरे से करने की मांग उठाई है। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि आईजी ने दर्जन भर अधिकारियों को मनचाही तैनाती के लिए ऐसे दर्जनों अधिकारियों की जेलें बदल दी जिनके 9 या 10 माह पहले ही तबादले हुए थे। जबकि सूबे में कई ऐसे अधिकारी हैं जिनका तीन वर्ष का समय पूरा हो चुका है, उन्हें नहीं हटाया गया है।
गौरतलब है कि 31 मई की शाम रिटायरमेंट पार्टी के बाद आईजी जेल पीके मिश्रा ने एक साथ 47 जेलर और 82 डिप्टी जेलर के तबादले का आदेश जारी किया था। इस लिस्ट में कई ऐसे अधिकारी शामिल हैं जिनका बीते वर्ष ही तबादला हुआ था। जानकारों की मानें तो इसमें शासन द्वारा जारी स्थानांतरण नीति का पालन नहीं किया गया। इसके तहत जेल अधिकारियों का एक जेल पर तीन वर्ष तथा जेलकर्मियों का अधिकतम सात वर्ष रहने की व्यवस्था दी गई थी। इसके बावजूद 9 या 10 माह पहले तैनाती पाये जेलर व डिप्टी जेलर जिन पर किसी प्रकार की विभागीय कार्रवाई, भ्रष्टाचार और अन्य कोई शिकायत नहीं थी। फिर भी इनके तबादले कर दिए गए। साथ ही नीति के तहत पदों के सापेक्ष करीब 20 प्रतिशत ही तबादले होने चाहिए थे। ऐसे में 50 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नियम विरूद्ध हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो चहेते अधिकारियो की मनमाफिक जेलों पर तैनाती के लिए सत्र के अंतिम दिन तबादला सूची जारी की गई। विभाग में जेलर के कुल पद 84 है इसमें 8-10 रिक्त हैं। इनमें 47 का तबादला कर दिया गया। इसी प्रकार डिप्टी जेलर के कुल पद 440 है इसमें करीब 250 पद रिक्त हैं, इनमें 82 का तबादला कर दिया।
रातभर चला ट्रांसफर- पोस्टिंग का खेल
विभाग में चर्चा है कि आईजी जेल पीके मिश्रा की रिटायरमेंट पार्टी के बाद पिकप भवन गोमती नगर में रातभर ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल खेला गया। इस पैसे के दम पर कई ईमानदार अफसरों के विकेट गिराये गये और पैसे के दम पर कई दागी अफसरों को दोबारा बैटिंग करने का मौका दिया गया। तत्कालीन आईजी जेल पीके मिश्रा को रिटायरमेंट गिफ्ट में पांच करोड़ रुपये देने के लिए अधिकारियों ने बोली लगाकर और नियमों को ताक पर रखकर ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल खेला।
पश्चिम की जेलों में बरसता है पैसा
विभागीय सूत्रों की मानें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, मेरठ, बुलंदशहर, सहारनपुर सहित कई अन्य जेल कमाऊं जेलों में शुमार की जाती हैं। यहां जाने के लिए जेलर की पोस्ट का 15 लाख और डिप्टी जेलर की पोस्ट के लिये पांच लाख रुपये की वसूली होती है।