- नगर निगम में सालों से चल रहा तेल चोरी का खेल
- गाडिय़ों की निगरानी के लिए लगाया गया था जीपीएस सिस्टम
- निगम के कई अफसरों के शामिल हुए बगैर ये कार्य चौराहे पर संभव नहीं
- जीपीएस लगाने के बाद प्रतिदिन 30 लाख की हुई थी बचत, तो कैसे होने लगी दोबारा चोरी?
धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। नगर निगम में खुलेआम तेल में सेंध लगाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आये दिन शहर की सड़कों पर ऐसे नजारे देखने को मिल रहे है। कुछ ऐसा ही खेल बिजनेस लिंक के कैमरे में बीते शनिवार की सुबह हजरतगंज चौराहे के निकट कैद हुआ। सुबह ११ बजे के करीब निगम के कर्मचारी एक डंपर यूपी-३२ जेड ७६३४ से तेल निकालते पकड़े गये। जब इस मामले को लेकर पूछताछ की गयी तो किसी के पास कोई जवाब नहीं था। मामला तूल पकड़ा तो मुख्यालय तक गया, लेकिन खबर लिखे जाने तक इस मामले पर कोई भी जिम्मेदार कुछ बोलने को तैयार नहीं था। कई बड़े अधिकारियों के फोन तक नहीं उठे। सूत्रों का कहना है कि जिस डंपर से तेल चोरी किया जा रहा था, उसको कूड़े की उठान में लगाया गया था। वहां पांच लोग थे जो चोरी को अंजाम दे रहे थे। किसी के हाथ में खाली गैलन थे, तो कोई गैलन में तेल भरने का काम कर रहा था। तेल की चोरी खुलेआम नगर निगम के वाहन चालक कर रहे थे। जब इस हरकत को अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश की तो वाहन चालकों में हड़कंप मच गया और वे भागने लगे। लखनऊ नगर निगम की इस हरकत की सच्चाई तस्वीरें बयां कर रही हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इस डीजल चोरी का दोषी कौन?
गौरतलब है कि नगर निगम में जारी तेल का खेल राजधानी लखनऊ के नगर निगम में ही प्रतिदिन लाखों के वारे-न्यारे हो रहे हैं। जी हां, अगर आप अचम्भित हैं तो चौकिये मत। हम आपको हकीकत पहले भी बता चुके हैं। दरसअल, नगर निगम में राजधानी के 110 वार्डों का कूड़ा उठाने के लिये विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े वाहन चलाये जाते हैं। जिसके ईंधन की व्यवस्था नगर निगम को करनी होती है। इसके लिए बाकायदा एक विभाग भी बना है जिसे आर.आर. विभाग के नाम से जाना जाता है। अब बात इसमें चल रहे भ्रष्टाचार की। यू तो ये गाडिय़ा कूड़ा उठाने के लिए कागजों पर तो दिनभर दौड़ती हैं पर सच्चाई ये है कि शहर में कूड़ा कई- कई दिनों के बाद भी नहीं उठाया जाता है। अब आइए आंकड़ों को समझते हैं कि आखिर जो पैसा इन गाडिय़ों के ईंधन के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में जारी किया गया उसमें कैसे इस वर्ष में महीने दर महीने बढ़ोतरी की गई। बावजूद इसके गाडिय़ां कागजों पर ही दौड़ रही हैं। आखिर जो हर माह ज्यादा ईंधन फूंक दिया गया उसका पैसा किसकी जेबे गर्म कर रहा है ये जांच का विषय है?
कूड़ा उठाने में प्रयोग होने वाले वाहनों और मशीनों में निर्गत किया गया ईंधन ये बताता है कि वित्तीय वर्ष 2016 -17 में 15 मई से लेकर 31 अगस्त तक लगभग 8,20,554 लीटर ईंधन खर्च हुआ। अब आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2017- 18 का जिसमें 15 मई से 31 अगस्त तक कुल ईंधन 9,08,430 हिसाब से लगभग एक वित्तीय वर्ष में 87,876 का अंतर आया। इसी तरह निगम की अन्य विभागों में प्रयोग होने वाले वाहनों और मशीनों में जो ईंधन खर्च हुआ जरा उस पर भी गौर फरमायें, वर्ष 2016-17 में प्रयोग किया गया ईंधन लगभग 2,45,023 लीटर उपभोग हुआ। वहीं वित्तीय वर्ष 2017-18 में 15 मई से 31 अगस्त तक 3,75,465 तक पंहुचा और लगभग 30,360 लीटर ईंधन बाहर से भी खरीदा गया। खेल इन्हीं आंकड़ों के बीच खेला गया है। क्योंकि जब गाडिय़ां अमूमन उन्हीं इलाकों में ही दौड़ रही हैं। हालांकि, हर महीने ईंधन की खपत में बढ़ोतरी सिवाय निजी लाभ के और कुछ नही दर्शाती। लेकिन, बड़ी बात ये है कि इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है और कैमरे पर बोलने से हर अधिकारी कतरा रहा है। ऐसे में सवाल और भी हैं, क्योंकि इस घपलेबाजी में कूड़ा उठाने वाली कंपनी को जो भुगतान किया गया वो भी सवालों के घेरे में है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब तेल की चोरी यूं ही जारी रहेगी, तो राजधानी स्वच्छ कैसे होगी?
किस वाहन में कितना तेल खर्च हुआ… कौन देगा रिपोर्ट
कौन सी गाड़ी कहां जा रही है इसकी रोजाना की रिपोर्ट पर निगम के अफसरो को निगरानी रखनी थी। अफसर पहले ये कह कर बच जाया करते थे कि वाहनों की मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है, लेकिन हाईटेक व्यवस्था के बाद भी इसमें यदि सेंध लगाकर निगम को उसके ही कर्मचारी चूना लगाते रहेंगे तो फिर निगम कैसे तंगहाली से उबर पायेगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कार्य के लिए निगम ने एक अलग आर.आर विभाग तक बना रखा है। इसके बावजूद निगरानी से लेकर कूड़े की उठान तक कोई कार्य समय से नहीं होता है।
पूर्व नगर आयुक्त ने लगाई थी लगाम
नगर निगम में पिछले कुछ महीने पहले ही डीजल की अपार खपत के बाद पूर्व नगर आयुक्त उदयराज ने इसमें लगाम लगाने के लिए सख्ती की थी। उन्होंने पाया था कि तीन माह से डीजल के बिलों में एक करोड़ रुपये के करीब की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। इस पर उन्होंने बिलों के भुगतान पर रोक लगाते हुए जांच के निर्देश दिए थे। मामले की जांच अपर नगर आयुक्त नंदलाल सिंह ने की। नगर निगम की इस कार्यप्रणाली से तेल चोरी पर लगाम लग गई थी। लेकिन किसी को क्या पता था कि चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात। साथ ही निगम के इस फैसले से वाहन चालकों के होश उड़ गए थे, लेकिन अब लग रहा है चोरो के हौसले फिर बुलंद हो चुके है।
जीपीएस सिस्टम के बाद भी चोरी
नगर निगम की 208 गाडियों में जीपीएस लगने के बाद भी तेल में खेल करने से कर्मचारी बाज नहीं आ रहे है। हालांकि निगम ने दावा किया था कि तेल के खर्च में 30 लाख की गिरावट देखने को मिली है। वाहनों में जीपीएस लगने से तेल चोरी करने वालों पर लगाम कसने के बाद भी अधिकारियों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है। दावे तो यहां तक किये गये थे कि जीपीएस लगी गाडियों की मॉनिटरिंग भी ऑनलाइन देखी जायेगी, तो फिर चोरी का खेल कैसे हो रहा है।
चोरो के हौसले बुलंद
एक ओर पूरे शहर में कूड़ा उठान न होने की शिकायतें आम हैं। तो दूसरी तरफ इस कार्य में लगे सफाई वाहन के कर्मचारी चोरी कर आम जनमानस के साथ धोखा कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी तेल की चोरी के कई मामले पहले भी उजागर हुए हैं, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कार्यवाही न होने के चलते तेल चोरो के हौसले बुलंद हैं। इसकी बानगी हजरतगंज चौराहे पर निगम के डंपर से तेल चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़े गये कर्मचारियों की कारगुजारी से बखूबी पता चलता है।
इन्होंने नहीं दिया रिस्पांस
मामले की जानकारी के लिए नगर निगम के नवनियुक्त नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी, अपर नगर आयुक्त पी.के श्रीवास्तव व जोन एक के जोनल अधिकारी से संपर्क किया गया, तो उनका फोन नहीं उठा।
बोली मेयर लौटते ही होगा एक्शन
गाडिय़ों की निगरानी के लिए जीपीएस सिस्टम कार्य कर रहे है। मैं अभी अहमदाबाद में हूं। यदि ऐसा कोई मामला है, तो मैं लौटते ही एक्शन लूंगी और जीपीएस की निगरानी करने वाले अधिकारियों से कड़ाई से पूछताछ करूंगी।
संयुक्ता भाटिया, महापौर