बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक स्वर्गीय चन्द्रभानु गुप्त का 115वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के संयोजक चन्द्रभानु गुप्त जनसेवा संस्थान के अध्यक्ष वरिष्ठ समाजवादी नेता रघुनंदन सिंह काका ने श्री गुप्त के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 1934 में श्री गुप्त ने बिहार में आये विनाशकारी भूकंप पीडि़तो की मदद के लिए प्रदेश भर से मदद एकत्रित करके राहत समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र बाबू तक पहुचाई।
उन्होंने बताया श्री गुप्त 1935 में गठित कांग्रेस समाजवादी पार्टी के संथापक सचिव रहे। श्री गुप्त मानवीय संवेदना के पक्षधर थे। प्रशासनिक मामलों में उनका कठोर अनुशासन था। वह अपने मातहत अधिकारियों को हमेशा सही काम करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। श्री गुप्त कहते थे कि चंद लोग अगर यह मानते हैं कि मुसलमानों को अलग कर देश चलाया जा सकता है कि तो यह उनकी भूल है।
उन्होंने बताया चन्द्र भानु गुप्त जी का जन्म अलीगढ़ में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा लखमीपुर के धर्मसभा इंटर कालेज में हुई। पिता मेवालाल गुप्त आर्य समाजी थी। इनको मौलवी और पण्डित दोनों पढ़ाते थे। लखीमपुर में कुमार सभा जो आर्य समाज की नौजवान शाखा थी, वहीं से उनका सामाजिक जीवन शुरू हुआ। इसके उपरांत लखनऊ के केनिंग कालेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। यहीं से उन्होंने विधि स्नातक की डिग्री भी प्राप्त की। काकोरी कांड की वकालत करके वह अंग्रेजी हुकूमत की निगाह में चढ़ गए। इस दौरान भगत सिंह श्री गुप्त से मिलने भेष बदलकर लखनऊ आये। स्वतंत्रता संग्राम में श्री गुप्त कई बार कठोर कारावास का दण्ड मिला।
कांगेस के कलकत्ता अधिवेशन में जाते समय अंग्रेजो ने उन्हें इलाहाबाद से गिरफ्तार कर लिया। 6 माह के बाद वह जेल से रिहा हुए। वयोवृद्ध समाजवादी नेता भगवती सिंह, अशोक बाजपेयी, उदय खत्री, भारती यादव मथुरा, पूर्व विधायक रामपाल यादव, दीपक मिश्रा, दीपक राय, मुख्य अतिथि पीसीएफ के चेयरमैन आदित्य यादव रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आदित्य यादव को काका ने चांदी का मुकुट पहनाकर स्वागत किया।
श्री गुप्त की वसीयत
मेरा सफर कभी रुका नहीं, कभी झुका नहीं। मेरा जीवन एक भिखारी का जीवन रहा है। जब जब मैंने झोली फैलाई देश, प्रदेश के लोगों ने मेरी झोली भर दी। मेरी संस्थाओं रवींद्रालय, मिनी रवीन्द्रालय, हरविलास चिकित्सालय, नेशनल चह कालेज, चन्द्रावल चह कालेज, बीकेटी कृषि महाविद्यालय भविष्य में मेरे सामाजिक दृटिकोण को दर्शएँगी। श्री गुप्त प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। हालांकि इस दौरान उनके पण्डित नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी से सैद्धान्तिक मतभेद हमेशा रहे। इसकी बानगी एक बार देखने को मिली जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को फैजाबाद जाने की अनुमति नहीं दी।