बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। एक तरफ लखनऊ नगर निगम स्वच्छता रैंकिंग में फीडबैक लेने में अव्वल आने का जश्न मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ शहर के शौचालयों के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे है। पिछले अंक में बिजनेस लिंक ने शौचालय में हो रही कमाई का चोखा धंधा नामक शीर्षक खबर की पड़ताल प्रकाशित कर मेयर का ध्यान इस ओर खीचा। तो मेयर ने सख्ती दिखाते हुए शहर के शौचालय में समय और रेट लिस्ट लगवाने का दम भरा। नतीजा शहर के अधिकांश शौचालयों में रेट और समय संबंधित जानकारियों के कागज चिस्पा किये गये, लेकिन इस खबर के दूसरे पहलुओं पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। वहीं शहर के अधिकांश शौचालय में साफ- सफाई की व्यवस्था में कोई विशेष सुधार आने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में ओडीएफ सिटी समझ पाना थोड़ा मुश्किल काम है। मेयर का दावा है कि जिन पुराने शौचालयों को दोबारा संजोया गया है, उनके कार्य पूरे करने के बाद ही उन्हें दोबारा खोला जाएगा। लेकिन कुछ ऐसे शौचालय भी है, जहां शौचालय कर्मियों की मनमानी हावी है, उनके मर्जी के हिसाब से ताला खुलता है और बंद होता। उनके हिसाब से ही शौचालय के रेट भी संचालित होते है। शौचालय प्रयोग करने वाले विरोध भी करे तो किससे और कहां?
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