सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी।
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 7.1 फीसद पर आ गई है। कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है। सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी। इस नोट बदलने के काम में 87 फीसद नकद नोट चलन से बाहर हो गए थे। नोटबंदी के तत्काल बाद की तिमाही जनवरी-मार्च में वृद्धि दर घटकर 6.1 फीसद रही है। नोटबंदी 9 नवंबर, 2016 को की गई थी। आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर नई शृंखला के हिसाब से 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 फीसद रही है। पुरानी शृंखला के हिसाब से यह 7.9 फीसद रही थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 फीसद पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 फीसद रहा था। नोटबंदी से 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीवीए प्रभावित हुआ है। इन तिमाहियों के दौरान यह घटकर क्रमश: 6.7 फीसद और 5.6 फीसद पर आ गया। जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहियों में 7.3 और 8.7 फीसद रहा था। नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़ कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 5.3 फीसद रह गई। जो एक साल पहले समान तिमाही में 12.7 फीसद रही थी। निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी नकारात्मक रही। बेहतर मानसून की वजह से कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ। 2016-17 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.9 फीसद रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 0.7 फीसद रही थी। चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 5.2 फीसद बढ़ा, जबकि 2015-16 की समान तिमाही में यह 1.5 फीसद बढ़ा था।
कोयला, कच्चा तेल व सीमेंट उत्पादन में गिरावट के चलते नए वित्त वर्ष में भी आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अप्रैल में घटकर 2.5 फीसद रही। इन उद्योगों ने पिछले साल अप्रैल में 8.7 फीसद वृद्धि दर्ज की थी। इनमें उद्योग कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोयला, कच्चा तेल व सीमेंट उत्पादन में क्रमश: 3.8 फीसद, 0.6 फीसद व 3.7 फीसद की गिरावट आई।
प्रमुख क्षेत्रों में धीमी वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि कुल औद्योगिक उत्पादन में इन क्षेत्रों का योगदान करीब 38 फीसद है। रिफाइनरी उत्पाद व बिजली उत्पादन की वृद्धि दर अप्रैल में कम होकर क्रमश: 0.2 फीसद और 4.7 फीसद रही, जो पिछले साल इसी माह में क्रमश: 19.1 फीसद व 14.5 फीसद थी। हालांकि प्राकृतिक गैस, उर्वरक और इस्पात क्षेत्र में क्रमश: 2 फीसद, 6.2 फीसद व 9.3 फीसद की वृद्धि हुई।