प्रदूषण जांच केंद्रों की मनमानी पर लगेगी लगाम
वाहन के प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर नहीं जारी होगा प्रमाणपत्र
परिवहन विभाग ने एनआईसी के साफ्टवेयर के जरिए तैयार कराया पोर्टल
प्रदेश भर के प्रदूषण जांच केंद्रों को तीन महीने में ऑनलाइन करने का तय किया गया लक्ष्य
राजधानी में 148 और प्रदेश में 1000 के करीब हैं प्रदूषण जांच केंद्र
लखनऊ। जहरीला धुआं फेंकने वाले वाहन अब परिवहन विभाग के राडार पर होंगे। वातावरण में जहर उगल कर प्रदूषण फैला रहे वाहनों पर अब परिवहन विभाग कार्रवाई करेगा। प्रदूषण फैला रहे वाहनों को मनमाने तरीके से प्रमाणपत्र जारी नहीं कर पाएंगे प्रदूषण जांच केंद्र। प्रदूषण फैला रहे वाहनों को एक प्लेटफार्म पर लाने की कवायद परिवहन विभाग ने शुरु की है। इसके तहत विभाग ने एक पोर्टल तैयार कराया है जिसके जरिए अब वाहनों की प्रदूषण जांच रिपोर्ट ऑनलाइन मिलेगी। इसके लिए परिवहन विभाग ने साफ्टवेयर तैयार कराया है। जिसका बीते बुधवार को हुआ पहला परीक्षण सफल पाया गया। ऐसे में इस नई व्यवस्था से प्रदूषण जांच केंद्रों की मनमानी खत्म होगी और वाहनों से हो रहे प्रदूषण पर भी लगाम लग सकेगी। प्रदूषण जांच केंद्रों की वाहन मालिकों से पैसा लेकर प्रदूषण जांच रिपोर्ट थमा देने की कार्यशैली पर भी अंकुश लगेगा। एनआईसी (नेशनल इंफारमेटिक्स सेंटर) ने एक साफ्टवेयर के जरिए पोर्टल तैयार किया है। इस पोर्टल पर प्रदेश भर के प्रदूषण जांच केंद्रों को लिंक कर परिवहन विभाग निगरानी करेगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजधानी में हाथी पार्क स्थित प्रदूषण जांच केंद्र पर बुधवार को परीक्षण सफल रहा। वहीं गुरुवार को हाथी पार्क स्थित प्रदूषण जांच केंद्र पर 29 वाहनों की जांच में 14 वाहन काला धुआं उगलते पाए गए। बाकी 15 वाहन ऐसे थे जो तय मानक से कम धुआं फेंक रहे थे। ऐसे वाहन मालिकों को अंडर प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी किए गए। इस सफल परीक्षण के बाद अब राजधानी सहित प्रदेश भर के करीब एक हजार प्रदूषण जांच केंद्रों पर परिवहन विभाग सीधी नजर रख सकेगा। राजधानी में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या 148 है। दो पहिया व तिपहिया वाहन जो पेट्रोल, सीएनजी व एलपीजी से चल रहे हैं, ऐसे वाहन स्वामियों को 30 रुपये फीस प्रदूषण जांच केंद्र पर ऑनलाइन जमा करना होगा। इसके अलावा चार पहिया वाहन जो पेट्रोल व सीएनजी से चल रहे हैं उन्हें 40 रुपये व डीजल से चलने वाले सभी प्रकार के वाहनों को 50 रुपये प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र के लिए देना होगा। परिवहन विभाग ने प्रदेश भर के प्रदूषण जांच केंद्रों को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए तीन महीने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके तहत राजधानी के डेढ़ सौ और प्रदेश भर के करीब एक हजार केंद्रों को अगले तीन महीने में पोर्टल से लिंक कर लिया जाएगा। ताकि रोजाना प्रदूषण जांच केंद्रों से प्रदूषण जांच रिपोर्ट का ब्यौरा हासिल हो सके।
प्रदूषण स्तर सही, तभी जारी होगा प्रमाण पत्र
नई व्यवस्था के तहत वाहनों के प्रदूषण की जांच कराने के लिए जांच केंद्र तक जाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऑनलाइन व्यवस्था में प्रदूषण की जांच के दौरान पोर्टल पर गाड़ी का पूरा ब्यौरा दर्ज हो जाएगा। ऐसे में वाहन में प्रदूषण स्तर सही पाए जाने पर ही प्रमाण पत्र निकलेगा। प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर पोर्टल से प्रमाण पत्र जनरेट नहीं होगा, लेकिन गाड़ी का पूरा रिकार्ड पोर्टल पर दर्ज हो जाएगा। ऐसे में किसी अन्य प्रदूषण जांच केंद्र से फर्जी प्रमाणपत्र जारी नहीं हो सकेंगे।
एक क्लिक पर मिलेगा प्रदूषण फैला रहे वाहनों का ब्यौरा
काला धुआं फेंक रहे वाहनों का ब्यौरा अब नई व्यवस्था में एक क्लिक पर मिलेगा। जिसके बाद तय मानक से अधिक धुआं फेंक रहे वाहनों के प्रमाण पत्र किसी भी सूरत में जारी नहीं होंगे। ऐसे में प्रत्येक वाहन स्वामी को गाडिय़ों के इंजन मरम्मत कराकर ही दोबारा प्रदूषण जांच केंद्र प्रमाण पत्र जारी करवाना पड़ेगा। इस जांच केंद्र की निगरानी परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर तैनात आईटी सेल हेड व वरिष्ठ आरटीओ संजय नाथ झा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में तीन करोड़ वाहन हैं और इनमें मात्र दस फीसदी लोग ही प्रदूषण की जांच कराते हैं। ऐसे में प्रदूषण फैला रहे वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान चलाकर वाहन जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी, ताकि वाहनों के जरिए हो रहे प्रदूषण पर रोक लगायी जा सके।