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परिवहन विभाग के वीवीआईपी नंबरों पर हैकरों का कब्जा

परिवहन विभाग के फैंसी नंबरों को ब्लाक कर वसूलते हैं मोटी रकम

साइबर हैकरों पर लगाम नहीं लगा पा रहा परिवहन विभाग

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से शिकायत के बाद जागा परिवहन विभाग

hacker copy९९९९, ०९००, ९०००, ०००१, ०००४, ०००७ नंबरों की हो रही सेंधमारी

लखनऊ। परिवहन विभाग के वीवीआईपी नंबरों की बुकिंग वेबसाइट साइबर हैकरों की गिरफ्त में है। वीवीआईपी नंबरों की वेबसाइट पर साइबर हैकरों का कब्जा हो गया है। जिससे फैंसी नंबरों के जरिये आम से खास बनने वालों की राह में बड़ा रोड़ा साइबर हैकर साबित हो रहे हैं। बुकिंग वेबसाइट पर कब्जा जमाये साइबर हैकर फैंसी नंबरों को ब्लाक कर उनकी मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। राजधानी में साइबर हैकरों का यह खेल कई महीनों से जारी है। बावजूद इसके परिवहन विभाग की ओर से हैकरों की हरकतों पर लगाम लगाने के लिए गम्भीर कदम नहीं उठाये गये। वीवीआईपी नंबरों की बुकिंग में दलालों के खेल को रोकने के लिए परिवहन विभाग ने इसकी ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की है। लेकिन सहूलियत के लिए शुरु की गयी इस व्यवस्था में भी दलालों ने सेंध लगा दी। आलम यह है कि दलालों ने साइबर हैकरों से मिलकर मनचाहे नंबरों की बुकिंग के लिए मोटी रकम लोगों से वसूलने लगे। दरअसल, यह पूरा मामला परिवहन विभाग की कार्यदायी संस्था एनआईसी के साफ्टवेयर को हैक करने से जुड़ा है। जब फैंसी नंबर की नई सीरीज खुलती है तो हैकर जिन नंबरों की डिमांड सबसे अधिक है उन्हें ब्लाक कर लेते हैं। जिससे नंबरों की बुकिंग के लिए परिवहन विभाग की वेबसाइट पर लोगों को वह नंबर दिखायी ही नहीं पड़ते। ऐसे में चाहकर भी लोग अपने मनपसंद नंबरों की बुकिंग नहीं कर पाते। जिसके बाद ही दलालों और हैकरों का खेल शुरु होता है और नंबरों की बुकिंग को लेकर मोल तोल किया जाता है। फैंसी नंबरों की वेबसाइट हैक करने व दलालों द्वारा नंबरों की सेंधमारी करने की शिकायत जब ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से की गयी तो उन्होंने इस व्यवस्था में मौजूद कमियों को दूर करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया। साथ ही वीआईपी नंबरों की नीलामी के लिए बोली लगाने की व्यवस्था भी शुरू करने को कहा।

फैंसी नंबरों को ऐसे करते हैं ब्लाक

वीआईपी नंबरों की नई सीरीज खुलने पर फैंसी नंबरों की बुकिंग शुरु होती है। वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग शुरु होते ही हैकर ऐसे नंबरों को सलेक्ट कर ब्लाक कर लेते हैं। नंबर बुकिंग का तरीका है कि पहले नंबर सलेक्ट किया जाता है और उसके बाद जिसके नाम पर नंबर की बुकिंग होती है उसकी पूरी डिटेल भरी जाती है। उसके बाद बैंक के पेमेंट गेटवे पर जाकर पैसा जमा कर नंबरों की बुकिंग कर ली जाती है। लेकिन हैकर पूरी डिटेल भरने के बाद बैंक के पेमेंट गेटवे मोड पर लाकर छोड़ देते हैं। इस दौरान उस नंबर की बुकिंग की आईडी जनरेट हो जाती है लेकिन पेमेंट न होने के चलते नंबर बुक नहीं होता। नंबर बुकिंग के लिए जनरेट की गयी आईडी संबंधित हैकर के ही पास होती है और यह आईडी नई सीरीज शुरु होने तक मान्य रहती है। वहीं आईडी जनरेट हो जाने के बाद वह नंबर वेबसाइट पर दिखना बंद हो जाता है। ऐसे में जब भी कोई अन्य वेबसाइट पर वह नंबर सलेक्ट करता है तो वह उसे दिखायी ही नहीं पड़ता है। जिसके बाद आवेदक समझते हैं कि यह नंबर बुक हो चुका है। जबकि हकीकत में नंबर ब्लाक कर लिया जाता है। यही नहीं हैकर ए, बी, सी, या अन्य किसी भी नाम से नंबर को ब्लाक कर लेते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि नंबर सलेक्शन के बाद जो डिटेल भरी जाती है, उसी नाम से नंबर बुक होना चाहिए। लेकिन हैकर नंबर ब्लाक करने की जल्दबाजी में ए, बी, सी, जेड, वाई समेत कुछ भी शार्ट नाम डालकर नंबर अपने पास सुरक्षित कर लेते हैं और फिर मोल तोल कर ऊंचे दाम वसूलते हैं।

आईडी क्यों नहीं की जाती ब्लाक

जानकारों का कहना है कि जब एनआईसी के साफ्टवेयर पर ऑनलाइन नंबरों की बुकिंग हो रही है तो साफ्टवेयर में आईडी ब्लाक की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी है। जिस आईडी से लॉगिन कर ए, बी, सी अथवा किसी अन्य नाम से नंबर ब्लाक कर लिया जा रहा है तो उस आईडी को ब्लाक कर देना चाहिए। साफ्टवेयर में यह व्यवस्था होनी चाहिए थी कि नंबर बुकिंग के दौरान आवेदक का भरा जाने वाला नाम समेत पूरा ब्यौरा सही होना चाहिए। ए, बी, सी नाम से नंबर ब्लाक करने वाली आईडी का उपयोग एक बार ही नहीं किया जाता होगा, बल्कि प्रत्येक नई सीरीज के दौरान हैकर यही कारनामा करते होंगे। ऐसे में वह आईडी ब्लाक हो जानी चाहिए। साफ्टवेयर में इस व्यवस्था का न होना कहीं न कहीं आरटीओ प्रबंध तंत्र की मिलीभगत की बात भी साबित कर रहा है।

इन नंबरों की है डिमांड

९९९९, ०९००, ९०००, ०००१, ०००४, ०००७ नंबरों की हैकर सबसे अधिक सेंधमारी कर रहे हैं। कारण, आवेदकों में इनकी डिमांड सबसे अधिक है। वीवीआईपी नंबरों की लिस्ट में 3000, 6000, 7500 और 15000 तक के नंबर शामिल हैं। लेकिन हैकर डिमांड वाले नंबरों को ब्लाक कर दलालों के जरिए मोटी रकम वसूल रहे हैं। बीते दिनों में फैंसी नंबरों की कई सीरीज में ये नंबर पूरे समय ब्लाक ही रहे और इनकी बुकिंग हुए बिना ही सीरीज खत्म हो गयी। मोटी रकम न मिलने के चलते ही ये नंबर बुक नहीं हो सके।
परिवहन मंत्री की फोटो के साथ लगाएं

नंबरों को हैक करने वालों पर होगी एफआईआर

परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वतंत्र देव सिंह ने वीवीआईपी नंबरों की वेबसाइट को हैक करने वालों पर एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने साइबर अपराधियों पर एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश परिवहन आयुक्त को दिया है। उन्होंने कहा कि वीआईपी नंबर की ऑनलाइन बुकिंग में धांधली करने वाले और वेबसाइट हैक करने वालों पर केस दर्ज कराया जाए।

फैंसी नंबरों की बुकिंग में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है। नंबरों की ऑनलाइन बुकिंग में हो रही दिक्कतों के चलते ही अब इनकी बोली लगाने की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही फैंसी नंबरों की बुकिंग बोली के जरिए शुरु की जाएगी, जिसके बाद सारी समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी।
पी. गुरु प्रसाद, परिवहन आयुक्त

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