- पनकी औद्योगिक क्षेत्र में आज तक नहीं बना ट्रीटमेंट प्लांट
- रूमा और जैनपुर में बना, पर आज तक चला नहीं सीटीपी, गंगा में जा रहा प्रदूषित पानी
- ट्रोनिका सिटी में प्लांट चालू नहीं हुआ, पर होने लगा मेंटीनेंस का भुगतान
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। केन्द्रीय और राज्य सरकार प्रदूषण से कराह रही मोक्षदायिनी नदियों को संजीवनी देने और भारत को स्वच्छ बनाने के सपने को साकार करने के लिये गंभीर हैं। पर, सूबे के औद्योगिक क्षेत्रों को स्मार्ट और प्रदूषणमुक्त बनाने का ख्वाब देखने वाला उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम प्रबंध तंत्र मोक्षदायिनी गंगा सहित पर्यावरण का गुनहगार बन गया है। सूबे की औद्योगिक नगरी कानपुर स्थित औद्योगिक क्षेत्र पनकी, रूमा, चौबेपुर, कानपुर देहात स्थित जैनपुर औद्योगिक क्षेत्र और राष्टï्रीय राजधानी स्थित ट्रोनिका सिटी के सीईटी प्लांट का संचालन अधर में लटका है।
जानकारों की मानें तो पनकी औद्योगिक क्षेत्र में आज तक ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बन सका है जबकि यहां करीब 40 औद्योगिक इकाइयों से खतरनाक केमिकल निकलता है। यहां पांच सौ से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनका केमिकल पांडु नदी के जरिये गंगा में जहर घोल रहा है। वहीं चौबेपुर स्थित मिनी औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी नोन नदी के जरिये मोक्षदायिनी गंगा को मैला कर रहा है। इस औद्योगिक क्षेत्र में इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की कोशिश उद्योग विभाग ने कभी नहीं की। पनकी औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित पानी फतेहपुर में जाकर गंगा में मिल रहा है। वहीं रूमा औद्योगिक क्षेत्र में ट्रीटमेंट प्लांट तो है लेकिन यह वर्षों से बंद पड़ा है। ऐसे में होजरी इंडस्ट्री से निकलने वाला केमिकलयुक्त पानी गंगा को प्रदूषित कर रहा है।
गाजियाबाद स्थित ट्रोनिका सिटी का भी हाल बेहाल है। यहां कॉमन इफ्ल्यूेंट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू ना किये जाने के कारण डाइंग फैक्ट्रीयों से निकलने वाला प्रदूषित पानी कृषि योग्य भूमि को जहरीला कर रहा है, जिससे जल-जीवन प्रभावित हो रहा है और स्थानीय निवासियों को तरह-तरह की बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। जिम्मेदारों की इस लापरवाही से आजिज होकर राशिद अली ने शासन को कई पत्र लिखें। बावजूद इसके प्लांट नहीं चला। राशिद ने 14 अगस्त 2015 को एनजीटी में मामला दर्ज कराया। तब से लगातार इस मामले में सुनवाई चल रही है। लेकिन यूपीएसआईडीसी की तरफ से कोई वकील सुनवाई में नहीं पहुंचा। इस सीईटी प्लांट के निर्माण में मानक के विपरीत बड़े पैमाने पर धांधली हुई है।
मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों रुपये की बंदरबाट हुई है। यहां तक कि प्लाट शुरू न होने के बावजूद डीजल आदि के नाम पर करोंड़ों के भुगतान हुये हैं। सूत्रों का दावा है कि यदि इस मामले में कार्रवाई हुई तो चीफ इंजीनियर अरूण कुमार मिश्रा की गर्दन फंसना तय है। एनजीटी के सख्त रुख के बाद यूपीएसआईडीसी प्रबंधन अब पनकी औद्योगिक क्षेत्र में 20 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी कर रहा है। साथ ही रूमा औद्योगिक क्षेत्र में अगस्त तक प्लांट शुरू करने की बातें हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास की अहम जिम्मेदारी निभाने वाला यूपीएसआईडीसी प्रबंधन समय-समय पर नई-नई योजनाओं और कार्यक्रमों की ढपली पीटता रहा है, पर औद्योगिक क्षेत्रों को प्रदूषणमुक्त करने में अब तक कोई विशेष सफलता हाथ नहीं लगी है। एनजीटी का आदेश है कि ट्रीटमेंट प्लांट चालू करके औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले केमिकलयुक्त पानी को शोधित किया जाय ताकि प्रदूषित पानी नदियों में न गिरे। बावजूद इसके यूपीएसआईडीसी प्रबंध तंत्र की लापरवाही जारी है।
एनजीटी ने कहा, दो साल हो गये ड्रामा करते हुये
जानकारों की मानें तो बीते दिनों एनजीटी ने यूपीएसआईडीसी पर दो लाख रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना लगातार सम्मन भेजने के बावजूद भी अपनी पैरवी के लिये वकील की अनुपस्थिति के लिये लगाया गया है। अदालत में सुनवाई के दौरान यूपीएसआईडीसी की तरफ से यह कहा गया कि उनका वकील नहीं आया है इस पर ट्रिब्यूनल ने सख्त रवौया अपनाते हुये कहा, क्या यूपीएसआईडीसी ने एनजीटी को कोई पार्क समझ लिया है कि पिछले दो साल से यहां होने वाली तारीख के समय घूमने के लिए चले आते हैं। कभी वकील नहीं होता, तो कभी कुछ नहीं होता। दो साल हो गये हैं ड्रामा करते हुये। एनजीटी यूपीएसआईडीसी पर दो लाख रूपये रोजाना की पैनाल्टी लगाई। यह पैनाल्टी प्लाट के चालू होने तक जारी रहेगी।
यह है एनजीटी का आदेश
जिन औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषणकारी उद्योग हैं वहां ट्रीटमेंट प्लांट लगायें जाये। एनजीटी कई बार रूमा के बंद प्लांट को लेकर यूपीएसआईडीसी के अफसरों को फटकार चुका है। अब यूपीएसआइडीसी प्रबंधन का कहना है रूमा का प्लांट अगस्त तक चालू हो जायेगा, जबकि पनकी में प्लांट निर्माण की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।