आरटीओ कार्यालय में फर्जी तरीके से पंजीकृत की गयी हैं 500 से अधिक एंबुलेंस
संभागीय परिवहन कार्यालय में रजिस्टर्ड हैं 1009 एंबुलेंस
आरटीओ में डॉक्टर के केयर ऑफ नाम से रजिस्टर्ड की गयी हैं 514 एंबुलेंस
डॉक्टर के केयर ऑफ नाम से रजिस्टर्ड एंबुलेंस मरीजों से करती हैं मनचाही वसूली, ढ़ोती हैं सवारियां
परिवहन नियमावली की धारा-28 में टैक्स छूट पाने वाले वाहनों में फर्जी तरीके से पंजीकृत एंबुलेंस शामिल हैं या नहीं, यह भी स्पष्टï नहीं
फिलहाल नियमावली पर आकर अटक गयी है निलंबन की कार्रवाई
लखनऊ। सेवा की बजाय धंधे में लगी हुई 500 से अधिक एंबुलेंसों पर निलंबन की कार्रवाई की तलवार लटक रही है। आरटीओ अधिकारियों की मिलीभगत से पहले फर्जी तरीके से इन एंबुलेंसों को पंजीकृत कराया गया और अब मामला सामने आने पर निलंबन की कार्रवाई को अंजाम देने की कवायद शुरु की गयी थी। जिसके तहत आरटीओ दफ्तर में डॉक्टर के केयर ऑफ नाम से रजिस्टर्ड 500 से ज्यादा एंबुलेंसों के जांच के आदेश दिये गये थे। ये एंबुलेंस मानकों का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर दौड़ रही थीं। वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो इन एंबुलेंस मालिकों ने फर्जी प्रपत्रों के जरिए इनका रजिस्ट्रेशन आरटीओ दफ्तर में कराया है। फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड इन एंबुलेंसों की जांच के बाद आनन-फानन में मालिकों को नोटिस भी भेजा गया। हाल फिलहाल फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड एंबुलेंस के पंजीकरण को निरस्त करने की बजाय अब नये सिरे से नियमावली बनाये जाने का हवाला दिया जा रहा है। यह कहना गलत न होगा कि मरीजों से किराया वसूलने और फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड होने के बावजूद परिवहन विभाग इन एंबुलेंस मालिकों पर मेहरबान हैं। यही नहीं आरटीओ प्रबंध तंत्र की ओर से यह भी स्पष्टï नहीं हो पा रहा है कि परिवहन नियमावली की धारा-28 में टैक्स छूट पाने वाले वाहनों में शामिल एंबुलेंस में फर्जी तरीके से पंजीकृत हुई ये एंबुलेंस शामिल हैं या नहीं? राजधानी के संभागीय परिवहन कार्यालय में फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड हुई एंबुलेंस के निलंबन की कार्रवाई फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गयी है। अपर परिवहन आयुक्त की कार्रवाई के बाद फर्जी तरीके से आरटीओ में रजिस्टर्ड की गयी एंबुलेंस के पंजीकरण को निरस्त कर नये सिरे से रजिस्टर्ड करने की जो कवायद हुई थी, हाल फिलहाल वह ठप्प पड़ गयी है। बताते चलें कि राजधानी में मरीजों की सेवा के नाम पर एंबुलेंस संचालक लोगों से वसूली कर रहे हैं। वे बाहर से आने वाले मरीजों को अच्छे डॉक्टर के पास ले जाने के नाम पर मनचाही रकम वसूलते हैं। इनमें मानक के अनुसार उपकरण भी नहीं होते हैं और इनमें सवारियां भी ढोई जाती हैं।
बन रही नियमावली
परिवहन नियमावली की धारा-28 में ऐसे वाहनों को शामिल किया गया है जिनका उपयोग जनहित के कार्यों में किया जाता है। जनहित के कार्यों के चलते इन वाहनों को रोड टैक्स जमा करने से छूट दी गयी है। इनमें एंबुलेंस भी शामिल हैं। लेकिन धारा-28 में यह भी स्पष्टï किया गया है कि जनहित में कार्य कर रही ऐसी एंबुलेंस को ही टैक्स से छूट मिलेगी जिनका पंजीकरण सरकारी अस्पतालों और चैरिटेबल के तहत है। टैक्स से छूट के दायरे में वे एंबुलेंस नहीं आती जिनका पंजीकरण डॉक्टर के केयर ऑफ नाम से अथवा निजी नाम से किया गया है। आरटीओ में पंजीकृत हुई 514 एंबुलेंस डॉक्टर के केयर ऑफ नाम से दर्ज हैं। ऐसे में ये एंबुलेंस धारा-28 के तहत टैक्स से छूट पाने की अधिकारी नहीं है। अब इन एंबुलेंसों को भी जनहित के कार्यों से जोड़कर देखा जा रहा है और इनको टैक्स से छूट प्रदान करने के लिए शासन स्तर पर नियमावली बनाने की बात कही जा रही है। हाल फिलहाल सवारियां ढ़ोती और मरीजों से मनचाहा किराया वसूल करने वाली इन एंबुलेंसों पर जल्द कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।
केयर ऑफ डॉक्टर के नाम हैं पंजीकृत
ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में 1009 एंबुलेंस पंजीकृत हैं। जांच में 514 एंबुलेंस ऐसी पायी गयी हैं जो फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड हुई हैं। एंबुलेंस को किसी डॉक्टर के केयर ऑफ नाम से दर्ज किया गया है। इसका खुलासा अपर परिवहन आयुक्त सड़क सुरक्षा गंगाफल ने किया था। उन्होंने केजीएमयू ट्रामा सेन्टर के पास 8 फर्जी एंबुलेंस पकड़ी थीं।
किस आधार पर हुई कार्रवाई स्पष्टï नहीं
फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड हुई एंबुलेंस पर किस आधार पर कार्रवाई की गयी यह भी स्पष्टï नहीं हो पा रहा है। आरटीओ प्रशासन का कहना है कि नाम्र्स पूरे न होने के चलते कार्रवाई की गयी थी। वहीं एआरटीओ प्रवर्तन संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि कार्रवाई के दौरान एंबुलेंस चालकों के पास कागज नहीं थे। वहीं कुछ चालकों के पास डीएल भी नहीं थे। इसके अलावा कुछ गाडिय़ों की फिटनेस भी समाप्त हो चुकी थी। फिलहाल यह स्पष्टï नहीं हो सका कि आखिरकार फर्जी तरीके से पंजीकृत हुई एंबुलेंस पर कार्रवाई क्यों की गयी? बड़ा सवाल यह भी है कि जब कार्रवाई में एंबुलेंसों के फर्जी पंजीकरण की बात सामने आयी तो फिर एंबुलेंस मालिकों और रजिस्ट्रेशन के फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी?
यह है नियम
-आरटीओ कार्यालय में एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन कराने पर उनसे रोड टैक्स नहीं लिया जाता है
- एंबुलेंस किसी सरकारी अस्पताल, विभाग या फिर किसी समाज सेवी संस्था के नाम से रजिस्टर्ड की जाती है
- किसी एक डॉक्टर के नाम से एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता है
शासन स्तर पर नियमावली बन रही है। अब यह देखना है कि नियमावली में क्या बदलाव किया जाता है। फिलहाल अगर अपना पैसा खर्च कर एंबुलेंस मरीजों को ढ़ो रही है तो वह जनहित का काम कर रही है। इसलिए जैसे स्कूल बसें टैक्स फ्री हैं उसी प्रकार एंबुलेंस भी टैक्स से छूट के दायरे में शामिल है।
एके सिंह, आरटीओ प्रशासन