- बाजारों में दिख रही होली की धूम
- सजी है रंग, गुलाल और पिचकारियों की दुकानें
- फिर पापड़ पर महंगाई की मार
लखनऊ। भारतीय बाजारों पर कब्जा कर देश की जड़ काट रहे चायना से मुकाबले के लिए स्वदेशी बाजार खड़ा हो गया है। खास बात ये है कि पुलवामा हमले व भारत की एयर स्ट्राइक के बाद देश भक्ति की भावना बच्चों तक में जागृत हो गयी है, इसका असर पिचकारियों पर भी नजर आ रहा है। इस बार अधिकतर पिचकारियां फौजी की बन्दूकों की तरह है, जिसमें बच्चे पानी का टैंक स्कूल बैग की तरह पीठ पर लाद कर रंगों की बौछार करेंगे। इस बार बाजारों में जो भी पिचकारी हैं वे पूरी तरह से स्वदेशी हैं।
स्वदेशी पिचकारियां किसी भी मामले में चायनीज पिचकारियों से कम नहीं है। दुकानदार भी इन स्वदेशी पिचकारियों को बेचने में बहुत गर्व कर रहे हैं, उनका कहना है कि अगर सरकार कच्चे माल पर टैक्स की दर कुछ और कम करे तो ग्राहकों को तो सस्ते उत्पाद मिलेंगे ही इसके साथ ही रोजागार के अवसर भी बढ़ेंगे। अमीनाबाद थाने के पास में सबसे पहले पिचकारियों की दुकाने सजी है।
दुकानदार संतोष के अनुसार पिचकारियों का सारा स्टाक दिल्ली से आ रहा है और ये सब देश में ही बना है। छोटे बच्चों के लिए खिलौने के आकार की बनी पिचकारियां 30 रुपये शुरू हैं, इसके बाद रेंज आगे बढ़ रही है जो कि दो हजार तक जा रही है। सैनिकों की बैग की तरह कंधे पर लटकाकर कर चलने वाली स्टेनगन वाली प्रेशर पिचकारी की रेंज100 से लेकर 1800 रुपये तक की है। इसी तरह टैंक वाली पिचकारी 500 से 1100 रुपये तक की रेंज में है। वहीं बच्चों के सबसे प्यारे दोस्त मिक्की माउस वाली पिचकारी 700 की रेंज में उपलब्ध है।
पिचकारियों में किया गया बदलाव
रंगों का त्योहार होली हो या प्रकाश पर्व दीपावली आधुनिकता व बढ़ती हुई हिंसक वृत्ति पिचकारियों में भी नजर आ रही है। बच्चों का पुरानी पाइप वाली फव्वारे वाली व स्पैंकर से मोहभंग होकर बन्दूक, पिस्टल व स्टेनगन व ए.के-47 के आकार की बनी पिचकारियों की तरफ अधिक जा रहा है। इसको देखते हुए पारम्परिक पिचकारियों में कुछ खास बदलाव किये गये हैं। दुकानदार भी मानते हैं कि बच्चों में टीवी सीरियल, स्टंट वाली वीडियो गेम, हॉलीवुड की एक्शन मूवी का ऐसा असर है कि वे पुरानी पिचकारियां लेना ही नहीं चाहते हैं। बच्चों की मांग को देखते हुए हमे भी इसी किस्म की पिचकारियां रखनी पड़ती हैं।
चांदी की पिचकारी कर रही आकर्षित
रंगों के त्योहार होली पर लोगों को बरसाने की होली का आनंद मिलेगा। इस बार भी चौक सर्राफा बाजार में चांदी की पिचकारी व बाल्टी आकर्षक डिजाइन के साथ उतारी गयी है। एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी विनोद महेश्वरी ने बताया कि सर्राफा एसोसिएशन रक्षा बंधन पर आकर्षक सोने व चांदी की राखी व होली के अवसर पर पिचकारियों की रेंज बाजार में उतारती है। महेश्वरी ने बताया कि 7 ग्राम से 500 ग्राम तक की आकर्षक चांदी की मीना पिचकारी बाजारों में हैं। इसका उद्देश्य नयी शादी वाले जोड़ों को उपहार के स्वरूप में देने का है। धातु की बनी इन पिचकारियों को आस्था से भी जोड़कर देखा जाता है। बहुत से घरों में परम्परा है कि पहला रंग भगवान को चढ़ाने के बाद होली खेलने की शुरूआत की जाती है, इस परम्परा में चांदी की पिचकारी का महत्व है।