निजी हाथों में सौंपी जाएगी यात्री सुविधाओं से जुड़ी व्यवस्था
रेलवे ने लिया 23 स्टेशनों को निजी कंपनियों के हाथों नीलाम करने का निर्णय
नीलामी में एनसीआर के कानपुर सेंट्रल व इलाहाबाद स्टेशन भी शामिल
स्टेशनों को अंतरराष्टï्रीय मानकों के अनुरुप विकसित करने के है योजना
लखनऊ। केंद्र ने पहले रेल बजट को आम बजट में समाहित करते हुए काफी बड़ा फैसला लिया और अब पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के टै्रक पर भारतीय रेलवे में यात्री सुविधाओं से जुड़ी प्रमुख व्यवस्थाओं को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने का रोडमैप तैयार कर लिया है। रेल मंत्रालय व बोर्ड से जुड़े उच्चाधिकारियों की मानें तो इसका सबसे ज्यादा फायदा रेल यात्रियों को ही मिलेगा। वहीं रेल यूनियन से जुड़े प्रमुख कर्मचारी नेताओं के अनुसार इससे दिन-प्रतिदिन रेलवे जैसे सबसे वृहद व व्यापक जन सुविधा वाले सेक्टर में निजी कंपनियों का हस्तक्षेप बढ़ता चला जाएगा और रेल कर्मियों के शोषण का रास्ता खुल जाएगा। राजधानी में नरमू यूनियन के मंडल मंत्री एके वर्मा के अनुसार सेफ्टी से जुड़े ढाई लाख पद आज भी खाली पड़े हैं, ऐसे में क्या गारंटी है कि उक्त नये मॉडल के तहत रेलवे कैसे व किस प्रकार यात्रियों को समय पर व सुरक्षित तरीके से रेल सफर करा पाएगा। सूबे में उत्तर-मध्य रेलवे (एनसीआर) के दो प्रमुख रेलवे स्टेशनों कानपुर सेंट्रल व इलाहाबाद के नीलामी की बोली लग चुकी है। वहीं प्रदेश में उत्तर रेलवे के तहत आने वाले अन्य दो प्रमुख रेलवे स्टेशनों लखनऊ व वाराणसी के नीलामी के बाबत रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अभी इन दोनों स्टेशनों के नाम नहीं शामिल हैं, लेकिन आगे इन स्टेशनों को भी नये सिस्टम के तहत लाया जा सकता है। जानकारी के अनुसार वर्तमान नयी व्यवस्था के तहत अभी तक रेलवे ने देश भर के 23 स्टेशनों को निजी कंपनियों के हाथों नीलाम करने का निर्णय लिया है। स्टेशनों की ऑनलाइन नीलामी का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत आगामी जून के अंत तक इच्छुक कंपनियां बोली लगा सकती हैं। जिसके परिणाम 30 जून को घोषित किये जाने की संभावना हैं। उत्तर-मध्य रेलवे के अन्तर्गत आने वाले इलाहाबाद व कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशनों की नीलामी की बोली लग चुकी है। इसके तहत कानपुर सेंट्रल स्टेशन के लिये 200 करोड़ तो इलाहाबाद रेलवे स्टेशन की बीडिंग बोली 150 करोड़ रुपये के आसपास लगी है। इस नीलामी योजना में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत देश के जाने-माने 25 रेलवे स्टेशनों को दोबारा विकसित किया जाना है। इसके तहत 30,000 करोड़ के न्यूनतम निवेश में इन रेलवे स्टेशनों को विकसित करने की योजना है। योजना के जरिए इन स्टेशनों का विकास अंतरराष्टï्रीय मानकों के अनुरूप करने की है, जिससे होटल, मॉल, मल्टीप्लेक्स समेत दूसरे व्यावसायिक इकाइयों को विकसित किया जा सके। इसमें निजी कंपनियां ही पूरा काम करेंगी।
स्टेशनों के मेंटीनेंस तक सीमित रहेगा निजीकरण
मंत्रालय ने जब से पहले चरण के तहत रेलवे के प्रमुख व चुनिंदा रेलवे स्टेशनों को पीपीपी मॉडल के तहत विकसित करने के मद्देनजर इसकी नीलामी शुरू की है, तब से रेलवे से लेकर देश-प्रदेश में सभी आमजनों के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि रेलवे तो बिना किसी लाभ-हानि के तहत संचालित होने वाला देश का सबसे बड़ा परिवहन सुविधा प्रदान करने वाल सेक्टर है, ऐसे में यदि इसमें प्राइवेट सेक्टर की दखलंदाजी शुरू हुई तो आगे तमाम प्रकार की दिक्कतें आ सकती हैं। वहीं रेलवे से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो यहां पर केवल समझ का फेर है। उनके मुताबिक, पीपीपी मॉडल के तहत जो रेलवे में निजीकरण की व्यवस्था शुरू की जा रही है, उसमें यही होगा कि संबंधित प्राइवेट कंपनियां केवल रेलवे स्टेशनों पर खानपान, साफ-सफाई, मेंटीनेंस आदि व्यवस्थाओं तक ही सीमित रहेंगी जबकि रेलवे से जुड़ी टे्रनों की ऑपरेटिंग, टिकटिंग, पार्सल व सुरक्षा की व्यवस्था का जिम्मा पूरी तरह से रेलवे पर ही निर्भर रहेगा। वहीं निजी कंपनियां स्टेशन एरिया में डेवलपमेंट कार्यों के तहत फूड स्टॉल, होटल, शॉपिंग माल व अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रिटॉयरिंग रूम तैयार करा सकती हैं।
ये स्टेशन हैं शामिल
मुंबई का लोकमान्य तिलक टर्मिनल, मुंबई सेंट्रल बोरिवली, पुणे, ठाणे, विशाखापत्तनम, हावड़ा, इलाहाबाद, कानपुर सेंट्रल, कामाख्या, फरीदाबाद, जम्मूतवी, उदयपुर शहर, सिकंदराबाद, विजयवाड़ा, रांची, कोझिकोड, यशवंतपुर, बैंगलोर कैंट, भोपाल और इंदौर रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
-इस नई व्यवस्था से सबसे अधिक लाभ यात्रियों को मिलेगा। रेलवे पर अनावश्यक कार्यों का भार कम होगा जिससे ऑपरेटिंग, सुरक्षा व टिकटिंग व्यवस्था पर और ध्यान दिया जा सकेगा।
नीरज शर्मा, सीपीआरओ उत्तर रेलवे