- बोले सीएमएस संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी, प्रकरण संज्ञान में आते ही सेवायें की समाप्त
- स्कूल प्रबंधन के समक्ष मौखिक ही नहीं, बल्कि लिखित रूप में की स्वीकारोक्ति, मांगी फांफी
- दु:खद है ऐसे क्षण का साक्षी बनना : गांधी
सचिन शर्मा
लखनऊ। सिटी माण्टेसरी स्कूल में चिट-फण्ड का खेल शीर्षक से प्रकाशित खबर पर सीएमएस के संस्थापक डॉ0 जगदीश गांधी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग के इस प्रकरण के पीछे चौक शाखा की पूर्व प्रधानाचार्य साधना बेदी हैं। उन्होंने ही छात्रों के परिजनों को करोड़ों का चूना लगाया, जिसके चलते उन्हें जून 2017 में बर्खास्त कर भी कर दिया गया।
सिटी माण्टेसरी स्कूल प्रबंध तंत्र का कहना है कि साधना बेदी लगभग 25 वर्षों से चौक शाखा में कार्यरत थीं। इसी दौरान उन्होंने वहां पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों को लुभावनी स्कीम के तहत करोड़ों रुपये वसूले। अभिभावकों को प्रलोभन देकर 12 से 16 प्रतिशत तक ब्याज भी देने का वादा किया। इस प्रलोभन में कई अभिभावक साधना बेदी की इस चाल में फसें और स्कीम के तहत पैसा लगाना शुरू कर दिया। साधना बेदी ने जो भी रकम छात्रों के अभिभावकों से ली, वह नगद थी। इस रकम की रसीद सिटी माण्टेसरी स्कूल के लेटर हेड पर अपने हस्ताक्षर से दी। शुरुआत में अभिवावकों को विश्वास में लेने के लिये साधना बेदी ने ली गई रकम ब्याज के साथ अपने निजी बैंक खातों से उन्हें वापस भी की। इससे अभिभावकों में इनके लुभावने सपने में पैसा लगाने की होड़ मची। इसी के चलते साधना बेदी ने करोड़ों रुपये इधर-उधर किये। इसी बीच जब लोगों ने समय सीमा पूरी हो जाने पर अपनी रकम वापस मांगनी शुरू की, तो उन्होंने लोगों को अपने निजी बैंक खातों की चेकें दीं, जो बारी-बारी बाउंस हुई। तब अभिवावकों को ठगी का डर सताने लगा। तत्पश्चात अभिवावकों ने मुझसे इसकी शिकायत की। मामला, मेरे संज्ञान में आते ही श्रीमती बेदी की सेवायें समाप्त कर दी। मई २018 में स्थानीय पुलिस थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है।
गौरतलब है कि जून २०१७ में इन्द्रजीत अरोड़ा ने सीएमएस प्रबंधन से यह शिकायत की थी, कि पूर्व चौक शाखा प्रधानाचार्या विद्यालय के नाम पर स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से उधार ले रही हैं और वापस नहीं कर रही हैं। संस्थान की जांच में मामला उजागर हुआ कि उन्होंने लोगों से झूठ बोला कि वह यह पैसा वह स्कूल के लिये ले रही हैं, जिसे एक वर्ष बाद मयब्याज वापस कर दिया जायेगा। इन्द्रजीत अरोड़ा से इन्होंने १५ लाख रुपये लिये। इसकी वापसी के लिये इन्होंने अपने निजी बैंक खाते से पांच लाख ७० हजार के तीन चेक भी जारी किये। राजधानी के ठाकुरगंज थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, साधना बेदी ने स्कूल के विद्याॢथयों के अभिभावकों, स्कूल के शिक्षकों, कर्मचारियों को भी भ्रमित कर अवैधानिक धनराशि प्राप्त की। मौखिक ही नहीं, बल्कि लिखित रूप में इसकी स्वीकारोक्ति भी की गई कि यह धन उन्होंने अपने निजी कार्यों के लिये लिया। इससे संस्थान का कोई लेना-देना नहीं था। इसके लिये उन्होंने व्यक्तिगत मांफीनामा की प्रक्रिया भी अपनाई। इनके इस कार्य में संस्थान में कार्यरत रहे लैब सहायक शीतना सहाय भी बराबर शामिल थे। इन्होंने ही रशीदें बनाई और जानते हुये कि इसके हस्ताक्षर कूटरचित हैं। इस अवैधानिक धन का हिसाब-कितान सहाय के पास ही था।