कोयला आधारित बिजली उत्पादन केंद्रों से खरीदी जाने वाली बिजली की दरों को काफी सीमा तक नियंत्रित करने के बाद अब पावर कॉरपोरेशन ने सस्ती दरों पर ग्रीन एनर्जी की खरीद को आवश्यक कदम उठाए हैं। प्रमुख सचिव ऊ$र्जा एवं उप्र पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि वर्तमान में विद्युत नियामक आयोग की अनुमति लेकर पावर कॉरपोरेशन द्वारा इस बिजली के लिये प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग कराई गई जिसमें ग्रीन एनर्जी की बिजली के लिये न्यूनतम दर 4.78 प्रति यूनिट आयी है। गौरतलब है कि यह दर नये संयंत्रों से उत्पादित होने वाली बिजली की है जो इन संयंत्रों के लिए नियामक आयोग द्वारा निर्धारित टैरिफ से 1.86 प्रति यूनिट कम है। भविष्य में जल्द ही विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2019 से वर्ष 2024 के लिये नया रेग्यूलेशन घोषित होगा। जिसमें 2005 के पूर्व से लेकर 2024 तक स्थापित किये जाने वाले बगास आधारित बिजली संयंत्रों के लिये नया टैरिफ घोषित किया जाएगा। चूंकि चीनी मिल मालिकों के द्वारा पुराने संयंत्रों के लिए लिये गये ऋण का पूरा भुगतान हो चुका है और इन संयंत्रों का वर्तमान मूल्य भी डिप्रीशिएशन के कारण कम हो चुका है, इसलिए पावर कॉरपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को अर्जी दी है कि बगास आधारित पुराने संयंत्रों का टैरिफ 4.78 प्रति यूनिट से कम निर्धारित किया जाए ताकि प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली के बोझ से बचाया जा सके। प्रदेश में स्थित चीनी मिलों के परिसर में बगास आधारित बिजली संयंत्रों से पावर कॉरपोरेशन प्रतिवर्ष लगभग 1500 मेगावाट बिजली खरीदता है।
अब तक इस बिजली की खरीद दर विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय टैरिफ पर की जाती थी। यह टैरिफ संयंत्रों की स्थापना के वर्ष के आधार पर आयोग द्वारा तय किया जाता था। छह वर्ष पूर्व स्थापित संयंत्रों की बिजली का टैरिफ 5.67 प्रति यूनिट से 6.64 प्रति यूनिट तक निर्धारित हुआ था और कई वर्षों से इन्हीं दरों पर कॉरपोरेशन बिजली की खरीद करता रहा है, लेकिन अब बदलाव हो गया है। बताते चलें कि प्रदेश में बिजली उपलब्धता और मांग में बड़ा अंतर होने के चलते पावर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र को महंगी दरों पर बिजली खरदनी पड़ती है। गर्मियों में पीक आवर में बिजली की दर और अधिक हो जाती है। ऐसे में महंगी बिजली खरीद का पूरा भार उपभोक्ताओं पर पड़ता है। ग्रीन एनर्जी की कम दर से उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलेगी।