छोटे बकायेदारों पर बेरहम, बड़े बकायेदारों पर रहम करता रहा है पावर कॉरपोरेशन
बिजली बिल के बड़े बकायेदारों के खिलाफ नहीं चलता कभी भी कनेक्शन काटो अभियान
बड़ी बिजली चोरी वाली जगहों पर भी टीम नहीं देती दस्तक
10 हजार के बकायेदार व कटिया चोरी वाले ही हैं कॉरपोरेशन की नजर सबसे बड़े गुनहगार
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। सूबे में बकाया राजस्व वसूली को लेकर पावर कॉरपोरेशन प्रबंध तंत्र समय-समय पर अभियान चलाये जाने का निर्देश देता रहता है। इसके तहत हर बार उन्हीं उपभोक्ताओं को टारगेट किया जाता है जो वास्तव में आदर्श उपभोक्ताओं की श्रेणी में आते हैं। अभियान चलाये जाने के निर्देश के दौरान पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन हमेशा ही ऐसे उपभोक्ताओं पर मेहरबान रहता है, जिन पर करोड़ों रुपये का बिजली बिल बकाया है। ऊर्जा विभाग का उच्च प्रबंधन छोटे बकायेदारों पर जहां हमेशा से ही बेरहम रहता है तो वहीं बड़े बकायेदारों पर नरम रुख अख्तियार किये हुये है। बिजली बिल के बड़े बकायेदारों की बात की जाय तो इसमें ज्यादातर सरकारी विभाग ही शामिल हैं। वहीं मंत्री व विधायक निवास भी इसी श्रेणी में शामिल है। जिनके बकाये बिल की बात की जाये तो तमाम अुननय-विनय के बाद भी इनका पूरा बकाया विद्युत विभाग को मिल ही नहीं पाता है।
बिजली बिल के हमेशा के बकायेदार रहने वाले सरकारी विभागों, मंत्री व विधायक निवासों के कनेक्शन काटने का अभियान कॉरपोरेशन की ओर से नहीं चलाया जाता। वहीं बिजली चोरी रोको अभियान में भी सरकारी विभाग, मंत्री व विधायक निवास के कनेक्शन नहीं जांचे जाते, जबकि हकीकत यह है कि सबसे अधिक बिजली चोरी यहीं पर होती है। बावजूद इसके 10 हजार के बिजली बिल बकायेदार व कटिया लगाकर बिजली जलाने वाले ही कॉरपोरेशन की नजर में सबसे बड़े बकायेदार हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में विद्युत बकायेदारों से राजस्व वसूलने को व्यापक स्तर पर विद्युत विच्छेदन अभियान चलाये जाने का निर्देश प्रमुख सचिव ऊर्जा ने दिया है। इसके तहत 10 हजार के ऊपर के बकायेदारों के कनेक्शन अभियान चलाकर आगामी 10 दिनों के अंदर काटे जाएंगे। इस बार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग रणनीति के तहत विच्छेदन अभियान चलेगा।
करोड़ों रुपये के बकायेदार हैं विभाग
पावर कॉरपोरेशन के मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम व केस्को पांचों डिस्काम में 27 हजार करोड़ रुपए के जिस बकाये की बात की जाती है, उस बकाये की अधिकतर धनराशि इन्हीं सरकारी विभागों के बिजली बिलों के बकाये का है। राजधानी में ही बटलर पैलेस, दारुलशफा विधायक निवास, लोकभवन, वीवीआईपी समेत अन्य गेस्ट हाउस, के साथ जितने भी सरकारी विभाग व कालोनियां हैं उन पर करोड़ों रुपये का बिजली बिल बकाया है। इन विभागों व कालोनियों की बिजली बकाये के बावजूद एक दिन भी बंद नहीं होती। वहीं दूसरी ओर आम उपभोक्ता का विद्युत कनेक्शन 10 हजार के बकाये पर ही बिना किसी मुरौव्वत के काट दिया जाता है।
प्रीपेड मीटर योजना भी हवा-हवाई
सरकारी विभागों के बकाये के मद्देनजर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने प्रीपेड मीटर लगाने की योजना पूर्व में बनायी थी। इसके तहत सरकारी विभागों में प्रीपेड मीटर लगाकर विद्युत उपभोग की व्यवस्था का प्रावधान किया गया था। साल भर से ज्यादा समय बीतने के बावजूद यह योजना धरातल पर नहीं आ सकी। प्रीपेड मीटर लग जाने से सरकारी विभागों का बकाया नहीं रह पायेगा और विद्युत विभाग को पहले ही राजस्व की प्राप्ति हो जायेगी। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते इस पर अमल नहीं किया जा रहा है और छोटे बिजली बिल के बकायेदार आदर्श उपभोक्ताओं पर हंटर चलाया जा रहा है।
लोड के मुकाबले खपत है कई गुना
सूत्रों की मानें तो सरकारी विभाग व कालोनियों समेत पार्टी कार्यालयों के करोड़ों रुपये के बिजली बिल ही बकाया नहीं रहते बल्कि यहां के कनेक्शन का लोड जितना है उसके मुकाबले बिजली की खपत कई गुना अधिक है। बीते दिनों ही ट्रिपिंग को लेकर की गयी जांच पड़ताल में भाजपा के प्रदेश कार्यालय के बिजली कनेक्शन के लोड व खपत में 5 गुना से अधिक का अंतर आया था। ऐसे में सरकारी विभागों के कनेक्शन की जांच हो तो लोड और डिमांड का आंकड़ा खुद ब खुद सामने आ जायेगा और यह भी सामने आ जायेगा कि कहां पर कितनी बिजली चोरी हो रही है। खासकर सरकारी कालोनियों में बिजली की खूब चोरी की जाती है। ऐसा नहीं है कि विद्युत विभाग के अफसरों को इस बात का पता नहीं है। बावजूद इसके उच्च प्रबंधन से लेकर जूनियर इंजीनियर तक इस ओर से अनभिज्ञ बने हुये हैं।
पेश कर रहे विद्युत विच्छेदन के फर्जी आंकड़ें
प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने अधिकारियों से नाराजगी जतायी है कि मौके पर डिस्कनेक्शन नहीं हो रहे हैं। सरकार उपभोक्ताओ को अधिकतम बिजली देना चाहती है तो हमें भी अधिकतम राजस्व वसूलना होगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। फर्जी तरीके से डिस्कनेक्शन के आंकड़ें दिखाये जा रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बकायदारों के विरुद्ध विद्युत विच्छेदन अभियान चलाया जाये व विच्छेदित संयोजनों का औचक निरीक्षण कराया जाए। इसके लिए सामान्य विद्युत विच्छेदन के अतिरिक्त एक माह से अधिक के बकायेदार (गैर सरकारी अनपेड एचवी उपभोक्ता), आरएपीडीआरपी में 1 अप्रैल 2018 से भुगतान न करने वाले 5 किलोवाट व अधिक भार वाले उपभोक्ता, आरएपीडीआरपी क्षेत्र में ऐसे उपभोक्ता जिनका भार 5 किलोवाट से कम है लेकिन बिल रीडिंग आधारित है। जिन्होंने 1 अप्रैल 2018 से भुगतान नहीं किया है और बकाया 10 हजार रुपये से अधिक है, ऐसे उपभोक्ताओं का सौ फीसदी विच्छेदन किया जाय। इसी तरह 1 वर्ष से अधिक समय से भुगतान न करने वाले 50 हजार से अधिक बकाये वाले उपभोक्ताओं का विद्युत विच्छेदन के साथ ही मीटर व केबल भी उतार दिया जाय।