रिपोर्ट के मुताबिक नोट की सप्लाई कम किए जाने से पश्चिमी और दक्षिण भारत के राज्यों में नकदी की ज्यादा कमी देखने को मिल रही है। कहा जा रहा है कि सरकारी बैंक से ज्यादा कैश की किल्लत प्राइवेट बैंकों में दिखने को मिल रही है।
नोटबंदी के बाद नोटों को लेकर परेशानी झेलने वाली जनता को एक फिर से नोटों की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। कैश की कमी की पीछे की वजह है भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नोटों की सप्लाई को कम कर दिया है। बैंकों में कैश के फ्लो को कम कर देने की वजह से देश के कई शहरों में एटीएम मशीन या तो खाली हैं या उनके शटर गिरे हुए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई ने करीब 25 फीसदी कैश फ्लो को कम कर दिया है। जिसके कारण जनता को नोटों की कमी से जूझना पड़ सकता है।
माना जा रहा है कि आरबीआई ने नोटों की सप्लाई जानबूझकर पूरे प्लान के तहत कम की है। सीएनबीसी-आवाज ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि दरअसल, नोटबंदी के फैसले के बाद कैश नहीं मिलने के कारण डिजीटल ट्रांजैक्शन के जरिए भुगतान किया जा रहा था। लेकिन, बैंकों में पर्याप्त मात्रा में कैश आ जाने और कैश से लिमिट हटा देने के बाद से डिजीटल ट्रांजैक्शन में गिरावट देखी गई। जिसके चलते आरबीआई ने नोटों की सप्लाई को कम करने का फैसला किया है ताकि डिजीटल ट्रांजैक्शन को फिर से बढ़ावा दिया जा सके। बैंकों में जमा से ज्यादा निकासी की जा रही है। इसके लिए केंद्रीय बैंक को यह कदम उठाना पड़ा। आरबीआई के इस फैसले से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक नोट की सप्लाई कम किए जाने से पश्चिमी और दक्षिण भारत के राज्यों में नकदी की ज्यादा कमी देखने को मिल रही है। कहा जा रहा है कि सरकारी बैंक से ज्यादा कैश की किल्लत प्राइवेट बैंकों में दिखने को मिल रही है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को देश के नाम संबोधन करते हुए 500 और 1000 रुपए के बड़े नोटों को अवैध घोषिट कर दिया था। इसके साथ ही 500 और 2000 रुपए के नए नोट भी जारी करने का ऐलान किया था। इस फैसले के बाद से 3-4 महीनों तक लोगों के पास कई कैश की भारी समस्या हो गई थी। लोगों को पैसे के लिए एटीएम और बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें पड़ी थी, फिर भी कैश नहीं मिल रहा था। सरकार ने डिजीटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने, ब्लैक मनी और फेक करेंसी पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया था।