लखनऊ। प्रदेश में प्रतिबंधित पॉलिथीन से एक बार फिर बाजार गर्म हो गया है। नगर निगम, प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोई कार्रवाई अथवा अभियान न चलने से पॉलिथीन एक बार फिर बाजारों में बिकने लगी है। विक्रेताओं को भी कोई खौफ नहीं रह गया है। हाल यह है कि फैक्ट्रियों में बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
थर्माकोल व प्लास्टिक के दोने, गिलास पर भी रोक लगाई गई। मगर बाजार में इनकी भी रौनक है। अफसरों के ढुलमुल रवैए से शहरों में गंदगी बढऩे लगी है। प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए भी निकायों के अफसरों को निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा है कि सफाई व्यवस्था को लेकर जन सामान्य को जागरूक कर उनकी सहभागिता के लिए स्वच्छ भारत मिशन अभियान चलाया जा रहा है। निकायों में सड़क मार्गों के आस पास विशेष रूप से खाली पड़े भूखंडों में बड़ी मात्रा में गंदगी व प्लास्टिक, थर्माकोल के प्रतिबंधित उत्पादों के ढेर देखने को मिल रहे हैं। जबकि विशेष अभियान चलाकर सफाई व्यवस्था में दिन प्रतिदिन सुधार होना चाहिए। उन्होंने शासनादेशों को सख्ती से लागू करने को कहा है।
प्रदेश में प्लास्टिक व अन्य नान बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल से बने एक बार उपयोग के बाद निस्तारण योग्य उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए। सार्वजनिक स्थानों व भूखंड़ों में जमा गंदगी व कूड़े का निस्तारण कराया जाए।
नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी की ओर से निकायों में संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों को इस अभियान में विशिष्ट उत्तरादायित्व तय कर उन्हें कार्यों के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। लापरवाही होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
सार्वजनिक स्थान पर फेंकने पर 25 हजार तक जुर्माना
किसी संस्था, व्यवसायिक संस्था, प्रतिष्ठान, शैक्षिक संस्था, कार्यालय, होटल, दुकान, रेस्तरां, मिष्ठान की दुकान, ढाबा, औद्योगिक प्रतिष्ठान, भोजन कक्ष आदि द्वारा परिसर के अंतर्गत और सड़क मार्गों, नालों, नदियों, झीलों, तालाबों, वन क्षेत्रों, सार्वजनिक पार्कों, समस्त सार्वजनिक स्थलों आदि पर प्लास्टिक अपशिष्ट को फेंकने पर 25,000 रुपये का शमन शुल्क देना होगा। इसी प्रकार उपरोक्त स्थानों पर किसी व्यक्ति के प्लास्टिक अपशिष्ट को फेंकने पर 1,000 रुपये का शमन शुल्क देना होगा।