2011 से पूर्व संचालित आटो में लगे हैं मैकेनिकल मीटर
मैकेनिकल मीटर के रिपेयरिंग की भी नहीं है व्यवस्था और न ही बाजार में उपलब्धता
लखनऊ। राजधानी में संचालित सभी आटो रिक्शा आने वाले दिनों में फेयर मीटर से लैस होंगे। ऑटो में किराया मीटर लगाने की कवायद शुरू हो गई है। शहर में संचालित आटो रिक्शा में फेयर मीटर लगाने को लेकर बीते दिनों ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय में आरटीओ ने आटो यूनियनों के साथ बैठक कर विचार-विमर्श किया था। इस मौके पर आरटीओ की ओर से ऑटो चालकों को संचालन में सुधार लाने के निर्देश दिए गए। शहर की सड़कों पर हजारों की संख्या में आटो दौड़ रहे हैं। वर्तमान में आटो से सफर करने पर परिवहन विभाग की ओर से तय किराया सूची के मुताबिक यात्रियों से किराया वसूला जाता है। हालांकि इसकी शिकायतें बार-बार मिलती हैं कि जरा सी ही दूरी के लिए आटो चालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूल लेते हैं। आटो में किराया मीटर लगने के बाद आटो चालक मुसाफिरों से मनमाना किराया नहीं वसूल पाएंगे। यात्री जितनी दूरी तय करेगा मीटर के मुताबिक ही उसे किराये का भुगतान करना होगा। सभी आटो किराया मीटर से लैस हों इसके लिए आरटीओ अजय कुमार त्रिपाठी ने लखनऊ आटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ के साथ ही अन्य आटो यूनियन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस दिशा में प्रयास करने के निर्देश जारी किए। आरटीओ एके त्रिपाठी ने बताया कि यूनियन के पदाधिकारियों ने अवगत कराया है कि शहर में वर्ष २०११ से पूर्व संचालित हजारों आटो रिक्शा में मैकेनिकल मीटर लगे हुए हैं, खराब होने पर यह मीटर बाजार में उपलब्ध भी नहीं हैं और न ही इनकी रिपेयरिंग की ही कोई व्यवस्था है। वर्ष २०११ के बाद जितने भी नए आटो रिक्शा आ रहे हैं वे सभी इलेक्ट्रॉनिक मीटर से लैस हैं। ऐसे में २०११ से पहले के आटो में फेयर मीटर की व्यवस्था लागू होने में दिक्कत आएगी। हालांकि आरटीओ ने यूनियन के पदाधिकारियों से सभी मैकेनिकल मीटर रिपेयर कराकर उन्हें आटो में लगाने की बात कही। उन्होंने बताया कि फेयर मीटर लगाने की तैयारी की जा रही है। कब तक आटो में फेयर मीटर लग जाएंगे इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है, लेकिन जितना जल्द हो सकेगा यह व्यवस्था लागू करा दी जाएगी।
१५०० आटो में मैकेनिकल मीटर
शहर में वर्ष २०११ से पहले के करीब १५०० आटो संचालित हो रहे हैं। इन सभी वाहनों में मैकेनिकल मीटर लगे हुए हैं। अब अगर परिवहन विभाग आटो में फेयर मीटर की योजना को अमलीजामा पहनाने जा रहा है तो यह मीटर उसकी राह में रोड़ा बन रहे हैं। खास बात यह है कि नए आटो में इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगने से मैकेनिकल मीटर बनाने वाली कम्पनी भी अब मैकेनिकल मीटर नहीं बना रही है। इसके अलावा मैकेनिकल मीटर के रिपेयरिंग की कोई व्यवस्था भी नहीं है। ऐसेे में विभाग के सामने यह भी एक बड़ी समस्या है, हालांकि आरटीओ ने इसका समाधान कराने की बात कही है।
तीन हजार आटो में इलेक्ट्रॉनिक मीटर
वर्ष २०११ के बाद के तकरीबन ३००० आटो शहर में चल रहे हैं। आरटीओ अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इन सभी वाहनों में इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगे हैं, ऐसे में इनमें कोई तब्दीली करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। शेष सभी आटो मालिकों को अपने वाहनों में जल्द से जल्द फेयर मीटर लगाने की व्यवस्था करनी होगी।