कोर्ट ने अपंग हुए बच्चों को 60-60 लाख रुपये मुआवजे का दिया आदेश
हाईटेंशन लाइन की चेपट में आकर अपंग हुए थे बच्चे
चार वर्षों में हुईं 4789 घातक विद्युत दुर्घटनाएं
लखनऊ। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से अपंग हुए लखनऊ के दो बच्चों को मुआवजे के रूप में 60-60 लाख रुपये पावर कॉरपोरेशन को देने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस ऐतिहासिक व स्वागत योग्य फैसले से सबक लेते हुए पावर कॉरपोरेशन व बिजली कम्पनियों को विद्युत दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिए। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद लगातार विद्युत दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के मुद्दे पर विद्युत नियामक आयोग व राज्य सरकार से मांग करता रहता है कि यदि बिजली कम्पनियां भारतीय विद्युत नियमावली 1956 के मानकों का पूर्ण रूप से पालन करें तो निश्चित तौर पर विद्युत दुर्घटनाओं पर बहुत बड़ा अंकुश लग जाएगा। इससे विद्युत दुर्घटनाओं से लोगों की जान नहीं जाएगी, लोग अपंग नहीं होंगे और न ही किसानों की फसलें जलेंगी। वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 तक चार वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में कुल 4789 घातक विद्युत दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 2533 लोगों की जानें गयीं और 1125 लोग घायल हुए। वहीं ढीले तार की चिंगारी से इन चार वर्षों में कुल 1145 विद्युत अग्निकांड हुए, जिससे किसानों की हजारों बीघा फसलें स्वाहा हुईं। इन घटनाओं में घायल सैकड़ों ऐसे लोग होते हैं जिनके इलाज के दौरान जान बचाने के लिए हाथ-पैर तक काटना पड़ जाता है और जो हमेशा के लिए अपंग हो जाते हैं। प्रदेश में बढ़ती विद्युत दुर्घटनाओं पर उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग उठायी है, जिससे बिजली कम्पनियां उदासीनता से बाज आएं। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से प्रदेश में विद्युत दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं वह दुर्भाग्य पूर्ण है। वर्ष 2005-6 में जहां प्रदेश में लगभग 420 लोगों की जानें जाती थीं अब वही वर्ष 2015-16 में बढ़कर 723 हो गयीं। इस प्रकार से प्रदेश में प्रत्येक दिन लगभग 2 लोगों की विद्युत दुर्घटना से मौत हो रही है। बिजली कम्पनियों की लापरवाही से घटित दुर्घटनाओं पर जब विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जांच की जाती है, तो उसमें जो कमियां हमेशा मिलती हैं वह अर्थिंग सक्षम न होना, सेफ्टी डिवाइस का कार्यक्षम न होना, ओवर हेड कन्डक्टर की जमीन से ऊंचाई कम होना, भवन के समीप ओवरहेड लाइन की ऊध्र्वा क्षितिज दूरी कम होना। बिना सुरक्षा साधनों के कार्य किया जाना, लाइनों के नीचे भवन निर्माण पेड़ की डालियां आदि का लाइनों के करीब होना, स्टे वायर से इन्सुलेटर/अर्थ न होना प्रमुख हैं।
एक नजर
बिजली दुर्घटना- 4 साल में 2533 की मौत
1125 लोग घायल, 1145 किसानों की फसलें स्वाहा
विद्युत घटनाओं की संख्या
वर्ष 2005-06 में 60
वर्ष 2012-13 में 347
वर्ष 2013-14 में 269
वर्ष 2014-15 में 267
वर्ष 2015-16 में 262
वर्ष 2016-17 में 338
ढ़ीले व जर्जर तारों की सूचना के लिए हेल्पलाइन
किसानों की खेतों में खड़ी गेंहू की फसल जलने की घटनाओं पर पावर कॉरपोरेशन अंकुश नहीं लगा पा रहा है। प्रदेश में लगातार बढ़ती अग्निकांडों की घटनाओं को लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष देश दीपक वर्मा व विद्युत सुरक्षा निदेशक गिरीश कुमार सिंह से मुलाकात कर विद्युत अग्किांड पर अंकुश लगाने के लिए वार्ता की। परिषद अध्यक्ष ने बताया कि दस साल पहले प्रदेश में साल भर में 60 विद्युत अग्निकांड की घटनाएं होती थी। वहीं वर्ष 2016-17 में बढ़कर यह 338 हो गयी हैं जो चिंता का विषय है। उपभोक्ता परिषद ने बढ़ती विद्युत दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सुझाव दिया कि पूरे प्रदेश में बडे पैमाने पर जर्जर लाइनें हैं व तार ढ़ीले हैं। ढीले तारों में सुधार लाने के लिए बिजली कम्पनियों द्वारा एक अलग हेल्प लाइन खोली जाय और जिस पर उपभोक्ता ढीले तारों व जर्जर लाइनों की सूचना दे सकें। वर्तमान में प्रदेश के कई जनपदों में सुबह 10 बजते ही तेज हवा चलने पर लाइनें बंद कर दी जाती हैं कि विद्युत दुर्घटना न हो। वहीं कुछ क्षेत्रों के अभियंताओं द्वारा सिस्टम प्रणाली से अनुरोध किया जा रहा है कि दिन में लाइनें बंद रखी जाय।