- अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर और ब्लड बैंकों पर नगर निगम मेहरबान
लखनऊ। नगर निगम की कंगाली के लिए खुद निगम के अफसर ही जिम्मेदार हैं। शहर में अस्पतालों, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर व ब्लड बैंकों से लाइसेंस शुल्क वसूलने में नगर निगम की लापरवाही सामने आयी है। नगर निगम अफसर सीधे तौर पर इन चिकित्सा संस्थाओं को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
यह हाल तब है जबकि नगर निगम करीब 250 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा है। ऑडिट विभाग के अनुसार नगर निगम के इस शुल्क के न वसूले जाने से शासन को लाखों की वित्तीय हानि हो रही है। चिकित्सा संस्थाओं के प्रति नगर निगम के ढीले रवैए से करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। बायोमेडिकल वेस्ट उठाने के शुल्क वसूली की भी कोई निगरानी नहीं है।
जोनल अधिकारी लाइसेंस शुल्क के प्रति भी घोर लापरवाही बरत रहे हैं। इस लापरवाही का अंदेशा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के अधिकतर चिकित्सा प्रतिष्ठान बिना लाइसेंस शुल्क के ही चल रहे हैं। जिस शुल्क से नगर निगम को लाखों की आमदनी हो सकती थी, उसे वसूलने को लेकर नगर निगम प्रशासन ही गैर जिम्मेदार बना हुआ है।
24 दिसंबर 2001 को मेडिकल एसोसिएशन के प्रत्यावेदन पर लाइसेंस व्यवस्था को स्थगित कर दिया गया था जिसे 30 मई 2014 को एक बार फिर से अनिवार्य बना दिया गया। इसे दोबारा से लागू किए जाने पर लखनऊ नर्सिंग होम ओनर्स एसोसिएशन ने शासन को प्रार्थना पत्र लिख कर इस शुल्क को खत्म करने की मांग की थी, जिसे प्रशासन ने खारिज कर दिया था।
जोन एक में अभी तक लगभग 22 लाइसेंस ही बन सकें हैं। जोनों से अधिकारी कोई रिपोर्ट ही नहीं दे रहे हैं जबकि शहर भर में पांच हजार से ज्यादा चिकित्सीय प्रतिष्ठान है। वहीं इनमें से कईयों ने अभी तक लाइसेंस का रिन्यूवल तक नहीं कराया है। निगम के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से निगम को होने वाली लाखों रुपए की आमदनी पर ब्रेक लग गया है।
नगर निगम ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में इस मद में 2 लाख रुपए की आय प्राविधानित की है। इसके सापेक्ष वर्ष 2017-18 में सिर्फ 0.07 लाख रुपए की ही वसूली हुई है। इसके अलावा अस्पतालों के इंसीनरेटर से 0.03 के सापेक्ष सिर्फ 20 लाख रुपए ही वसूले।
सभी जोनों के निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर व ब्लड बैंक इत्यादि प्रतिष्ठानों से लाइसेंस शुल्क की वसूली नहीं हो रही है।इस कारण बिना लाइसेंस प्राप्त संचालित प्रतिष्ठानों को नगर आयुक्त व अपर नगर आयुक्त तथा एसएनए की ओर से नोटिस दिए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।