यूपीएसआरटीसी में पीआरडी के फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए भर्ती हुए 3000 संविदा कंडक्टरों पर लटक रही बर्खास्तगी की तलवार
प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बगैर मोटी रकम लेकर किया गया था भर्ती
चर्चाओं का बाजार गर्म, टिकट घोटाले की तर्ज पर क्या फिर बच जाएंगे असली गुनहगार
आगरा रीजन के तत्कालीन आरएम नीरज सक्सेना पर कदम-कदम पर लापरवाही बरतने का आरोप भी हो चुका है सिद्घ
लखनऊ। उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम में पीआरडी के फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी पाए 3000 संविदा कंडक्टरों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। इन पर आरोप है कि इन्होंने पीआरडी (प्रांतीय रक्षक दल) के फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी पायी है। लेकिन सवाल यह है कि जिन अधिकारियों के कार्यकाल में बगैर प्रमाणपत्रों की जांच कराए भर्तिंयां की गयीं, उनके खिलाफ क्या ऐक्शन हो रहा है। क्या अलीगढ़ क्षेत्र में 100 करोड़ से अधिक के हुए टिकट घोटाला प्रकरण की तर्ज पर इस मामले में भी छोटों को बलि का बकरा बनाकर असली गुनहगारों को बचा लिया जाएगा। परिवहन निगम के कर्मचारियों के बीच यह चर्चा भी जोरों पर है। निगम सूत्रों की मानें तो परिवहन निगम के पश्चिमी जोन के अधिकतर क्षेत्रों में पीआरडी के फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे संविदा कंडक्टरों के भर्ती घोटाले को अंजाम दिया गया। मजे की बात तो यह है कि परिवहन निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक नरेंद्र भूषण के पीआरडी संविदा कंडक्टरों की भर्ती पर रोक के आदेश के बावजूद इस घोटाले को क्षेत्रीय अधिकारियों ने अंजाम दिया। सूत्रों की मानें तो आगरा, अलीगढ़, इटावा, मेरठ, गाजियाबाद, इलाहाबाद, गोरखपुर में तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधकों ने ठेके पर भर्तिंयां की। अधिकारियों ने आवेदकों से मोटी रकम लेकर भर्ती के साथ-साथ प्रमाणपत्र बनवाने से लेकर सिक्योरिटी मनी तक जमा करने का ठेका लिया। यही नहीं पीआरडी जवानों की भर्ती के नियमों को दरकिनार करते हुए दूसरे जिले के आवेदकों को दूसरे जनपद का निवासी दिखाते हुए भर्ती किया गया। 2010 से 2012 के बीच पीआरडी जवानों की फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए की गयी भर्ती मामले में हुई आगरा रीजन के तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक नीरज सक्सेना की जांच रिपोर्ट में कदम-कदम पर लापरवाही बरतने का आरोप भी सिद्घ हो चुका है। बावजूद इसके निगम प्रबंधन भर्ती के असली गुनहगारों पर कार्रवाई करने की बजाय पीआरडी के फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए भर्ती हुए संविदा कंडक्टरों को बलि का बकरा बना रहा है।
तत्कालीन एमडी ने लगायी थी भर्ती पर रोक
पीआरडी के फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी पाए संविदा कंडक्टरों की भर्ती पर जनवरी 2011 में तत्कालीन प्रबंध निदेशक नरेंद्र भूषण में रोक लगायी थी। उन्होंने सभी क्षेत्रों के क्षेत्रीय प्रबंधकों को पत्र जारी किया था। एमडी ने परिवहन निगम मुख्यालय के पत्रांक संख्या 27 सीईएनटी के तहत तत्काल प्रभाव से पीआरडी के जवानों की संविदा कंडक्टर पर भर्ती पर रोक लगायी थी। साथ ही उन्होंने यह भी आदेश दिया था कि इस आदेश का उल्लंघन करने वाले क्षेत्रीय प्रबंधक व सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ संविदा कंडक्टरों के वेतन के मद में भुगतान की धनराशि की रिकवरी अधिकारियों के वेतन से की जाएगी। एमडी के इस आदेश का उल्लंघन करते हुए आरएम आगरा नीरज सक्सेना सहित अन्य क्षेत्रीय अधिकारियों ने भर्तिंयां की।
इन अधिकारियों के कार्यकाल में हुई भर्तिंयां
पीआरडी के प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बगैर जिन क्षेत्रीय प्रबंधकों की अध्यक्षता वाली चयन कमेटी ने नियुक्ति दी है, वे अब कार्रवाई की जद में आ गए हैं। लखनऊ, आगरा, अलीगढ़, इटावा, मेरठ, गाजियाबाद, इलाहाबाद, गोरखपुर रीजन में चहेतों को पीआरडी के फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे संविदा कंडक्टर पद पर नियुक्ति दी गयी। निगम सूत्रों की मानें तो जिन परिक्षेत्रों में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए भर्तिंयां की गयी उस दौरान जो अधिकारी तैनात थे उनमें एचएस गाबा, साद सईद, नीरज सक्सेना, आरिफ सकलेन, जेएन सिन्हा, पीआर बेलवारियार, पीके बोस, मनोज पुंडीर शामिल हैं।
क्षेत्रीय प्रबंधकों से पीआरडी जवान बने संविदा परिचालकों की सूची मंगायी गयी है। क्षेत्रों से सूची आने के बाद प्रमाणपत्रों की जांच कराई जाएगी। फिर यह पता चल पाएगा कि कितने परिचालकों को फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे नियुक्ति दी गयी है। इसके बाद ही भर्ती करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई का सवाल उठेगा।
धीरज साहू, प्रबंध निदेशक, उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम