- हर दिन कोई न कोई होता है खूंखार कुत्तों का शिकार
- हर महीने 1500 कुत्तों की नसबंदी का दावा
- अब जागा नगर निगम, शुरू की टेंडर प्रक्रिया
- अप्रैल तक करना होगा राहत का इंतजार
- दावा: आबादी के हिसाब से ज्यादा नहीं हैं कुत्ते
लखनऊ। शहर के लगभग सभी गली- कूचे पर आवार कुत्तों ने जीना हराम कर रखा है। किसी की शिकायत है कि कुत्तों की वजह से रात में नींद नहीं आती तो किसी की शिकायत रात में घर से निकलने में लगता है डर। हालांकि शहर के गली- मोहल्लों में घूमते कुत्तों का खौफ कम करने के लिए नगर निगम ने नसबंदी में तेजी लाने का फैसला तो किया है। लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। नगर निगम अभी हर महीने करीब 200 कुत्तों की नसबंदी करवाने का दावा करता है, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल परे है। जमीनी हकीकत को देखे तो आपको सच खुद ही पता चल जाएगा। निगम के अधिकारियों का दावा है कि अब हर महीने 1500 कुत्तों की नसबंदी होगी। अफसरों का दावा है कि अगले तीन साल में शहर के करीब 70 फीसदी सड़क छाप कुत्तों की नसबंदी कर ली जाएगी। इससे इनकी बढ़ती संख्या रुकेगी और इनकी हिंसक प्रवृत्ति भी कम होगी। लेकिन अभी हालत ये है कि अकेला पाकर ये कुत्तें लोगों को नोचने के लिए दौड़ते है। जो कार में सफर करता है वो तो सुरक्षित है, लेकिन बाइक सवार व्यक्ति पर ये कहर बनकर झपटते है।
राजधानी में लगातार कुत्तों के काटने से लोग घायल हो रहे हैं। शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार, हर महीने सैकड़ों लोग इन आवारा कुत्तों के काटने के बाद इलाज करवाने पहुंचते हैं। ऐसे मामले बढऩे पर नगर निगम ने नसबंदी में तेजी लाने का फैसला किया है। फिलहाल नसबंदी का काम सौंपने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है, जो मार्च तक पूरी करने की चर्चा ही चल रही है। इसके बाद सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को कान्हा उपवन ले जाकर भैरव कक्ष में नसबंदी की जाएगी। नगर निगम के आंकड़ों आंकड़ों की माने तो, एक आकलन के मुताबिक शहर में करीब 60 हजार आवारा कुत्ते हैं। नई टेंडर प्रक्रिया के तहत जो भी एजेंसी नसबंदी के लिए चुनी जाएगी, उन्हें फिर से इनका सर्वे करवाना होगा। अधिकारियों का दावा है कि अभी हर महीने मुश्किल से 150 से 200 कुत्तों की नसबंदी ही संभव हो पाती है। नई योजना के तहत, नगर निगम ने यह आंकड़ा हर महीने 1300 से 1500 तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में अगले तीन साल में करीब 45000 स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी करने का लक्ष्य माना जा रहा है। गौरतलब है कि नगर निगम एक नसबंदी के लिए अधिकतम 999 का भुगतान करेगा। निगम प्रशासन एक नसबंदी पर 1000 से ज्यादा बजट नहीं खर्च कर सकता, जबकि चौंकाने वाली बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक आवारा कुत्तों को किसी दूसरे इलाके में नहीं छोड़ा जा सकता। ऐसे में किसी खास इलाके में इनकी संख्या बढ़ रही है तो इन्हें हटाया नहीं जा सकता।
कान के कट से होगी पहचान
नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी अरविंद कुमार राव का कहना है कि नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों के कान में ईयर नोजिंग (कान में कट लगाना) कर दी जाती है। इसी के जरिए पहचान होती है कि नसबंदी हुई है या नहीं। पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, नसबंदी के बाद आवारा कुत्ते के भीतर हिंसक प्रवृत्ति कम हो जाती है। इससे इनके काटने का खतरा भी कम हो जाएगा।
आवारा कुत्तों पर नियंत्रण करने के लिए नसबंदी ही सही तरीका है। इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। कोशिश है कि अप्रैल में काम तेजी से शुरू हो जाए। अभी जो नसबंदी की जा रही उसमें बढ़ोतरी की आवश्यकता थी, इसलिए संसाधनों को बढ़ाया जा रहा है।
एके राव, पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम