- उद्योग लगाये बिना अब नहीं बेच सकेंगे भूखंड
- अब भूखंड लेकर मुनाफा कमाने वालों के मंसूबे नहीं होंगे सफल कसमय विस्तार और भूखंड ट्रांसफर में अब नहीं चलेगी मनमानी
लखनऊ। यूपीएसआइडीसी से भूखंड लेकर मुनाफा कमाने की इच्छा रखने वालों के मंसूबे अब सफल नहीं होंगे। यूपीएसआइडीसी प्रबंधन भूखंड के ट्रांसफर और समय विस्तार की नीति को और सख्त करने जा रहा है। भूखंड लेने के बाद औद्योगिक इकाई की स्थापना करना अनिवार्य होगा। बिना उद्योग लगाये भूखंड नहीं बेचे जा सकेंगे।
यूपीएसआइडीसी में भूखंड लेने के बाद 30 फीसद हिस्से में इकाई की स्थापना अनिवार्य है, लेकिन इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। लोगों ने दस से 15 साल पहले कम दर पर भूखंड लिये। दरें बढऩे का इंतजार किया और जैसे ही दरें बढ़ीं तुरन्त भूखंड बेच दिये। यूपीएसआइडीसी प्रबंध तंत्र भी नियमों की अनदेखी करता रहा। जानकारों की मानें तो अगस्त 2014 से पहले तक नियम था कि भूखंड आवंटन के दो साल के अंदर इकाई की स्थापना अनिवार्य है। इसके बाद इस अवधि को तीन वर्ष कर दिया गया। पर, इस नियम का भी पालन कभी नहीं हुआ। लोग समय सीमा बीतने के बाद प्रार्थना पत्र लगाते और फिर से इकाई लगाने के लिए तीन साल का समय ले लेते। इसके लिए वे समय विस्तारण शुल्क जमा कर देते हैं। समय विस्तार करने और भूखंड के ट्रांसफर करने में अफसरों की जेब भी खूब गर्म होती रही। यही वजह है कि इन्होंने आवंटियों को इकाई लगाने के लिए विवश नहीं किया।
सूत्रों की मानें तो दो मई 2016 को यूपीएसआइडीसी बोर्ड की बैठक में तय हुआ था कि दस साल या उससे पूर्व जिन्हें भूखंड आवंटित है वे लोग एक साल के अंदर या तो भूखंड ट्रांसफर कर दें या फिर इकाई स्थापित कर लें। इस छूट का भी लोगों ने लाभ नहीं उठाया। अब प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद ने सख्त रुख अख्तियार किया और भूखंड ट्रांसफर करने के बजाय निरस्तीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी है। एमडी अब इन नियमों को सख्त करने जा रहे हैं। भूखंड ट्रांसफर करने, इकाई स्थापना के लिए समय विस्तार की अनुमति देने के नियम को सख्त बनाने के लिए नीति बनाने की योजना है। अब देखना यह है कि यह व्यवस्था कितनी दूरी तय कर पायेगी। इस सप्ताह यूपीएसआइडीसी की बोर्ड बैठक प्रस्तावित है। बैठक में नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना, विकास, भूमि अधिग्रहण के लिए बजट को मंजूरी मिल सकती है।
लैंड बैंक बढ़ाएगा निगम
यूपीएसआइडीसी प्रबंधन लैंडबैंक बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। इस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेंट कॉरीडोर के किनारे 18 औद्योगिक क्षेत्रों के लिए संबंधित गांवों की ग्राम समाज की भूमि को नि:शुल्क लिया जाय। इसके लिए जल्द ही शासन को प्रस्ताव भेजा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो अधिग्रहण में होने वाला खर्च भी कम होगा। भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अब ग्राम समाज की भूमि के पुनग्र्रहण में सॢकल रेट का चार गुना और शहरी क्षेत्र में दो गुना कीमत देनी होगी। अगर आरक्षित श्रेणी चरागाह, कब्रिस्तान की भूमि होगी तो उसके बदले में उतनी ही कीमत की भूमि को आरक्षित करना होगा। यही कानून गैर सरकारी भूमि के अधिग्रहण पर भी लागू है।