बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत 10 लोगों को एक बड़ा झटका देते हुए सभी पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट के जज पीसी घोष और रोहिंटन नरीमन के पीठ ने सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में लखनऊ और रायबरेली की अदालतों में ये मुकदमें अब एक साथ चलेंगे.इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई दिन प्रतिदिन के आधार पर करने को कहा है. इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे किसी भी जज का तबादला सुनवाई के दौरान नहीं किया जाएगा.
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि आडवानी, जोशी और अन्य के खिलाफ अतिरिक्त आरोप चार हफ्ते में तय किए जाएं. इस मामले में सीबीआई ने आडवानी और 20 अन्य के खिलाफ धारा 153ए, 153बी 505 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था.इन लोगों पर धारा 120 बी के तहत आपराधिक षडयंत्र का भी आरोप लगाया गया था जिसे सीबीआई की एक विशेष अदालत ने हटा दिया था. इसका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी समर्थन किया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की तरफ से केंद्रीय मंत्री उमा भारती और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के इस्तीफे की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने उमाभारती से इस्तीफा मांगा है. भाजपा नेता विनय कटियार का मानना है कि किसी को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं.
अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद इमारत को तोड़ने के कथित षड्यंत्र, भडकाऊ भाषण और पत्रकारों पर हमलों के कई मुकदमे वर्षों से कानूनी दांव पेंच में उलझे हुए हैं.