- पहले फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र व एफडीआर के आधार पर दिये 250 करोड़ के 18 ठेके, अब एफआईआर की जानकारी देने से कन्नी काट रहे अधिकारी
- ट्रांसगंगा, सरस्वती हाईटेक सिटी में एमडी ने पकड़ा था फर्जीवाड़ा, दिये थे एफआईआर लिखाने के निर्देश
लखनऊ। भ्रष्टाचारयुक्त उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के अभियान में जुटे प्रबंध निदेशक के प्रयासों को अमलीजामा पहनाने में मातहतों की सुस्ती बरकरार है। प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद ने ठेकेदारों के अनुभव प्रमाण पत्र और अन्य कागजातों का सत्यापन कराया तो पता चला कि बालाजी बिल्डर्स और गणपति मेगा बिल्डर्स को फर्जी एफडीआर और अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर अरबों के ठेके मिले हैं। इसका पर्दाफाश होने के बावजूद ठेके लेने वाले बिल्डरों और इस फर्जीवाड़े में उनका साथ देने वाले अधिकारियों पर किन धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई, जिम्मेदार इसका जवाब देने से बच रहे हैं।
बीते दिनों यूपीएसआईडीसी प्रबंध निदेशक ने ट्रांसगंगा सिटी, सरस्वती हाईटेक, ट्रोनिका सिटी और मसूरी गुलावटी आदि के लगभग 250 करोड़ के ठेकों का फर्जीवाड़ा पकड़ा था। उन्होंने अपनी जांच में पाया कि यह ठेके फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और एफडीआर के आधार पर दिये गये हैं। एमडी ने इन ठेकों को प्रभाव शून्य करते हुये धरोहर राशि जब्त करने, बिल्डरों को काली सूची में डालने और मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश भी दिये। इतना ही नहीं प्रबंध निदेशक ने दोनों ठेकेदारों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब भी किया। गणपति मेगा बिल्डर्स को लिखे गये पत्र में एमडी ने कहा, आप द्वारा लगाई गई एफडीआर फर्जी है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो बालाजी बिल्डर्स ने 16 ठेकों के लिए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाये, जबकि गणपति मेगा बिल्डर्स ने दो ठेकों के लिये फर्जी एफडीआर जमा की। वर्ष 2015 में बालाजी बिल्डर्स को ट्रांसगंगा हाइटेक सिटी में आठ, मसूरी गुलावटी में एक, ट्रोनिका सिटी गाजियाबाद में दो और वर्ष 2016 में सरस्वती हाईटेक सिटी में पांच ठेके दिये गये। ये सभी कार्य लगभग 150 करोड़ रुपये से होने हैं। कंपनी ने ठेके लेने के लिये ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से जारी छह अनुभव प्रमाण पत्र लगाये। सत्यापन में सिर्फ एक प्रमाण पत्र सही पाया गया, शेष फर्जी निकले।
वहीं वर्ष 2016 व 2017 के दौरान सरस्वती हाईटेक सिटी में गणपति मेगा बिल्डर्स को 80 करोड़ रुपये से अधिक के दो ठेके मिले। गणपति ने 95 लाख, 90 लाख, 54 लाख, 20 लाख रुपये की सात एफडीआर लगाई। आगरा विकास प्राधिकरण स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा से इन एफडीआर का सत्यापन कराया गया तो पता चला कि जिन खातों से ये एफडीआर बनी थी वे सभी बंद हैं और अब इन खातों में एक रुपया भी नहीं है।
बिल्डरों की धोखाधड़ी पकडऩे के बाद भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को निगम में सख्ती से लागू करने की इच्छाशक्ति दिखाते हुये प्रबंध निदेशक ने संबंधित अधिकारियों को इन कंपनियों के खिलाफ ठेका लेने के लिये जाली कागजात तैयार करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिये थे। साथ ही इन औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण कार्यों के लिये नये सिरे से टेण्डर प्रक्रिया शुरू करने को कहा। अधिकारियों ने अल्पकालीन टेण्डर निकालकर ठेकेदारों की चयन प्रक्रिया में तो तेजी दिखाई। पर, फर्जीवाड़ा करने वाले बिल्डरों और उनके साथी अधिकारियों को भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का पाठ पढ़ाने में सुस्ती बरकरार रखी।
यूपीएसआईडीसी में चहेते ठेकेदारों को हैसियत से कहीं अधिक के काम रेवडिय़ों की तरह बांटे जाते रहे हैं। ठेके देते समय अधिकारी अनुभव प्रमाण पत्र और एफडीआर आदि का सत्यापन कराने की जरूरत भी नहीं समझते। बावजूद इसके एकतरफा कार्रवाई के तहत सिर्फ ठेकेदारों पर मुकदमा लिखाने का कोरा ऐलान और फिर एफआईआर दर्ज कराने में व्याप्त सुस्ती की असल वजह जांच के राडार से दोषी अधिकारियों को बचाना तो नहीं है?
फर्जीवाड़ा कर लिये ये टेण्डर
ट्रांसगंगा सिटी में बालाजी बिल्डर्स को नाली, पुलिया, साइकिल टै्रक निर्माण का कार्य मिला। कंपनी को 6.50 करोड़, 10 करोड़, 17 करोड़, 13 करोड़, सात करोड़, 16 करोड़, 15 करोड़, 13.25 करोड़ के कुल आठ ठेके दिये गये। वहीं इलाहाबाद स्थित सरस्वती हाइटेक सिटी में सीवर लाइन व अन्य कार्यों के लिए 10.10 करोड़ रुपये के पांच ठेके मिले। साथ ही हापुड़ स्थित मसूरी गुलावटी में जलापूॢत से जुड़े कार्य के लिये 1.34 करोड़ का एक ठेका मिला। वहीं ट्रोनिका सिटी में जलापूॢत के लिये 1.98 करोड़ रुपये का एक और 2.19 करोड़ रुपये के ठेके जाली कागजो पर दिये गये।
सवाल एक, जवाब कई
मुकदमा दर्ज हुआ या नहीं, इस एक सवाल पर अधिकारियों ने कई जवाब दिये। एमडी रणवीर प्रसाद का कहना है मुकदमा दर्ज हो गया है। मुकदमा जिन अधिशाषी अभियंता एससी मिश्रा को दर्ज कराना था, उनका कहना है मुझे नहीं पता, मीडिया प्रभारी से पता करें। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, इस बाबत जब संबंधित कल्याणपुर थानाध्यक्ष से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने स्वयं बाहर होने और एसएसआई के अवकाश पर होने की बात कह अपना पल्ला झाड़ लिया। तो वहीं थाने के बेसिक नम्बर पर बताया गया, आप लखनऊ में हैं डीजीपी कार्यालय से जानकारी ले लें। अब ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की पहल कितनी दूरी तय करेगी, कहना मुश्किल है।
तब बोले थे प्रबंध निदेशक
बालाजी बिल्डर्स ने पांच फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और गणपति मेगा बिल्डर्स ने सात फर्जी एफडीआर का प्रयोग किया है। इनका यह कृत्य अक्षम्य है। इन्होंने धोखाधड़ी की है। इन्हें काली सूची में डाला जायेगा। दोनों ठेकेदारों की धरोहर राशि जब्त कर ली गई है। ठेके प्रभाव शून्य कर इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जायेगा।